भारत के विशेष बलों की तैनाती के लिए तैयार होने से जुड़ी खबरों के बीच चीन ने कहा कि बीजिंग इस बात पर कायम है कि किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.
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बीजिंग: चीन ने शुक्रवार (9 फरवरी) को कहा कि वह मालदीव में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के समाधान के लिए भारत से संपर्क में है और बीजिंग नहीं चाहता है कि यह मामला एक और ‘टकराव का मुद्दा’ बने. भारत के विशेष बलों की तैनाती के लिए तैयार होने से जुड़ी खबरों के बीच चीन के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बीजिंग इस बात पर कायम है कि किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. उनके मुताबिक चीन मुद्दे के समाधान के लिए भारत के संपर्क में है. सूत्रों ने यहां बताया कि चीन नहीं चाहता है कि मालदीव एक और ‘टकराव का मुद्दा बने.’
डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध एवं संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में बीजिंग की बाधा से हाल में द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हुए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच शुक्रवार (9 फरवरी) को हुई बातचीत सहित मालदीव से संबंधित कई सवालों के जवाब में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए.
चीन ने मालदीव पर बदला सुर, संयुक्त राष्ट्र के दखल पर जताया ऐतराज, वार्ता पर दिया जोर
इससे पहले चीन ने मालदीव में संयुक्त राष्ट्र के किसी भी तरह के हस्तक्षेप का विरोध किया, लेकिन विदेशी हस्तक्षेप पर अपना सुर थोड़ा नरम करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय राजनीतिक संकट के समाधान में मालदीव के दलों के लिए ‘‘समर्थन और सुविधा’’ मुहैया करा सकता है. मालदीव की स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 9 फरवरी से होने वाली बैठक से पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां मीडिया से कहा कि चीन संकट के हल के लिए मालदीव के प्रमुख राजनीतिक दलों की मदद करने का समर्थन करता है.
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने स्थिति के हल के लिए सर्वदलीय वार्ता की व्यवस्था करने की पेशकश की थी जिसके बाद बैठक बुलायी गयी. यह पूछे जाने पर कि क्या चीन मालदीव में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के खिलाफ है, गेंग ने कहा, ‘मैंने अपना रुख साफ कर दिया. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मालदीव की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और संबंधित दलों के बीच वार्ता को लेकर मदद मुहैया कर इस संबंध में एक सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए.’
(इनपुट एजेंसी से भी)