करीमा बलोच की हत्या पर उठा सवाल, ISI पर घूम रही शक की सुई, जानिए कारण
करीमा दूसरी बलोच हैं जिनकी विदेश में रहते हुए संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हुई है. इससे पहले स्वीडन में रहने वाले बलोच पत्रकार साजिद हुसैन (Sajid Hussain) मार्च में गायब हो गए थे और 1 मई को उनकी लाश मिली थी. इन दोनों ही मौतों में कई समानताएं हैं.
नई दिल्ली: बलोच महिला एक्टिविस्ट करीमा बलोच (Karima Baloch) की हत्या हुई या वो किसी दुर्घटना की शिकार हुईं. इस बात का पता चलने में अभी वक्त लगेगा. कनाडा (Canada) की पुलिस ने शुरुआती तौर पर हत्या की आशंका को नकारा है लेकिन करीमा के पति, बलोच एक्टिविस्ट हम्माल हैदर ने हत्या की आशंका जताई है.
विदेश में मारी गई करीब दूसरी बलोच नेता
करीमा दूसरी बलोच हैं जिनकी विदेश में रहते हुए संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हुई है. इससे पहले स्वीडन में रहने वाले बलोच पत्रकार साजिद हुसैन (Sajid Hussain) मार्च में गायब हो गए थे और 1 मई को उनकी लाश मिली थी. इन दोनों ही मौतों में कई समानताएं हैं.
दोनों बलोच नेताओं की लाश पानी के किनारे मिली
करीमा बलोच (Karima Baloch) 20 दिसंबर को अपने घर के पास टहलने गईं और फिर 22 दिसंबर को उनकी लाश एक झील के पास पाई गई. साजिद हुसैन स्टॉकहोम से मार्च में गायब हुए और फिर उनकी लाश 1 मई को एक नदी के पास मिली. दोनों ही मामलों में लाशें पानी के पास पड़ी मिलीं और पुलिस ने हत्या की आशंका को नकार दिया.
दोनों के डूबकर मरने की कोई आशंका नहीं
साजिद के परिवार वालों ने स्वीडन की सरकार से आगे जांच की अपील की लेकिन अभी तक जांच की कोई रिपोर्ट नहीं आई. दोनों ही मामलों में शिकार मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ थे इसलिए आत्महत्या या डूबकर मरने की कोई संभावना नहीं है.
परवेज मुशर्रफ
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने अपने पुराने इंटरव्यू में विदेश में रह रहे ऐसे लोगों की COVERT OPERATION के ज़रिए हत्याओं को एक राष्ट्रीय नीति के तौर पर अपनाने की वकालत की थी जो पाकिस्तान के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं.
मुशर्रफ ने कहा था कि मेरे दिमाग में ऐसे लोगों की एक लिस्ट है और इन हत्याओं के आरोपों को आसानी ने नकारा जा सकता है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान (Pakistan) ने मुशर्रफ की इस सोच को अपनी राष्ट्रीय नीति बनाकर उस पर अमल करना शुरू कर दिया है.
भारत के खिलाफ साजिश
इसके साथ ही यूरोपियन यूनियन में सक्रिय एक एनजीओ EU Disinfo Lab की भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की एक तथाकथित रिपोर्ट के आने की टाइमिंग के बारे में भी सवाल उठ रहे हैं. दुष्प्रचार अभियानों पर रिसर्च करने वाली एनजीओ होने का दावा करने वाली EU Disinfo Lab एनजीओ ने 9 दिसंबर को एक रिपोर्ट छापी. इसमें पिछले 15 साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने विरोधियों खासतौर पर पाकिस्तान और चीन को बदनाम करने के लिए भारत के अभियान का पर्दाफाश करने का दावा किया गया.
लाश मिलने से एक दिन पहले पाकिस्तान ने Vermaut का इंटरव्यू छापा
इसमें कहा गया कि इस रिपोर्ट के लिए एनजीओ, वेबसाइटों, थिंक टैंकों का सहारा लिया गया. सिर्फ इतना ही नहीं पाकिस्तानी Dawn ने 21 दिसंबर को यानी करीमा बलोच के गायब होने के एक दिन बाद और उनकी लाश मिलने के एक दिन पहले एक यूरोपियन मानवाधिकार कार्यकर्ता Mr. Vermaut का इंटरव्यू छापा. इसमें इस कार्यकर्ता ने EU Disinfo Lab की रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की. यानी करीमा की लाश मिलने से पहले ही किसी आरोप को नकारने की ज़मीन तैयार करने की कोशिश की गई.
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करीमा और पति हम्माल हैदर को आ रहे थे धमकी भरे कॉल्स
कई बलोच एक्टिविस्ट का दावा है कि करीमा और उनके पति हम्माल हैदर को गुमनाम फोन कॉल्स और सोशल मीडिया के ज़रिए पिछले कई महीने से धमकी भरे फोन आ रहे थे. इनमें से कई वाट्सऐप कॉल्स पाकिस्तान के नंबरों से किए गए थे.
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