गौरी लंकेश हत्या: मानवाधिकार संगठन 'ह्यूमन राइट्स वॉच' ने की शीघ्र जांच की मांग
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गौरी लंकेश हत्या: मानवाधिकार संगठन 'ह्यूमन राइट्स वॉच' ने की शीघ्र जांच की मांग

5 सितंबर को बेंगलुरु में अज्ञात हमलावरों ने ‘गौरी लंकेश पत्रिके’ की प्रकाशक एवं संपादक गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

‘गौरी लंकेश पत्रिके’ की प्रकाशक एवं संपादक गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ हैदराबाद में विरोध-प्रदर्शन करते वामपंथी नेता. (IANS Photo/7 September, 2017)

न्यूयॉर्क/दिल्ली: मानवाधिकार संगठन 'ह्यूमन राइट्स वॉच' ने मुखर भारतीय पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या मामले की शीघ्र जांच की मांग करते हुए कहा है कि हत्या के ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ होने की ‘‘संभावना’’ की पूर्ण जांच कराये जाने की आवश्यकता है. लंकेश (55) को वाम विचारधारा के प्रति झुकाव रखने और हिंदुत्व राजनीति पर बेबाक राय रखने के लिये जाना जाता था. मंगलवार (5 सितंबर) को बेंगलुरु में अज्ञात हमलावरों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने कहा कि भारतीय अधिकारियों को ‘‘मुखर पत्रकार’’ लंकेश की हत्या मामले में घोषित जांच पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने ‘‘लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और नागरिक स्वतंत्रता’’ के लिये अभियान चलाया और जो हिंदू राष्ट्रवाद की मुखर आलोचक रहीं.

ह्यूमन राइट्स वॉच में दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, ‘‘गौरी लंकेश की हत्या के उद्देश्यों का पता लगाया जा रहा है, लेकिन हत्या के राजनीति से प्रेरित होने की संभावना की पूर्ण एवं शीघ्र जांच कराये जाने की आवश्यकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय अधिकारियों को लंकेश के हत्यारों को न्याय के कटघरे में लाने और मीडिया की आजादी तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करने की आवश्यकता है.’’ लंकेश ‘गौरी लंकेश पत्रिके’ की प्रकाशक एवं संपादक थीं.

दुनियाभर के पत्रकारों की मांग, गौरी लंकेश की हत्या की तेजी से हो जांच

जानी-मानी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से देश ही नहीं, दुनिया स्तब्ध है. दक्षिण एशिया, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के संपादकों, लेखकों और मीडिया पेशेवरों ने एकजुट होकर प्रदर्शन करते हुए इस नृशंस हत्या की जांच तेजी से कराने की मांग की है, ताकि पता चल सके, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बंदूक से हिलाने की कोशिश किसने की? संपादकों और मीडिया पेशेवरों के अनौपचारिक संगठन दक्षिण एशिया मीडिया डिफेंडर्स नेटवर्क ने कर्नाटक की अग्रणी संपादक और पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर की शाम कुछ नकाबपोशों द्वारा उनके घर पर जाकर गोली मारकर हत्या कर दिए जाने पर अपने गुस्से का इजहार किया. नेटवर्क के सदस्यों में सिद्धार्थ वरदराजन, निधि राजदान, प्रदीप फंजॉबम, तरुण बसु, विजय नाइक, कविता बजेली दत्त, महेंद्र वेद, रीता पायने, जॉन जुब्राजिकी, डेविड ब्रेवर और विलियम हॉर्सले शामिल हैं.

संगठन के अन्य सदस्यों के साथ इन पत्रकारों ने कहा कि वे गौरी के परिवार और उनके सहयोगियों के साथ खड़े हैं. वे इस जघन्य हत्या की त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं और यह जानना चाहते हैं कि किन परिस्थितियों में इस वारदात को अंजाम दिया गया. हत्यारों और साजिश रचने वालों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाए. संगठन ने गुरुवार (7 सितंबर) को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है, "ऐसे समय में जब अभिव्यक्ति की आजादी का दायरा हर जगह सिकुड़ रहा है, यह जीवन की भंगुरता की याद दिलाता है. इस खतरे का सामना मीडिया पेशेवरों को दुनिया में कहीं भी खड़े होने पर करना पड़ता है. ये हालात तब हैं, जब भारत के बेंगलुरू शहर को सिलिकॉन वैली के तौर पर पेश किया जा रहा है और इसे निवेश व जीवन के लिए सुरक्षित बताया जा रहा है."

पत्रकारों व मीडिया पेशेवरों ने कहा, "हम कर्नाटक सरकार व राज्य पुलिस व केंद्र सरकार से मामले में प्रभावी कदम उठाए जाने और हत्या की परिस्थितियों की जांच व हत्यारों को सजा दिलाए जाने की मांग करते हैं." विरोध प्रदर्शन में कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव के स्तंभकार व लेखक संजय हजारिका, आईएएनएस के पूर्व मुख्य संपादक व निदेशक तरुण बसु, लेखिका व संपादक मृणाल पांडे, एनडीटीवी की कार्यकारी संपादक निधि राजदान, लंदन के स्वतंत्र मीडिया सलाहकार डेविड ब्रावर, द डेली स्टार के संपादक व प्रकाशक महफूज आनाम के अलावा मीडिया जगत से जुड़ी तमाम हस्तियां शामिल थीं.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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