मुर्सी के एक साल के विभाजनकारी शासन के खिलाफ व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए थे जिसके बाद वर्ष 2013 में सेना ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था.
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काहिरा: मिस्र की एक अदालत ने न्यायपालिका का अपमान करने के मामले में पूर्व इस्लामी राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी और 18 अन्य को दोषी ठहराया तथा उन्हें तीन साल कैद की सजा सुनाई. इस मामले के प्रतिवादियों में प्रतिष्ठित कार्यकर्ता अल अब्देल फतह तथा राजनीतिक विश्लेषक अम्र हम्जावी शामिल हैं. दोनों पर 1,688 डॉलर का जुर्माना लगाया गया है. अब्देल फतह वर्ष 2013 में अवैध प्रदर्शन में भाग लेने के मामले में पांच साल कैद की सजा काट रहे हैं. हम्जावी निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं. मुर्सी के एक साल के विभाजनकारी शासन के खिलाफ व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए थे जिसके बाद वर्ष 2013 में सेना ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था. तब से वह जासूसी और विदेशी समूहों के साथ साजिश रचने समेत विभिन्न आरोपों पर मुकदमे का सामना कर रहे हैं.
मिस्र ने वर्ष 2013 के बाद से इस्लामिक नेताओं पर कार्रवाई की और धर्मनिरपेक्ष तथा उदारवादी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ हजारों लोगों को जेल भेजा. मुर्सी के संगठन, मुस्लिम ब्रदरहुड के 18 सदस्यों को भी इसी आरोप में समान सजा सुनाई गई. मुजरिमों को अदालत की अवमानना करने के आरोप में दोषी ठहराया गया. उनके ऊपर न्यायाधीशों को नाराज करने व उनके खिलाफ द्वेषपूर्ण भावना फैलाने के आरापे लगाए गए थे.
मुर्सी इस समय 20 साल कारावास की सजा भुगत रहे हैं. यह सजा उनको 2012 में उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच रंक्तरंजित संघर्ष को भड़काने का दोषी ठहराते हुए दी गई है. इसके अलावा उनको गोपनीय दस्तावेज कतर को लीक करने के आरोप में 25 साल कारावास की सजा दी गई है. उनके समर्थक नेताओं में भी अधिकांश इस समय हिरासत में हैं और कई लोगों को हिंसा भड़काने, हत्या, जासूसी और जेल से भागने के आरोपों में मृत्युदंड और लंबी अवधि के कारावास की सजा दी जा चुकी है.
(इनपुट एजेंसी से भी)