Climate Change and Undergroung Living:  इसमें कोई दो मत नहीं कि पिछले दो दशकों में वैश्विक स्तर पर मौसम का मिजाज जबरदस्त तरीके से स्विंग करता रहा है. इसका अर्थ यह है कि बेमौसम अधिक बारिश, ठंड का अपने तय समय से आगे बढ़ जाना, गर्मी में आसमानी आग के गोले की बारिश से पूरी दुनिया दो चार हो रही है. यहां सवाल यह कि इस तरह के हालात से बाहर निकलने का रास्ता क्या है. 


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इस वजह से गर्मी


धरती की सतह पर चट्टानों की मौजूदगी, हद से अधिक प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की वजह से वैश्विक स्तर पर तापमान में इजाफा हो रहा है. इस तरह की सूरत में क्या जमीन के अंदर यानी पाताल लोक में रहने का विकल्प व्यवहारिक है. अगर 2023 से पहले की बात करें तो  2016 सबसे अधिक गर्म वर्ष था. इससे बचने के लिए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के कूबर पेडी इलाके में करीब 60 फीसद लोग जमीन के अंदर रहना शुरू कर दिए. कूबर पेडी वहां का स्थानीय शब्द है जिसका अर्थ है कि जमीन के अंदर श्वेत शख्स. अगर कूबर पेडी की बात करें तो गर्मी के दिनों में 52 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान और ठंड के दिनों में 2 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की तुलना में जमीन के अंदर औसत तापमान 23 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है.


जमीन के नीचे रहने का विकल्प


धरती के अंदर रिहाइश बनाने के लिए कूबर पेडी के लोगों ने जमीन की सतह से करीब 2.5 मीटर अपना आशियाना बनाते हैं ताकि छत नीचे ना गिरे. लेकिन बड़े पैमाने पर यह तरीका अभी इस्तेमाल में नहीं लाया जा रहा है. 1960 और 70 के दशक में स्थानीय लोगों ने जमीन के अंदर छेद किए और विस्फोटकों की मदद से घर बनाने का काम शुरू किया.हालांकि बदलते समय के साथ अत्याधुनिक औजारों की मदद से घरों का निर्माण करते है. कभी कभी वो हाथों से भी निर्माण करते हैं. यही नहीं कुछ लोगों को इसका फायदा दूसरे तरीके से मिला. जमीन के अंदर घर बनाने की प्रक्रिया में एक शख्स को 1.5 मिलियन ऑस्ट्रेलिन डॉलर का कीमती ओपल मिल गया.