अमेरिकी कमांडर ने डोकलाम विवाद को माना खतरा, कहा- भारत चीन बातचीत से हल करें तनाव
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अमेरिकी कमांडर ने डोकलाम विवाद को माना खतरा, कहा- भारत चीन बातचीत से हल करें तनाव

डोकलाम गतिरोध के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि जब भी दो महान शक्तियां साझा सीमा पर आमने-सामने होती हैं तो यह चिंता का विषय होता है. निश्चित ही यह एक संभावित खतरा है.'

भारतीय सैनिकों ने इस क्षेत्र में सड़क निर्माण करने से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को रोक दिया था. (फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: अमेरिका के एक शीर्ष कमांडर ने कहा है कि सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध चिंता का विषय है और इस मुद्दे के राजनयिक समाधान के लिए दोनों पक्षों को मिलकर काम करना चाहिए. भारतीय सैनिकों ने इस क्षेत्र में सड़क निर्माण करने से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को रोक दिया था जिसके बाद से बीते 50 से ज्यादा दिनों से डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन आमने-सामने हैं. अमेरिकी प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल हैरी बी हैरिस ने विदेश मंत्रालय के विचार को रखते हुए कहा कि अमेरिका दोनों देशों को अपने मतभेदों को राजनयिक ढंग से सुलझाने के लिए प्रेरित करता है.

डोकलाम गतिरोध के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि जब भी दो महान शक्तियां साझा सीमा पर आमने-सामने होती हैं तो यह चिंता का विषय होता है. निश्चित ही यह एक संभावित खतरा है. लेकिन मेरा मानना है कि मैं अपनी सरकार के नेताओं, अमेरिका के राष्ट्रीय नेतृत्व की भावनाओं को सामने रखूंगा, और वह यह है कि हम भारत और चीन दोनों को राजनयिक मेलजोल रखने के लिए प्रेरित करेंगे ताकि तनाव को कम करने में मदद मिले.’ हैरिस से पूछा गया कि क्या चीन डोकलाम में वही रणनीति अपना रहा है जो उसने यथास्थिति को बदलने के लिए दक्षिण चीन सागर में अपनाई थी, इस पर उन्होंने कहा कि इसका निर्धारण भारत को करना है.

एडमिरल हैरिस ने कहा, ‘इस बात का निर्धारण खुद भारत को ही करना होगा. इस बारे में मैं भारत की ओर से नहीं बोलना चाहता और क्या हो सकता है इस बारे में निश्चित ही कोई अटकलें भी नहीं लगाना चाहता. मेरा खयाल है कि जैसा अब प्रतीत हो रहा है, यह एक विवाद है और भारत तथा चीन को मिलकर इस पर काम करना होगा. आशा करता हूं कि शांतिपूर्ण ढंग से.’ हैरिस ने कहा कि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में पड़ोसियों के प्रति चीन की गतिविधियां ‘दुष्टतापूर्ण’ हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियां आक्रामक और उसके अपने पड़ोसियों के लिए दुष्टतापूर्ण हैं.’

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