नेपाल में सरकार गठन की समयसीमा खत्म होने के करीब है, लेकिन अभी तक बहुमत के लिए राजनीतिक दल अगर-मगर कर रहे हैं.
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काठमांडू: नेपाल (Nepal) में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (K.P. Sharma Oli) के सोमवार को विश्वास मत खोने के बाद राष्ट्रपति ने गुरुवार रात तक सरकार गठन की समयसीमा तय की थी, लेकिन नेपाल के राजनीतिक दल अपने धड़ों के बीच गुटबाजी के चलते अभी तक इस मामले पर कोई सहमति कायम नहीं कर पाए हैं.
शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री पद के लिए दावा पेश करने का निर्णय लिया था, लेकिन गठबंधन सरकार बनाने की उसकी कोशिशों को तब झटका लगा जब महंत ठाकुर की अगुवाई वाली जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-एन) के एक वर्ग ने साफ कर दिया कि वह सरकार गठन की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेगा. ठाकुर के नेतृत्व वाले धड़े के प्रतिनिधि सभा में करीब 16 मत हैं. जबकि नेपाली कांग्रेस के पास 61 मत हैं. उसे नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी मध्य) का समर्थन हासिल है, जिसके पास 49 मत हैं.
कांग्रेस-माओवादी मध्य के गठबंधन को उपेन्द्र यादव नीत जनता समाजवादी पार्टी के करीब 15 सांसदों का भी समर्थन हासिल है. लेकिन इन तीनों दलों के पास कुल 125 मत हैं जो 271 सदस्यीय सदन में बहुमत के आंकड़े 136 से 11 मत कम हैं. सरकार गठन के लिए दी गई समयसीमा गुरुवार रात को खत्म हो रही है, ऐसे में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने विपक्षी दलों से बहुमत की ओर बढ़ रहे गठबंधन का समर्थन करने की अपील की है.
सीपीएन-यूएमएल के माधव कुमार नेपाल-झालानाथ खनल धड़े से संबंध रखने वाले सांसद भीम बहादुर रावल (Bhim Rawal) ने गतिरोध खत्म करने के लिए मंगलवार को दोनों नेताओं के करीबी सांसदों से नई सरकार का गठन करने के लिए संसद सदस्यता से इस्तीफा देने का आग्रह किया. रावल ने बुधवार को ट्वीट किया कि ओली नीत सरकार को गिराने के लिए उन्हें संसद सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए.
असाधारण समस्याको समाधान गर्न असाधारण पाइला चाहिन्छ।थप राष्ट्रिय हित,पार्टी विधान विपरीत र अलोकतान्त्रिक कार्य गर्नबाट प्रमं केपीलाई रोक्न पदमुक्त गर्नु आवश्यक छ।त्यसका लागि हामीले सांसद पदबाट राजीनामा गरी स्थिति निर्माण गर्नुपर्छ।यो राजनीतिक नैतिकता र कानूनी दृष्टिले धेरै उचित छ।
— Bhim Rawal, PhD (@BhimRawal179) May 12, 2021
उन्होंने लिखा, 'असाधारण समस्याओं के समाधान के लिए असाधारण कदम उठाए जाने की जरूरत होती है. प्रधानमंत्री ओली को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ अतिरिक्त कदम उठाने से रोकने के लिए उनकी सरकार गिराना जरूरी है. इसके लिए हमें संसद की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए. राजनीतिक नैतिकता और कानूनी सिद्धांतों के लिहाज से ऐसा करना उचित है.'
बताते चलें कि यदि नेपाल-खनल धड़े के यूएमएल के 28 सांसद एक साथ संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे देते हैं तो नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-माओवाद मध्य के लिए जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-एन) के एक धड़े के सांसदों का समर्थन लिए बिना भी नई सरकार के गठन की राह आसान हो जाएगी. वहीं अगर यूएमएल के 28 सांसद सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देते हैं तो 271 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में सांसदों की संख्या घटकर 243 रह जाएगी, जिसके बाद बहुमत का आंकड़ा भी कम हो जाएगा और नेपाली कांग्रेस तथा सीपीएन-माओवाद मध्य गठबंधन आसानी से सरकार गठन कर सकता है.
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