चीन ने कहा, भारत की दावेदारी एनएसजी में 'और अधिक कठिन' हो गई है
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चीन ने कहा, भारत की दावेदारी एनएसजी में 'और अधिक कठिन' हो गई है

एनएसजी में भारत के प्रवेश का समर्थन करने से एक बार फिर इनकार करने वाले चीन ने कहा है कि एनएसजी में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी ‘नई परिस्थितियों’ में और ‘अधिक जटिल’ हो गई है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग. (फाइल फोटो)

बीजिंग: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का समर्थन करने से एक बार फिर इनकार करने वाले चीन ने सोमवार (5 जून) कहा है कि एनएसजी में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी ‘नई परिस्थितियों’ में और ‘अधिक जटिल’ हो गई है. चीन का कहना है कि एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले सभी देशों के लिए एक समान नियम लागू होना चाहिए.

चीन 48 देशों वाले इस समूह में भारत की सदस्यता को रोकता रहा है. यह समूह परमाणु वाणिज्य का नियंत्रक समूह है. अधिकतर सदस्य देशों का समर्थन होने के बावजूद चीन भारत के सदस्य बनने का विरोध करता रहा है. नए सदस्यों के प्रवेश के बारे में समूह आम सहमति की प्रक्रिया अपनाता है.

चीन के सहायक विदेश मंत्री ली हुइलेई ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘एनएसजी की बात की जाए तो यह नयी परिस्थितियों में एक नया मुद्दा है और यह पहले की तुलना में कहीं अधिक जटिल है.’’ हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि नई परिस्थितियां और जटिलताएं क्या हैं. उन्होंने कहा, ‘‘चीन गैर-पक्षपाती और सार्वभौमिक तरीके से लागू किए जा सकने वाले ऐसे उपाय के लिए एनएसजी को बढ़ावा देता है, जो एनएसजी के सभी सदस्यों पर लागू हो.’’

पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. हालांकि चीन ने खुले तौर पर तो पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन नहीं किया लेकिन वह एक द्विचरणीय रुख लेकर आया, जिसके अनुसार, एनएसजी के सदस्यों को एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों को एनएसजी में लेने से पहले कुछ नियम तय करने चाहिए. इसके बाद उन्हें किसी देश विशेष के मामले पर चर्चा को आगे बढ़ाना चाहिए. पिछले माह, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया को बताया था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों को एनएसजी में लेने के मुद्दे पर चीन के रूख में कोई बदलाव नहीं आया है. इस तरह उन्होंने एनएसजी में भारत के प्रवेश के मौके की बात को खारिज कर दिया.

इस माह स्विटजरलैंड के बर्न में संभावित समग्र सत्र के दौरान एनएसजी में भारत के प्रवेश के बारे में पूछे जाने पर ली ने कहा, ‘‘एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले सदस्यों की एनएसजी में भागीदारी के मुद्दे पर चीन का रुख बदला नहीं है.’’ आठ-नौ जून को अस्ताना में होने जा रहे शंघाई कोऑपोरेशन ऑर्गनाइजेशन के सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भागीदारी के बारे में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को प्रागाढ़ करना चाहता है.

उन्होंने कहा, ‘‘चीन और भारत अहम पड़ोसी हैं और दोनों तेजी से विकास कर रहे हैं, दोनों तेजी से उभरती नई बाजार अर्थव्यवस्थाएं हैं. दोनों शांति एवं स्थिरता की समर्थक अहम ताकतें हैं.’’ उन्होंने कहा, हाल के वषरें में भारत और चीन के बीच के संबंध काफी तेज गति से विकसित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी बैठकों के दौरान द्विपक्षीय सहयोग को गहराने के लिए और पहले से कहीं अधिक करीबी विकास साझेदारी बनाने के साझा प्रयास करने पर सहमत हुए हैं.

शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सम्मेलन से जुड़ी अहम बात यह है कि भारत और पाकिस्तान इसके नए सदस्य हैं. प्रधानमंत्री मोदी एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के भी मौजूद होने की संभावना है. सम्मेलन से इतर मोदी शी से भी मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि बैठक की पुष्टि नहीं हुई है. ली ने कहा कि छह सदस्यों वाले इस समूह में भारत और पाकिस्तान के आ जाने से यह समूह मजबूत होगा और इससे इस समूह की पहुंच मध्य एशिया से दक्षिण एशिया तक बनेगी.

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