मध्य एशिया भारत के लिए बहुत अहम, हमारे संबंध सदियों पुराने: सुषमा स्वराज
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मध्य एशिया भारत के लिए बहुत अहम, हमारे संबंध सदियों पुराने: सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में मध्य एशिया के देशों के साथ भारत के संबंधों ने नई ऊंचाई छुई है. 

(फोटो साभार @MEAIndia)

दुशांबे: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि मध्य एशिया के साथ भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध सदियों पुराने हैं और दोनों के पारिवारिक मूल्य एक जैसे हैं. विदेश मंत्री शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्ष परिषद के दो दिन के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ताजिकिस्तान की राजधानी पहुंची हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में मध्य एशिया के देशों के साथ भारत के संबंधों ने नयी ऊंचाई छुई है. 

सुषमा ने कहा कि ताजिकिस्तान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है. विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य एशिया के पांच देशों -कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान का दौरा कर चुके हैं जो क्षेत्र के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों का उदाहरण है.

 

 

गुरुवार को विदेश मंत्री ने तजाकिस्तान के अपने समकक्ष सिरोजिद्दीन मुहरिद्दीन से मुलाकात की ओर दोनों नेताओं ने विकास सहयोग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में करीबी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा की. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) के दो दिवसीय सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं ने वार्ता की.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘दोनों (नेताओं) ने विकास सहयोग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, आईटी, कृषि, रक्षा एवं सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन में हमारे करीबी संबंधों को मजबूती प्रदान करने पर चर्चा की.’’ इससे पहले दिन में, स्वराज एससीओ के सीएचजी में हिस्सा लेने ताजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे पहुंचीं . इस सम्मेलन में क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श के साथ ही आतंकवाद से लड़ने की दिशा में सहयोग प्रगाढ़ करने पर वार्ता होने की उम्मीद है.

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सुषमा स्‍वराज ने शुक्रवार को पाकिस्‍तान को भरे मंच पर अपने ही अंदाज में करारा जवाब दिया है. शुक्रवार को सम्‍मेलन में एससीओ के सहयोगी देशों के प्रतिनिधियों की बैठक के बाद फोटो सेशन हुआ. इसमें रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव समेत चीन, ताजिकिस्‍तान, उज्‍बेकिस्‍तान किर्गिस्‍तान कजाखस्‍तान के भी प्रमुख शामिल थे.

 

(इनपुट-भाषा)

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