जर्मनी: दो विश्वयुद्ध में मिली हार की जिल्ल्त, फिर भी आर्थिक महाशक्ति बन गया यह देश
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जर्मनी: दो विश्वयुद्ध में मिली हार की जिल्ल्त, फिर भी आर्थिक महाशक्ति बन गया यह देश

जर्मनी ने विश्वयुद्ध ही नहीं उनसे पहले भी कई त्रासदियां झेली हैं और हर बार वह मजबूती से उबर कर उठा है. 

एंजिला मोर्केल 2005 से जर्मनी की चांसलर हैं.  (फोटो: Reuters)

नई दिल्ली: जर्मन संघीय गणराज्य मध्य यूरोप का बड़ा देश है. यह यूरोप की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों में से एक है. जर्मनी के बारे में लोगों के जहन में हिटलर, दो विश्व युद्ध खासकर द्वितीय विश्व युद्ध में यहूदियों पर जुल्म का ध्यान जाता है. लेकिन इन तमाम बातों के सच रहते एक बड़ा सच यह भी है कि आज जर्मनी एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति है. यह एक वाकई काफी दिलचस्प कहानी है कि दो विश्वयुद्ध छेड़ने वाले इस देश को दोनों बार जिल्लत की हार का सामना करना पड़ा उसके बाद भी कैसे जर्मनी उठ खड़ा हुआ और उसने खुद को दुनिया की एक आर्थिक महाशक्ति में बदल दिया. 

द्वितीय विश्व युद्ध में हार के बाद बहुत जिल्लत झेली
युद्ध के बाद दो टुकड़ों में बंट कर शीत युद्ध का शिकार रहा जर्मनी बिखर ही गया था, लेकिन 1990 में जर्मनी एक हुआ और ऐसी खुद को एक बार फिर बड़ी शक्ति के रूप में खुद को स्थापित कर दिया. इतिहास में भी कई बार बिखरा रहा जर्मनी 19वीं सदी में एक बड़ा साम्राज्य बना, 20वी सदी में दो विश्व युद्ध छेड़ने का जिम्मेदार जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद और पश्चिम (जर्मन संघीय गणराज्य) और पूर्वी (जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य) जर्मनी में बंट गया. 

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जर्मन के लोग काम में होते हैं दक्ष
जर्मनी का इतिहास और उसका भूगोल उसे एक खास क्षेत्र तो बनाता ही है, लेकिन सबसे खास बात है यहां के लोग जिनकी जीवटत. इसी ने जर्मनी को यूरोप का सबसे बड़ा औद्योगिक और सफल देश बनाया है. यहां के लोग ही हैं जिन्होंने इतिहास में तमाम तरह की त्रासदियों से ऊपर उठ कर मिसालें कायम की हैं. जर्मनों को बहुत ही कार्यकुशल, समय और नियमों में काफी सख्त किस्म का माना जाता है. वे अपनी गुणवत्ता के लिए बहुत मशहूर हैं जो कि उनके काम के साथ-साथ उनके उत्पादों में भी दिखाई देती है. जर्मन औजार दुनिया में सबसे सटीक (और सबसे भारी भी) माने जाते हैं. इसके अलावा जर्मनी की कई खास बातें हैं जिन्हें लोग नहीं जानते हैं. जर्मनी ने दुनिया को बेहतरीन संगीतज्ञ, दार्शनिक और कवि दिए हैं. 

शीत युद्ध में बंटने के बाद भी की तरक्की
पश्चिम जर्मनी ने यूरोपीय संघ और नाटो का अहम सदस्य बना जबकि कम्युनिस्ट पूर्वी जर्मनी सोवियत संघ का प्रमुख सहयोगी बना. सोवियत संघ के विघटन से बाद से जर्मनी का एकीकरण संभव हो सका. एकीकरण के बाद से जर्मनी ने तेजी से तरक्की की और यूरोपीय संघ का प्रमुख देश बना. 2005 में एंजिला मार्केल जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं. मार्केल ने जर्मनी को तमाम मुश्किलों के बाद भी आगे ही रखा है. जर्मनी की सबसे बड़ी ताकत यहां की श्रम शक्ति है. आज भले ही जर्मनी श्रम के मामले में चुनोतियों से घिरा हो, लेकिन दुनिया जानती है कि जर्मनों ने इससे भी बुरे समय से खुद को निकाल कर बेहतर साबित किया है. 

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फ्रैंकफर्ट जर्मनी के प्रमुख शहरों में से एक है.  (फोटो: Reuters)

भौगोलिक स्थिति बनाती है जर्मनी को खास
357,022 वर्ग किलोमीटर (137,849 वर्ग मील) में फैले जर्मनी के उत्तर में उत्तरी सागर और बाल्टिक सागर हैं जिनके बीच का जमीनी हिस्सा डेनमार्क से लगा है. पश्चिम में नीदरलैंड्स, बेल्जियम, लक्जमबर्ग और दक्षिण पश्चिम में फ्रांस की सीमा है. दक्षिण में स्विट्जरलैंड, और ऑस्ट्रिया हैं. दक्षिण पूर्व में पहाड़ी क्षेत्र चेक गणराज्य से सीमा बनाते हैं, जबकि पूर्व में पोलैंड स्थित है. स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम जर्मनी से समुद्री सीमा बांटते हैं. 

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बड़ा भूभाग बनाता है यूरोप में सबसे खास
जर्मनी को उत्तर में निम्नभूमि, मध्य भाग में उच्च भूमि और दभिण में आल्प्स के पर्वत के तीन भागों में बांटा  जा सकता है. उच्च भूमि से ऐम्स, वेजर, एल्बे,  ओडर जैसी नदियां उत्तरी मैदानी भाग में बहती हुई उत्तरी सागर और बाल्टिक सागर में मिल जाती हैं. यहां बहुत सी बड़ी झीलें भी हैं. मध्य भाग में कई पर्वत श्रेणियां हैं जिनमें ओर, थुरिंगियन, इफेल, हार्ज अलग अलग जगहों पर मौजूद हैं. इस भूभाग में कुछ नदियां पश्चिम से पूर्व, तो कुछ पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं. मेन नदी पूर्व की ओर बहती है, जबकि डेनब्यू नदी पूर्व में काला सागर की ओर बहती है. राइन नदी पहले स्विट्जरलैंड की सीमा पर, फिर फ्रांस की सीमा के किनारे से होते हुए उत्तर की ओर बहकर पश्चिम में नीदरलैंड्स में जाकर उत्तरी सागर में मिल जाती है. 

एक बड़ी शक्ति- राजनैतिक, आर्थिक और सैन्य भी
जर्मनी यूरोप का 7वां सबसे बड़ा देश है. यहां 8 करोड़ 17 लाख लोगों की आबादी है. राजधानी बर्लिन देश की सबसे बड़ा शहर है. यहां की राजभाषा जर्मन है जबकि लगभग आधे लोग अंग्रेजी बोल लेते हैं. ज्यादातर लोग ईसाई धर्म को मानते हैं जिनमें से आधे प्रोस्टेंट और आधे रोमन कौथोलिक समप्रदाय के लोग हैं. यूरोपीय संघ का अहम सदस्य जर्मनी की मुद्रा यूरो है. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यह जी7 का प्रमुख सदस्य है. ऑटोमोबाइल की दुनिया में जर्मनी की बादशाहत है. जर्मन कम्पनियां फोक्सवैगन, बीएमडब्ल्यू, ऑडी जैसी कंपनियों का भारत सहित दुनिया भर में बड़ा बाजार है. 

जर्मनी की वर्तमान शासन व्यवस्था
जर्मनी 16 राज्यों का एक संघीय जनतांत्रिक गणराज्य है जहां संसदीय शासन व्यवस्था है. यहां के संविधान को ग्रुन्द्गेसेत्ज कहा जाता है. यहां राष्ट्रपति (बुंदेजप्रसिदेंत) सबसे उच्च पद है, लेकिन सबसे ताकवर पद यहां के चांसलर (बुंदेस्कांज्लेर) का माना जाता है. जिसके मंत्रिमंडल में 15 मंत्री होते हैं. 

जर्मनी का इतिहास 
जर्मनी के बारे में उसका इतिहास बताता है कि दो विश्वयुद्ध और उसकी त्रासदियां केवल एक हिस्सा भर हैं. जर्मनी में रहने वाली प्रजातियां नोर्डिक कांस्य युग और पूर्व रोमन युग में जर्मनी और उसके आसपास के इलाके में रहती थीं. तीसरी सदी तक यहां अनेक जर्मन प्रजातियां- अलेमानी, फ्रैंक्स, सैक्सन्स, फिरीसी, सिकांब्री, वगैरह पनपीं. रोमन साम्राज्य के विघटन के बाद फ्रैंक साम्राज्य का दक्षिण में विस्तार हुआ. वहीं पूर्वी जर्मनी में स्लाव जातियां का प्रभाव बढ़ा. 

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त्रासदियों के बाद भी इन मामलें में पनपा जर्मनी
9वीं सदी में फ्रैंक साम्राज्य अपने चरम पर था. शार्लमेन ने पवित्र रोमन साम्राज्य की स्थापना की जिसके मरने के बाद जर्मनी तीन भागों में बंट गया. 12वीं सदी से जर्मन प्रिंसों का प्रभाव एक बार फिर से बढ़ने लगा लेकिन जर्मनी पवित्र रोमन साम्राज्य के अधीन ही रहा. 1315 में भीषण अकाल और उसके बाद सदी के मध्य में प्लेग की महामारी ने जर्मनी की जनसंख्या को आधा कर दिया. इन त्रासदियों के बावजूद जर्मनी कला, इंजिनियरिंग और वैज्ञानिक विकास हुआ. प्रिंटिंग की कला के विकास से लोगों में शिक्षा का प्रसार भी हुआ. 

मार्टिन लूथर और उनके बाद का समय
16वीं सदी में मार्टिन लूथर नाम के एक पादरी ने चर्च की अनेक परंपराओं का विरोध किया जिसने बाद में एक जनआंदोलन का रूप ले लिया. इसके फलस्वरूप ईसाई धर्म के परंपराओं में कई सुधार देखने को मिले. 17वीं सदी में एक बार फिर जर्मनी को युद्ध, अकाल, और महामरी ने तहस नहस कर दिया. कई इलाकों में तो आधी से भी ज्यादा आबादी मारी गई. 18वीं सदी में प्रशिया साम्राज्य, जो कि लगभग 300 इकाइयों को समूह था, में जर्मन शासन में कई सुधार देखने को मिले. 15वीं से 18वीं सदी तक ऑस्ट्रिया के शाही परिवार (हैब्सबर्ग राजशाही) का पवित्र रोमन साम्राज्य पर कब्जा रहा. 18वी सदी के मध्य में हैब्सबर्ग राजशाही और प्रशिया राजशाही के बीज जर्मनी का प्रभुत्व बंटा रहा.  

बिस्मार्क- जर्मनी के लौह पुरुष 
19वीं सदी में आधुनिक जर्मनी के निर्माण की नींव पड़ी. पवित्र रोमन साम्राज्य खत्म हो गया और प्रशिया साम्राज्य की शक्ति बढ़ती गई. उदारवादी आंदोलन भी बढ़े. 1870 के दशक तक में बिस्मार्क (प्रशिया के पहले चांसलर) ने आस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस को हराया कर जर्मनी (प्रशिया) को मजबूत किया. इस दौरान बर्लिन प्रशिया की राजधानी हो गई. बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण और उनकी सफल विदेश नीति के लिए याद किया जाता है. 

प्रशिया शासन की विशेषताएं
वैसे तो प्रशिया में राजशाही ही थी, लेकिन प्रशिया को उसी शानदार प्रशियासन व्यवस्था के लिए भी जाना जाता है. आधुनिक संसार में नौकरशाही ( जिसे ब्यूरोक्रेसी कहा जाता है) प्रशिया की ही देन है. प्रशिया से ही प्रशियासन में गैर चुने गए सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति होना शुरू हुई. इसकी सबसे खास बात व्यवस्थित प्रशियासन और उसका संगठन थी. 19वीं सदी में जर्मनी के विचारकों जॉन स्टुअर्ट मिल, मैक्स वैबर, का प्रभाव बहुत ज्यादा रहा जो कि जर्मनी की प्रशियासन व्यवस्था में भी दिखा. 

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कार्लमार्क्स जर्मनी के ही थे
दुनिया में साम्यवाद और समाजवाद जैसे विचारों के पैरोकार चिंतक कार्ल मार्क्स जर्मनी के ही थे. उन्होंने यहीं अपनी मशहूर किताब दास कैपिटल लिखी थी जो कि पूंजीवाद के खिलाफ एक ठोस दस्तावेज माना जाता है. 1883 में उनकी मौत के 34 साल बाद रूस में उनकी विचारधारा को तरजीह देते हुए वहां की शासन व्यवस्था साम्यवादी बनी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद साम्यवाद और समाज वाद दोनों ही तेजी से दुनिया में बढ़ा. 

प्रथम विश्व युद्ध और उसके
जर्मनी के एकीकरण के बाद जर्मनी में 19वीं सदी के अंत तक जर्मनी ने कई उपनिवेश बना लिए जिनमें अफ्रीका ( नामीबिया, रवांडा, बुरांडी, तन्जानिया) के कुछ भाग शामिल थे. प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के बाद जर्मन क्राति से यहां राजशाही का अंत हुआ. वर्सा संधि के तहत जर्मनी को मित्र राष्ट्रों के नुकसान की भरपाई के लिए भारी हर्जाना देना पड़ा. प्रथम विश्व युद्ध में लगभग 20 लाख जर्मन सैनिक मारे गए थे. 

प्रथम विश्व युद्ध के बाद का जर्मनी
इतिहासकारों का मानना है कि 1919 की वर्सा संधि को जिस तरह से जर्मनी पर थोपा गया, उसी ने हिटलर के उदय की भूमिका रखी. 925 तक 18 राज्यों के संघीय गणराज्य की स्थापना हुई.  1919 से 1933 तक वीमियर संविधान के दौरान जर्मनी में राजनैतिक अस्थिरता रही. 1929 में आर्थिक मंदी ने जर्मनी की मुसीबतों को बढ़ा दिया. 1932 में हिटलर की नाजी पार्टी को जीत मिली और 1933 में हिटलर जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया गया. हिटलर ने इस दौरान सेना को मजबूत किया. यहूदियों के लिए अलग से कठिन कानून बनाए और ऑस्ट्रिया और चेकेस्लोवाकिया पर कब्जा कर लिया. 

द्वितीय विश्व युद्ध 
1939 में जर्मनी के पोलैंड पर हलमे से द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ. लगभग पूरे यूरोप पर कब्जा होने के बाद जर्मन सेनाओं का लगातार हार का सामना करना पड़ा और 1945 में हिटलर की आत्महत्या और ब्रिटेन और सोवियत संघ की सेनाओं के बर्लिन के कब्जे से युद्ध समाप्त हो गया. बताया जाता है कि नाजी अत्याचारों में करीब एक करोड़ नागरिक मारे गए. वहीं 50 लाख से ज्यादा जर्मन सैनिक और 9 लाख जर्मन नागरिकों की भी मौत हुई. 

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