Gerhard Schrioder: रूस से संबंधों को लेकर नाराजगी के बीच जर्मनी के पूर्व चांसलर को तगड़ा झटका, रुतबा छिना हुई ये हालत
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Gerhard Schrioder: रूस से संबंधों को लेकर नाराजगी के बीच जर्मनी के पूर्व चांसलर को तगड़ा झटका, रुतबा छिना हुई ये हालत

Action against Gerhard Schrioder: जर्मनी के सांसदों ने देश के पूर्व चांसलर (Germany's ex-Chancellor) को लेकर लग रही अटकलों का खात्मा करने हुए गेरहार्ड श्रोएडर से उनका ऑफिस छीनने के साथ स्टाफ हटाने का ऐलान किया है. यूरोपियन यूनियन की नाराजगी के बीच गेहार्ड पर ये कार्रवाई की गई है.

Gerhard Schroeder Photo: Social media

Former German chancellor stripped of his office over Putin ‘lobbying’: जर्मनी (Germany) के सांसदों ने बृहस्पतिवार को पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर से उनका दफ्तर छीन लेने और उनके मातहत काम करने वाले पूरे स्टाफ को हटाने पर सहमति जताई है. श्रोएडर ने यूक्रेन पर हमले के बावजूद रूस और उसके ऊर्जा क्षेत्र के साथ संबंधों को बरकरार रखा और उनका बचाव किया था.

ऑफिस छीना-स्टाफ भी हटाया

आपको बतारे चलें कि ग्रीन्स पार्टी के फाइनेंसियल पॉलिसी प्रवक्ता स्वेन किंडलर (Sven Kindler) ने ट्वीट कर इस फैसले की जानकारी साझा की है. अपने ट्वीट में उन्होंने साफ किया है कि संसद की बजट समिति ने पुराने नियमों में बदलाव को मंजूरी दे दी है जिसके बाद श्रोएडर का ऑफिस तत्काल प्रभाव से छीन लिया जाएगा.

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पुतिन से नजदीकी पड़ी भारी

आपको बता दें कि पूरी दुनिया की नजरें इस वक्त रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) पर लगी है. ऐसे में अमेरिका (US) और पश्चिमी देशों खासकर पूरे यूरोप के जनमानस में पुतिन का भारी विरोध हो रहा है. उन्हें मानवता का दुश्मन तक बताया गया है. इन देशों ने पुतिन और उनके खास सिपहसालारों समेत मॉस्को के बड़े बड़े व्यापारियों पर भी आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. हालांकि इसके बाद रूस ने भी जैसे को तैसा का जवाब देते हुए कार्रवाई की है. इस बीच कहा जा रहा है कि पुतिन के साथ जर्मनी के पूर्व चांसलर की नजदीकी आखिरकार उन्हें भारी पड़ गई. बता दें कि यूरोपियन यूनियन (EU) ने भी श्रोएडर पर कार्रवाई का समर्थन किया है.

कौन हैं श्रोएडर? 

78 साल के सीनियर नेता श्रोएडर ने 1998 से 2005 तक जर्मनी का शासन संभाला था. उन्हें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का करीबी माना जाता है. श्रोएडर पिछले कुछ महीनों से लगातार रूस की सरकार द्वारा नियंत्रित ऊर्जा कंपनियों के लिए काम करने की वजह से अपने देश में अलग-थलग पड़ते जा रहे थे. वह रूस की सरकारी एनर्जी कंपनी रोजनेफ्ट के सुपरवाइजरी बोर्ड के प्रमुख भी हैं. यही वजह है कि उनके खिलाफ ये बड़ी कार्रवाई की गई है.

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