Exclusive: रूसी राजदूत का बड़ा दावा- 'विदेशी स्टूडेंट्स को ढाल बना रहा यूक्रेन'
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Exclusive: रूसी राजदूत का बड़ा दावा- 'विदेशी स्टूडेंट्स को ढाल बना रहा यूक्रेन'

Exclusive Interview Of Russian Ambassador: रूस के राजदूत रोमान बाबुश्किन ने कहा कि यूक्रेनी लड़ाकों ने ही रिएक्टर में आग लगाई. रूस के सैनिकों के ऊपर जो आरोप लगाया जा रहा है वो गलत है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत (India) में रूस (Russia) के राजदूत रोमान बाबुश्किन (Roman Babushkin) ने कहा है कि भारतीय छात्रों को यूक्रेन (Ukraine) से सुरक्षित निकालने के लिए रूसी अधिकारी लगातार भारतीय अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं और रूसी सेना (Russian Army) हर संभव मदद कर रही है. बाबुश्किन ने यूक्रेन पर भारतीय छात्रों को परेशान करने का आरोप लगाया और कहा कि यूक्रेन में सैनिक विदेशी छात्रों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.

  1. धीमी रफ्तार से बढ़ रही रूसी सेना
  2. पूर्व की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहा NATO
  3. डिमिलिटराइजेशन चाहता है रूस

भारतीय छात्र की मौत का है दुख

राजदूत रोमान बाबुश्किन ने ज़ी मीडिया को दिए अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि भारतीय छात्र की मौत अत्यंत दुखद है और रूसी सरकार इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ है. छात्र के मरने की घटना की जांच की जा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि किन परिस्थितियों में भारतीय छात्र की मृत्यु हुई. हम नागरिकों को निशाना नहीं बना रहे हैं इसीलिए हमारी सेना की आगे बढ़ने की रफ्तार बहुत धीमी है.

नागरिकों को नहीं पहुंचाया नुकसान

भारत में रूस के राजदूत रोमान बाबुश्किन ने कहा कि रूसी सैनिकों को सख्त आदेश दिए गए हैं कि किसी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचाया जाए. लेकिन यूक्रेनी लड़ाके विदेशी छात्रों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.

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फैलाई जा रही है फेक न्यूज़

उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया द्वारा बहुत ज्यादा फेक न्यूज़ फैलाई जा रही है. आरोप लगाया गया कि रूसी सैनिकों ने एक न्यूक्लियर स्टेशन को तबाह किया है जोकि पूरी तरह गलत है. स्टेशन में यूक्रेनी लड़ाके जमा थे और उन्होंने रूसी सेना पर हमला किया. रूसी सैनिकों की जवाबी कार्रवाई के बाद वो स्टेशन से भाग गए लेकिन जाते समय एक रिएक्टर में आग लगा दी. न्यूक्लियर स्टेशन पूरी तौर पर सुरक्षित है. रूसी सेना ने टीवी टॉवर पर हमला किया था लेकिन उसकी चेतावनी पहले ही दे दी गई थी ताकि लोगों की जान नहीं जाए.

बाबुश्किन ने कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत पुतिन के कार्रवाई के आदेश के बाद नहीं हुई बल्कि 8 साल पहले हुई थी जब पश्चिमी देशों के सहयोग से एक विद्रोह के जरिए चुनी हुई सरकार को हटा दिया गया.

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उन्होंने कहा कि रूस विरोधी नव-नाजी सरकार ने डोनबास में हजारों रूसियों की हत्या की लेकिन पश्चिम ने अनदेखा किया. रूस को अपनी सुरक्षा की गारंटी चाहिए क्योंकि नाटो अब पूर्व की तरफ बढ़ रहा है. रूस केवल यूक्रेन का डिमिलिटराइजेशन (Demilitarization) चाहता है. अब पश्चिमी देश रूस के खिलाफ अभियान चला रहे हैं.

बाबुश्किन ने आर्थिक प्रतिबंधों के बारे में कहा कि रूस ने ऐसे प्रतिबंध पहले भी झेले हैं और उसे इन परिस्थितियों की आदत है. लेकिन आर्थिक गतिविधियों के अलावा रूसी कलाकारों, खिलाड़ियों और एयरलाइंस पर प्रतिबंध लगाना पश्चिमी देशों की नीयत को बताता है.

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