फ्रांस के राष्ट्रपति ने यह सौदा दो देशों के सरकारों के बीच हुआ था. उन्होंने ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच मजबूत साझेदारी है.
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नई दिल्ली: रफाल सौदों पर फ्रांस के राष्ट्रपति का समर्थन मिला है. फेंच प्रेसीडेंट एमैनुएल मैक्रों का कहना है कि पीएम मोदी इस बारे में सच कह रहे हैं. यह सौदा दो देशों के सरकारों के बीच हुआ था. फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच मजबूत साझेदारी है. मैं किसी और बात पर कॉमेंट नहीं करना चाहता हूं. बता दें राफेल करार के मुद्दे पर भारत में बड़ा विवाद पैदा हो चुका है. यह विवाद फ्रांस की मीडिया में आई उस खबर के बाद पैदा हुआ जिसमें पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि राफेल करार में भारतीय कंपनी का चयन नई दिल्ली के इशारे पर किया गया था.
इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि राफेल करार ‘सरकार से सरकार’ के बीच तय हुआ था और भारत एवं फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों को लेकर जब अरबों डॉलर का यह करार हुआ, उस वक्त वह सत्ता में नहीं थे. संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के इतर एक प्रेस कांफ्रेंस में मैक्रों से पूछा गया था कि क्या भारत सरकार ने किसी वक्त फ्रांस सरकार या फ्रांस की दिग्गज एयरोस्पेस कंपनी दसाल्ट से कहा था कि उन्हें राफेल करार के लिए भारतीय साझेदार के तौर पर रिलायंस को चुनना है.
strong partnership between India and France regarding Defence. I don’t want to comment on any other thing, says French President Emmanuel Macron on #RafaleDeal pic.twitter.com/J9DugZIxnQ
— ANI (@ANI) September 26, 2018
मैक्रों ने मंगलवार को कहा था,‘मैं बहुत साफ-साफ कहूंगा. यह सरकार से सरकार के बीच हुई बातचीत थी और मैं सिर्फ उस बात की तरफ इशारा करना चाहूंगा जो पिछले दिनों प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने बहुत स्पष्ट तौर पर कही.’ मैक्रों ने राफेल करार पर विवाद पैदा होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा था,‘मुझे और कोई टिप्पणी नहीं करनी. मैं उस वक्त पद पर नहीं था और मैं जानता हूं कि हमारे नियम बहुत स्पष्ट हैं.’
क्या कहा था ओलांद ने?
पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने ‘मीडियापार्ट’ नाम की एक फ्रांसीसी खबरिया वेबसाइट से कहा था कि भारत सरकार ने 58,000 करोड़ रुपए के राफेल करार में फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट के भारतीय साझेदार के तौर पर उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस के नाम का प्रस्ताव दिया था और इसमें फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था.
मीडिया रिपोर्ट में ओलांद के हवाले से कहा गया था,‘भारत सरकार ने इस सेवा समूह का प्रस्ताव किया था और दसाल्ट ने (अनिल) अंबानी समूह के साथ बातचीत की. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, हमने वह वार्ताकार लिया जो हमें दिया गया.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद से बातचीत के बाद 36 राफेल विमानों की खरीद का ऐलान किया था. करार पर अंतिम मुहर 23 सितंबर 2016 को लगी थी.
(इनपुट - भाषा)