काट्सा (CAATSA) का पूरा नाम 'काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेक्शंस एक्ट’ है. इस कानून के तहत रूस (Russia) से कोई बड़ी रक्षा खरीद करने वाले देश पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है. यह विषय भी अमेरिका की नई सरकार में भारत-अमेरिकी संबंधों के लिए लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है.
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वाशिंगटन : अमेरिका में थिंक टैंक और भारतवंशी विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति निर्वाचित हुए जो बाइडेन (Joe Biden) भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत करना जारी रखेंगे. अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशल स्ट्डीज (Center for Strategic and International Studies) से संबंद्ध रिक रोसो ने कहा, 'बाइडेन प्रशासन भारत के लिए मुख्यतः सकारात्मक रहेगा.'
रक्षा क्षेत्र में बढ़ेगी साझेदारी?
रोसो ने कहा कि दो प्रमुख मुद्दे हैं जो वास्तव में अमेरिका-भारत संबंधों को परिभाषित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि सहयोग के सबसे सकारात्मक क्षेत्रों को बरकरार रखा जाएगा- खासकर रक्षा क्षेत्र में इसके बेहतर नतीजे दिख सकते हैं.'
काट्सा (CAATSA) पर रुख
रोसो के मुताबिक दो प्रमुख चीजों को लेकर आने वाली पहली प्रतिक्रिया या फैसले से इस विषय को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि पहला अहम बिंदु है काट्सा कानून जिसे लेकर बाइडेन प्रशासन रूस (Russia) से रक्षा खरीद को लेकर भारत पर संभावित प्रतिबंधों पर क्या फैसला लेगा? दूसरा ये कि, अगर अमेरिका भारत के सामाजिक मुद्दों को लेकर अपनी चिंताओं को जोर- शोर से उठाता है तो क्या इससे दोनों देशों के बीच दरार पैदा होगी?'
काट्सा (CAATSA) का पूरा नाम 'काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेक्शंस एक्ट’ है. इस कानून के तहत रूस (Russia) से कोई बड़ी रक्षा खरीद करने वाले देश पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है. यह विषय भी अमेरिका की नई सरकार में भारत-अमेरिकी संबंधों के लिए लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है. काट्सा के तहत रूस के साथ साइबर सुरक्षा, कच्चे तेल की परियोजनाएं, रक्षा या खुफिया क्षेत्रों के लेनदेन और हथियारों की खरीद होने पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है.
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ट्रेड टेंशन जारी रहने के संकेत
उन्होंने यह भी कहा कि बाइडेन प्रशासन में भारत को ईरान के साथ रिश्तों को लेकर कम दबाव का सामना करना पड़ेगा और अक्षय ऊर्जा सहयोग को महत्व किया जाएगा. रेसो के मुताबित दोनों देशों के बीच ट्रेड टेंशन जारी रहने के संकेत हैं. लेकिन पहले से तय साझा लक्ष्यों को लेकर इस पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा.
वहीं 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर पीस' (Carnegie Endowment for International Peace) थिंक टैंक में '' टाटा चेयर फॉर स्ट्रैटेजिक '' एशले जे टेलिस के मुताबिक, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जो बाइडेन भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत करेंगे. उन्होंने कहा कि बाइडेन को अपने देश में समस्याओं से पार पाना होगा और विदेश में अमेरिकी नेतृत्व को बहाल करना होगा. इसके अलावा सब कुछ बाद में है.
नॉर्थ कैरोलाइना में रहने वाले निर्वाचित राष्ट्रपति के पुराने दोस्त स्वदेश चटर्जी ने कहा कि बाइडेन वास्तव में चाहते हैं कि भारत, अमेरिका का सबसे मजबूत दोस्त और 21 वीं सदी में उसका सबसे बेहतरीन सहयोगी हो. भारतीय समाचार एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि बाइडेन भारत का महत्व जानते हैं और उसकी दोस्ती और सहयोग पर भरोसा रखते हैं. चटर्जी ने कहा कि भारत-अमेरिकी रिश्ते अब व्यक्तियों पर निर्भर नहीं करते हैं. यह गहरे हैं तथा और बेहतर होंगे.
कई दौर से गुजरे भारत-अमेरिका के संबंध
भारत-अमेरिका के बीच 2005 में परमाणु समझौते की शुरुआत हुई थी. 1974 में भारत द्वारा पहला परमाणु परीक्षण करने के बाद अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे. इसके करीब 30 साल बाद यह समझौता हुआ था. ऐतिहासिक करार पर जॉर्ज बुश के कार्यकाल में हस्ताक्षर किए गए थे.
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