24 घंटे खुला है खाने के सामान से भरा यह फ्रिज, आइए और अपनी जरूरत का सामान ले जाइए
यहां कोई लाइन नहीं है, कोई फॉर्म भी नहीं भरना और ना ही उनपर कोई लॉक लगा हुआ है. ताकि लोग 24 घंटे कभी भी आकर बिना किसी परेशानी के अपनी जरूरत का सामान, खाना ज्यादा से ज्यादा उनमें से ले जा सकें.
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लॉस एंजेलिस: सोचिए कि आप अमेरिका (America) के लॉस एंजेलिस (Los Angeles) में एक फुटपाथ पर टहल रहे हैं और आपको रास्ते में एक बढ़िया फ्रिज मिलता है, जिसमें दूध, फल, सब्जियां, चिकन आदि भरे हुए हैं और आप उन्हें मुफ्त में ले जा सकते हैं. ये थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन आपको लॉस एंजेलिस में ऐसे तमाम कम्युनिटी फ्रिज मिलेगें, जो कोरोना वायरस (Coronavirus) से आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हुए, जरुरतमंद लोगों की मदद के लिए बाहर रखे हुए हैं.
वहां कोई लाइन नहीं है, कोई फॉर्म भी नहीं भरना और ना ही उनपर कोई लॉक लगा हुआ है. ताकि लोग 24 घंटे कभी भी आकर बिना किसी परेशानी के अपनी जरूरत का सामान, खाना ज्यादा से ज्यादा उनमें से ले जा सकें.
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक एलए कम्युनिटी फ्रिजेज की आयोजक मैरिना वर्गरा का कहना है, ‘अगर आपको फ्रिज के सारे सामान की जरूरत है तो ले जाएं, कोई आपको कुछ नहीं कहेगा. अगर आपको एक टमाटर की जरूरत है या आप फ्रिज में केवल एक ही टमाटर रखते हैं, तो ऐसा करिए’.
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वर्गरा, जो एलए की सड़कों पर अब तक ऐसे 7 फ्रिज लगवा चुकी हैं, आगे बताती हैं, ये आइडिया लोगों तक ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाने का है. न्यूयॉर्क में ये आइडिया शुरू हुआ था ताकि लोग कभी भी, किसी भी वक्त कुछ भी ले सकें और वहां रख सकें.
फ्रिजों को रचनात्मक तरीके से रंगा गया है, और कुछ लोग उनमें जूते, कपड़े आदि भी रख जाते हैं. कैलिफोर्निया पहला राज्य था, जिसने कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया था, लेकिन हालिया हफ्तों में इस राज्य में संक्रमण बड़ी तेजी से बढ़ा है, खासतौर पर लॉस एंजेलिस में.
लॉस एंजेलिस में पहले से ही बेघरों की संख्या काफी ज्यादा है. ऊपर से कोरोना वायरस महामारी के चलते लोगों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है.
वर्गरा जिसने जिसने बेघर लोगों के लिए काम करने वाली संस्था ‘रीच फॉर दी टॉप’, के साथ मिलकर ये पहल की है, बताती हैं कि कैसे बहुत सारे लोग फूड बैंकों में जाने से शर्माते हैं और अप्रवासियों को यहां से निर्वासित किए जाने का डर भी है.
वर्गरा जो इस तरह के कई और फ्रिज रखना चाहती हैं, बताती हैं कि ‘कई सारे समुदायों में ये माना जाता है कि इससे उनके स्वाभिमान को चोट लगती है’. वो मानती हैं कि उनके प्रयासों से ‘कम्युनिटी फ्रिज तक कभी भी जाने की आजादी मिली है, चाहे वो सुबह के 5 बजे हों या फिर शाम के 5 बजे’.
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