ब्रिटेन ने पाकिस्तान को लगाई लताड़, कहा-अल्पसंख्यकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा जरूरी
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ब्रिटेन ने पाकिस्तान को लगाई लताड़, कहा-अल्पसंख्यकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा जरूरी

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British Prime Minister Boris Johnson) ने पाकिस्तान सरकार को जमकर लताड़ लगाई है और देश के सभी नागरिकों के मूलभूत अधिकारों (Guarantee Fundamental right) की रक्षा की गारंटी लेने को कहा है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British Prime Minister Boris Johnson) ने पाकिस्तान सरकार को जमकर लताड़ लगाई है और देश के सभी नागरिकों के मूलभूत अधिकारों (Guarantee Fundamental right) की रक्षा की गारंटी लेने को कहा है. ये मामला ब्रिटेन की संसद में उठा था, जिसके बाद जॉनसन ने संसद में ही बयान दिया.

  1. ब्रिटिश संसद में उठा पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मुद्दा
  2. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पाकिस्तान को लगाई लताड़
  3. पाक सरकार की करतूतों को उजागर करती रही है भारत सरकार

अहमदी नागरिक की हत्या के बाद मुद्दा गरमाया
पेशावर में पिछले दिनों महमूद खान नाम के अहमदी नागरिक की हत्या के बाद मामला गरम हो गया. पेशावर में पिछले कुछ समय में ये चौथे अहमदी नागरिक की हत्या की घटना थी, जिसके बाद इस मुद्दे को ब्रिटिश संसद में उठाया गया. ब्रिटेन में दक्षिण एशिया और कॉमनवेल्थ देशों के मामलों के मंत्री लॉर्ड अहमद और पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने इस मामले पर ब्रिटेन सरकार के रूख के बारे में पूछा था, जिसके बाद बोरिस जॉनसन ने कहा कि हम मानवाधिकारों के हनन और अल्पसंख्यकों की हत्याओं और उनपर हो रहे अपराधों को लेकर आंख नहीं बंद कर सकते.

राज्य आधारित जनसंहार हों बंद: ब्रिटिश सरकार
संसद में एक सांसद ने कहा कि पाकिस्तान में होने वाली हरकतों का असर ब्रिटेन की सड़कों पर भी दिखता है. जिसके बाद सरकार मे कहा कि राज्य आधारित अल्पसंख्यकों की हत्याएं और उनके उत्पीड़न की घटनाएं बंद होनी चाहिए

भारत लगातार उजागर करता रहा है पाक की हरकतें
भारत सरकार लगातार पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का मुखर विरोध किया है. खासकर हिंदुओं, सिखों, इसाइयों पर हो रहे अत्याचार और उनके जबरन धर्मपरिवर्तन की घटनाओं पर तीखा विरोध जताया गया है. पिछले सप्ताह ही भारत सरकार ने दिल्ली में पाकिस्तानी राजनयिक को तलब किया था और करतारपुर साहिब गुरुद्वारे (Kartarpur Sahib Gurudwara) का कामकाज ऐसी कमेटी को सौंपने का विरोध किया था, जिसमें एक भी सिख नहीं हैं.

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