'महजबी कट्टरता' के खिलाफ विश्वयुद्ध कब? दुनिया कब तक साधे रखेगी चुप्पी
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'महजबी कट्टरता' के खिलाफ विश्वयुद्ध कब? दुनिया कब तक साधे रखेगी चुप्पी

फ्रांस (France) में एक आतंकी ने हिस्ट्री टीचर (Teacher) की गला काटकर हत्या कर दी. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने उसे घेर लिया और सरेंडर करने को कहा. लेकिन हमलावर ने सरेंडर करने के बजाय अल्लाहू अकबर के नारे लगाने शुरू कर दिए. जिसके बाद पुलिस ने हमलावर को गोली मार दी.

'महजबी कट्टरता' के खिलाफ विश्वयुद्ध कब? दुनिया कब तक साधे रखेगी चुप्पी

पेरिस: फ्रांस (France) में एक आतंकी ने हिस्ट्री टीचर (Teacher) की गला काटकर हत्या कर दी. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने उसे घेर लिया और सरेंडर करने को कहा. लेकिन हमलावर ने सरेंडर करने के बजाय अल्लाहू अकबर के नारे लगाने शुरू कर दिए. जिसके बाद पुलिस ने हमलावर को गोली मार दी. इससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई. 

  1. पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने पर टीचर का गला काटा
  2. फ्रांस के पेरिस शहर में शुक्रवार को हुई घटना
  3. मुस्लिम आप्रवासी बने यूरोपीय देशों के लिए मुसीबत

क्यों की टीचर की हत्या?
जानकारी के मुताबिक पेरिस के एक स्कूल में हिस्ट्री पढ़ाने वाले टीचर ने शुक्रवार को क्लास में छात्रों को कार्टून दिखाकर उनसे पैगंबर मोहम्मद के बारे में चर्चा की थी. इसके बाद शुक्रवार शाम को स्कूल के बाहर टीचर की गला काटकर हत्या कर दी गई. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और हमलावर को घेर लिया. उसके सरेंडर न करने पर पुलिस ने गोली चला दी, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई. 

फ्रांस के राष्ट्रपति ने क्या कहा? 
घटना की जानकारी मिलने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रां घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि हमारे एक नागरिक की हत्या कर दी गई. टीचर अपने छात्रों को क्लास में पढ़ा रहा था. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में बता रहा था. उसे बेरहमी के साथ मार दिया गया. मैक्रां ने कहा कि फ्रांस पर इस्लामिक आतंकवाद का हमला हुआ है. टीचर इस्लामिक आतंकवादी हमले का शिकार बना है. उन्होंने कहा कि इस्लाम ऐसा मज़हब बन चुका है, जिससे दुनिया में संकट है. इस मजहब को विदेशी प्रभाव से मुक्ति पानी होगी.

मुस्लिम आप्रवासी बने यूरोपीय देशों के लिए मुसीबत
जानकारी के मुताबिक सीरिया-इराक में आईएस आतंकियों के उभार के बाद वहां से विस्थापित हुए मुस्लिम आप्रवासियों ने बड़ी संख्या में यूरोपीय देशों में शरण ली है. अपने आप को बड़े मानवाधिकारवादी देश मानने वाले फ्रांस, ग्रीस, जर्मनी समेत कई देशों ने लाखों की संख्या में इन मुस्लिम आप्रवासियों को अपने यहां शरण दी है. अब यही आप्रवासी इनके लिए मुसीबत बन रहे हैं और वहां पर शरीयत समेत मुस्लिम रस्मो-रिवाज को कट्टरता के साथ लागू कर रहे हैं. 

मजहबी कट्टरता के खिलाफ फ्रांस का एक्शन
यूरोप में सबसे ज्यादा मुस्लिम आप्रवासी फ्रांस में रहते हैं. इसके चलते फ्रांस में मस्जिदों और मदरसों की भरमार हो गई है. साथ ही वहां पर समुदाय विशेष की अलग बस्तियां भी बस गई हैं. जिन पर हाथ डालने से पुलिस भी हिचकती है. देश में बढ़ती इस कट्टरता के खिलाफ फ्रांस सरकार ने दिसंबर में विधेयक लाकर 1905 के एक क़ानून को और मज़बूत करने की घोषणा की है. 

कट्टरवाद फैला रही 73 मस्जिद बंद कराई गई
इस्लामिक कट्टरता पर कार्रवाई करते हुए फ्रांस की सरकार जनवरी से अब तक देश में 73 मस्जिदों पर ताला लगवा चुकी है. साथ ही विदेशी इमामों के फ्रांस आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. फ्रांस की सरकार ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था से मजहब को दूर रखा जाएगा और वहां के तमाम इमामों को फ्रांसीसी भाषा सीखनी होगी. 

अजरबैजान-आर्मेनिया के युद्ध में आतंकियों की 'एंट्री'
बता दें कि टर्की-पाकिस्तान, सऊदी अरब जैसे कुछ मुस्लिम देश आतंकवाद के खुले समर्थक हैं. इन्हीं के इशारे पर सीरिया-इराक में आईएस जैसे खूंखार इस्लामिक आतंकी संगठन का जन्म हुआ. जिसने हजारों महिला- पुरुषों और बच्चों को बेरहमी से सिर काटकर मारा. अब टर्की-पाकिस्तान आईएस के इन्हीं आतंकियों को अजरबैजान-आर्मेनिया के युद्ध में ले आए हैं. जहां पर भाड़े के ये हत्यारे सरेंडर करने वाले आर्मेनियन जवानों को क्रूरता के साथ मार रहे हैं.

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