इस देश में महंगाई की मार, चायपत्ती 5100 रुपये/KG तो शैंपू की बोतल 14000 रुपये; 3300 रुपये प्रति किलो बिक रहा केला
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इस देश में महंगाई की मार, चायपत्ती 5100 रुपये/KG तो शैंपू की बोतल 14000 रुपये; 3300 रुपये प्रति किलो बिक रहा केला

Inflation hit in North Korea: उत्तर कोरिया (North Korea) में चीनी, सोयाबिन ऑयल और आटे के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. उत्तर कोरिया में एक किलो मक्का की कीमत 3137 वॉन तक पहुंच गई थी. ये दो सौ रुपये प्रति किलो के बराबर है. नॉर्थ कोरिया में जून 2021 में कीमतों में बढ़ोत्तरी शुरू हुई थी, जो अब आसमान पर पहुंच चुकी है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्योंगयांग: वैसे तो उत्तर कोरिया में पिछले कई सालों से खाने के कमी (North Korea Food Crisis) एक आम सी बात हो गई है, लेकिन इस वक्त नॉर्थ कोरिया के हालात बेहद खराब हो गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के पास सिर्फ 2 महीने का खाना बचा है. हालात ये हो गए हैं कि खुद किम जोंग उन (Kim Jong Un) को मानना पड़ा है कि नॉर्थ कोरिया के लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं.

  1. नॉर्थ कोरिया में कॉफी 7300 रुपये प्रति किलो
  2. शैम्पू की बोतल की कीमत 14000 रुपये
  3. मक्का 204 रुपये प्रति किलो बिक रहा

किम जोंग उन ने दिया कम खाने का आदेश

उत्तर कोरिया में खाद्य संकट (North Korea Food Crisis) की गंभीरता को देखते हुए तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un) ने लोगों को कम खाने का फरमान सुनाया है. किम जोंग ने देशवासियों से कहा है कि साल 2025 तक कम खाना खाएं ताकि देश खाद्य संकट से उभर सके.

उत्तर कोरिया में आसमान पर पहुंची महंगाई

उत्तर कोरिया (North Korea) में चीनी, सोयाबिन ऑयल और आटे के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. उत्तर कोरिया में एक किलो मक्का की कीमत 3137 वॉन तक पहुंच गई थी. ये दो सौ रुपये प्रति किलो के बराबर है. नॉर्थ कोरिया में जून 2021 में कीमतों में बढ़ोत्तरी शुरू हुई थी, जो अब आसमान पर पहुंच चुकी है.

नॉर्थ कोरिया में महंगाई की मार

कॉफी- 7300 रुपये प्रति किलो
चायपत्ती- 5100 रुपये प्रति किलो
शैंपू की बोतल- 14000 रुपये
मक्का- 204 रुपये प्रति किलो
केला- 3300 रुपये प्रति किलो

कोविड-19 प्रतिबंधों की वजह से हालात ज्यादा खराब

देश में खाने की कमी की सबसे अहम वजह कोविड-19 प्रतिबंधों (Covid-19 Restrictions) को बताया जा रहा है. सीमाएं बंद होने की वजह से उत्तर कोरिया खाद्य मदद भी हासिल नहीं कर पा रहा है. नॉर्थ कोरिया को सबसे ज्यादा मदद चीन से मिलती है. महामारी की शुरुआत के बाद से चीन से नॉर्थ कोरिया के लिए खाद्य सामग्री का निर्यात 80 फीसदी कम हुआ है. यूएन (UN) की खाद्य और कृषि संस्था की मुताबिक नॉर्थ कोरिया में दो से तीन महीनों की जरूरत की खाद्य सामग्री का संकट है. रिपोर्ट में कहा गया है की अगर इस अंतर को नहीं भरा जाता है तो अक्टूबर 2021 के खत्म होते तक नॉर्थ कोरिया में परिवारों को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है.

नॉर्थ कोरिया नें फर्टिलाइजर का गंभीर संकट भी है. कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए उत्तर कोरिया प्रशासन ने जनवरी 2020 में अपनी सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया था. इसके बाद से ही इस देश में भोजन, ईंधन और रोजमर्रा की अन्य जरूरतों की कमी हो चुकी है. किम जोंग उन इसके अलावा, अपने रवैये के चलते अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी झेल रहे हैं और पिछले एक दशक में उत्तर कोरिया के हालात कभी इतने खराब नहीं हुए थे.

मौसम की मार से बर्बाद हुई फसलें

सरकार से जो सामान मिलता है वो घरेलू जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है. इसका मतलब ये है कि देश में आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपनी खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार पर निर्भर है. कोविड पाबंदियों के बाद खाने की कमी की एक बड़ी वजह नॉर्थ कोरिया में खराब मौसम और बर्बाद हुई फसलें भी हैं. उत्तर कोरिया में 1981 के बाद से अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच देश में सबसे ज्यादा बारिश हुई. रिपोर्ट के मुताबिक इस चक्रवात ने 40 हजार हेक्टेयर फसल और करीब 16,680 घर बर्बाद कर दिए थे.

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