ईरान के राष्ट्रपति रुहानी ने लगाई डोनाल्ड ट्रंप को फटकार, कहा- लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार
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ईरान के राष्ट्रपति रुहानी ने लगाई डोनाल्ड ट्रंप को फटकार, कहा- लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार

रुहानी ने कहा, "कोई भी जो ईरानी लोगों को आतंकवादी कहता है, उसे लोगों से सहानुभूति जताने का अधिकार नहीं है."

ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी. (फाइल फोटो)

तेहरान: ईरान के राष्ट्रपति ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर अपनी पहली टिप्पणी में कहा है कि ईरान के लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से खुद को अभिव्यक्त करने का अधिकार है. सरकारी आईआरएनए न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राष्ट्रपति हसन रुहानी ने कहा, "ईरान स्वतंत्र राष्ट्र है और संवैधानिक नियमों के अनुसार, लोगों को अपनी आलोचना व विरोध प्रदर्शन को जाहिर करने का अधिकार है." लेकिन, इसके साथ ही रुहानी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का मकसद देश के हालात व लोगों के जीवन में सुधार लाना होना चाहिए. ईरान के राष्ट्रपति ने अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान में प्रदर्शनों के संदर्भ में की गई टिप्पणी की निंदा की. एक अन्य जानकारी के मुताबिक 31 दिसंबर की रात ईरान में जारी विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गयी और सशस्त्र प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने और सैन्य ठिकाने पर कब्जा करने की कोशिश की थी.

  1. ईरान में जारी विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 12 लोगों की मौत.
  2. प्रदर्शनों की शुरुआत बृहस्पतिवार (28 दिसंबर) को मशहद में हुई.
  3. जीवनयापन की बढ़ती लागत और चरमराती अर्थव्यवस्था को लेकर जनता में गुस्सा.

रुहानी ने कहा, "कोई भी जो ईरानी लोगों को आतंकवादी कहता है, उसे लोगों से सहानुभूति जताने का अधिकार नहीं है." भ्रष्टाचार व मूल्य वृद्धि के खिलाफ चार दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद रुहानी ने यह टिप्पणी रविवार को अपनी कैबिनेट बैठक के दौरान की. पश्चिमी ईरान के प्रांत लोरेस्तान के उप राज्यपाल हबीबुल्लाह खोजस्तेपोर ने कहा कि प्रांत में विरोध के दौरान शनिवार (30 दिसंबर) को दो लोगों की मौत हो गई.

अर्धसरकारी समाचार एजेंसी आईएसएनए के अनुसार, खोजस्तेपोर ने कहा कि शनिवार की रात को लोरेस्तान के दोरूद शहर में दो नागरिकों की मौत हुई. उन्होंने कहा कि अधिकारी शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करना चाहते थे. उन्होंने दोरूद की घटना को 'दंगा' करार दिया और कहा कि इसके पीछे तकफीरी (सुन्नी चरमपंथी) और विदेशी खुफिया एजेंसियों का हाथ था. ईरान एक शिया बहुल देश है.

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इससे पहले 31 दिसंबर को ईरान में लगातार तीन दिन से चल रहे प्रदर्शन में दो लोगों के मारे जाने और दर्जनों के गिरफ्तार होने के बाद सरकार ने चेतावनी दी कि प्रदर्शनकारियों को इसकी ‘कीमत चुकानी’ होगी. दोरूद शहर के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि प्रदर्शन के दौरान दो लोग मारे गए लेकिन उन्होंने इस बात से इंकार किया कि सुरक्षाबलों ने भीड़ पर गोलीबारी की थी.

लोरेस्तान प्रांत के डिप्टी गवर्नर हबीबुल्लाह खोजास्तेहपुर ने सरकारी टेलीविजन पर कहा था, ‘विपक्षी समूहों के आह्वान पर काफी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.’ उन्होंने कहा था, ‘दुर्भाग्य से इन संघर्षों में दोरूद के दो नागरिक मारे गए. पुलिस, सेना या सुरक्षाबलों ने लोगों पर कोई गोली नहीं चलाई.’  अर्द्ध सरकारी संगठनों ने तेहरान में एक टाउन हॉल पर शाम के समय हमला होने की पुष्टि की और दिखाया कि देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने बैंकों और नगर निगम के भवनों पर हमले किए.

ईरान के गृहमंत्री अब्दुल रहमान रहमानी फाजली ने सरकारी टेलीविजन पर कहा, ‘सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों, व्यवस्था को ध्वस्त करने वालों और कानून तोड़ने वालों को उनके व्यवहार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तथा उन्हें कीमत चुकानी होगी.’ उन्होंने कहा कि फैल रही हिंसा, डर और आतंक का निश्चित तौर पर मुकाबला किया जाएगा. प्रदर्शनों की शुरुआत जीवनयापन की बढ़ती लागत और चरमराती अर्थव्यवस्था को लेकर बृहस्पतिवार (28 दिसंबर) को मशहद में हुई और फिर यह देश के अन्य हिस्सों तक पहुंच गई.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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