भारत के 'दोस्त' को फांसने के लिए चीन-पाकिस्तान की नई चाल, मोदी सरकार के कदम का है इंतजार
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भारत के 'दोस्त' को फांसने के लिए चीन-पाकिस्तान की नई चाल, मोदी सरकार के कदम का है इंतजार

जून में एक त्रिपक्षीय वार्ता करने पर सहमत होने के बाद इस तरह की यह पहली बैठक थी.

अफगानिस्तान के वित्त मंत्री रब्बानी सबसे (बाएं), बीच में चीनी विदेश मंत्री और पाकिस्तान के विदेश मंत्री.(Reuters/26 Dec, 2017)

इस्लामाबाद: चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान मंगलवार (26 दिसंबर) को इस बात पर सहमत हुए कि वे किसी भी देश, समूह या व्यक्ति को आतंकवाद के लिए अपनी सरजमीं का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देंगे. तीनों देशों ने बीजिंग में हुई पहली त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान आतंकवाद से एक साथ मिलकर निपटने का संकल्प लिया. बैठक में इन देशों के विदेश मंत्रियों ने विकास, सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी कदमों पर चर्चा की. पाकिस्तानी विदेश कार्यालय द्वारा बैठक के बाद साझा किये एक संयुक्त बयान के अनुसार तीनों देशों ने आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया. हालांकि चीन और पाकिस्तान के इस कदम को रणनीतिक तौर पर भारत के लिए खतरा माना जा रहा है क्योंकि इसके पीछे दोनों पड़ोसी मुल्क की एक चाल यह भी हो सकती है कि वह आतंकवाद के नाम अफगानिस्तान को अपने पाले में करे और भारत को घेरने की तैयारी करे. अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या कदम उठाते हैं. 

  1. तीनों देशों ने आतंकवाद से एक साथ मिलकर निपटने का संकल्प लिया.
  2. वन बेल्ट और वन रोड पहल पर भी सहमित बनी.
  3. चीन-अफगानिस्तान-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की दूसरी वार्ता अगले वर्ष काबुल में आयोजित होगी.

जून में एक त्रिपक्षीय वार्ता करने पर सहमत होने के बाद इस तरह की यह पहली बैठक थी. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ पहली चीन-अफगानिस्तान-पाकिस्तान विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की. बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने (तीनों देशों) किसी भी देश, संगठन या व्यक्ति को किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिए अपनी सरजमीं का इस्तेमाल नहीं करने देने की दृढ़ प्रतिबद्धता जाहिर की.’’ 

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बयान के अनुसार तीनों देश बिना किसी भेदभाव के सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ने के प्रयासों में सहयोग और समन्वय को मजबूत बनाये जाने पर सहमत हुए. उन्होंने दोहराया कि अफगानिस्तान में हिंसा को समाप्त करने के लिए सबसे अधिक व्यवहार्य समाधान एक व्यापक,समावेशी शांति एवं सामंजस्य प्रक्रिया है जो पूरी तरह से क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थित है.

बयान के अनुसार,‘‘इस संबंध में उन्होंने अफगान तालिबान से शांति प्रक्रिया में शामिल होने का आहवान किया.’’ तीन देश एक प्रगतिशील दृष्टिकोण के साथ त्रिपक्षीय आर्थिक सहयोग करने पर सहमत हुए. उन्होंने अपने संबंधों को सुधारने, पारस्परिक रूप से अपने हितकारी सहयोग को मजबूत करने, चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट और वन रोड पहल के तहत संपर्क बढ़ाने और बिना किसी पक्षपात के आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया. वे त्रिपक्षीय सहयोग के तीन विषयों राजनैतिक आपसी विश्वास और सामंजस्य, विकास सहयोग और संपर्क, सुरक्षा सहयोग और आतंकवाद से निपटने के लिए एक साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए. चीन-अफगानिस्तान-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की दूसरी वार्ता अगले वर्ष काबुल में आयोजित होगी.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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