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वॉशिंगटन: कोरोना वायरस (Coronavirus) का नया स्ट्रेन (New Strain) या वेरिएंट मिलने के बाद से पूरी दुनिया खौफ में है. ब्रिटेन से होते हुए ये वेरिएंट भारत सहित कई देशों तक पहुंच चुका है. ऐसे में इसे लेकर कई तरह के सवाल मन में उठ रहे हैं. मसलन, क्या ये वेरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है, क्या इससे खतरा पहले से कहीं ज्यादा है और क्या विकसित की जा रहीं वैक्सीन इसके खिलाफ कारगर होंगी? वैज्ञानिकों का कहना है कि नया स्ट्रेन (Corona New Strain) चिंता का विषय है, लेकिन मौजूदा उपायों से इससे सुरक्षित रहने में मदद मिल सकती है. आइए नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ सवाल-जवाबों पर, जिनके बारे में आपको जानकारी होनी जरूरी है.
उत्तर: लगभग एक साल पहले चीन में कोरोना वायरस (Coronavirus) का पता चलने के बाद से नए वेरिएंट देखे गए हैं. वायरस अक्सर छोटे परिवर्तन करते हैं या विकसित होते रहते हैं. वैज्ञानिक डॉ. फिलिप लैंड्रिगन के मुताबिक, अधिकांश बदलाव छोटे होते हैं. उदाहरण के तौर पर यह आनुवांशिक वर्णमाला में एक या दो अक्षरों में परिवर्तन करने जैसा है, जिससे रोग उत्पन्न करने की क्षमता में कोई बड़ा अंतर नहीं आता. जब वायरस अपनी सतह पर प्रोटीन को बदलकर म्यूटेशन करता है, जिससे कि वो दवाओं और रोग प्रतिरोधी क्षमता से बच सके या फिर उसमें इतने बदलाव हो जाते हैं, जो उसे पहले से बहुत अलग बना देते हैं, तो स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक हो जाती है.
उत्तर: ऐसा तब होता है जब कोई एक वेरिएंट किसी क्षेत्र में फैलने लगता है या ‘सुपर स्प्रेडर’ इवेंट उसे स्थापित होने में मदद करते हैं. ऐसा उस स्थिति में भी हो सकता है जब म्यूटेशन नए वेरिएंट को कोई एडवांटेज प्रदान करते हैं. जैसे कि उसे दूसरे वायरस के मुकाबले तेजी से फैलने में मदद करना. वैज्ञानिक ये पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या ब्रिटेन में मिला नया स्ट्रेन तेजी से फैलता है और शुरुआती परिणामों से जिसका जवाब ‘हां’ में मिला है. कोरोना का नया स्ट्रेन तेजी से फैलकर अधिक लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है.
उत्तर: इसके कई म्यूटेशन हैं - लगभग दो दर्जन और आठ स्पाइक प्रोटीन पर हैं, जिनका इस्तेमाल वायरस कोशिकाओं से जुड़ने और उन्हें संक्रमित करने के लिए करता है. स्पाइक वह है, जिसे वैक्सीन और एंटीबॉडी ड्रग्स टारगेट करती हैं. इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़े वायरस विशेषज्ञ डॉ. रवि गुप्ता के मुताबिक, अब तक की रिसर्च से पता चला है कि नया वेरिएंट इंग्लैंड में पहले से मौजूद वायरस से लगभग दो गुना तेजी से फैलता है. यही सबसे ज्यादा चिंता की बात है.
उत्तर: डॉ. फिलिप लैंड्रिगन के अनुसार, दोनों में से किसी के भी सही होने के फिलहाल कोई संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन हमें इस पर लगातार ध्यान रखना होगा. जैसे-जैसे नए वेरिएंट से लोगों के संक्रमण के मामले सामने आएंगे, वैसे-वैसे इस बारे में ज्यादा कुछ कहा जा सकेगा. तभी यह पता चलेगा कि क्या ये लोगों को ज्यादा गंभीर रूप से बीमार करने या उन्हें मौत की तरफ धकेलने की क्षमता रखता है. वहीं, WHO की आउटब्रेक एक्सपर्ट Maria Van Kerkhove ने कहा कि अब तक जो जानकारी मौजूद है, उससे यही कहा जा सकता है कि पुराने वायरस और नए वेरिएंट में इस मामले में कोई ज्यादा अंतर नहीं है.
उत्तर: इंग्लैंड में सामने आए कुछ मामलों ने यह चिंता बढ़ा दी है कि कुछ नए वेरिएंट में म्यूटेशन उन दवाओं की शक्ति को प्रभावित कर सकते हैं, जो वायरस को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकने के लिए एंटीबॉडी की आपूर्ति करती हैं. WHO के मुताबिक इस संबंध में शोध जारी हैं. हालांकि, एक दवा निर्माता का दावा है कि लैब टेस्ट में पाया गया है कि ड्रग पूरी तरह से एक्टिव बनी रहती है.
उत्तर: वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्तमान विकसित वैक्सीन नए वेरिएंट पर प्रभावी होगी. हालांकि, उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि इसकी पुष्टि करने के लिए वो शोध कर रहे हैं और उसके बाद ही ज्यादा कुछ कहा जा सकता है. बुधवार को ब्रिटिश अधिकारियों ने दोहराया कि ऐसा कोई डेटा नहीं मिला है, जिससे यह पता चले कि नया वेरिएंट वैक्सीन के प्रभाव को कम करता है या वैक्सीन उस पर कारगर नहीं होगी. कई वैज्ञानिकों का मानना है कि वैक्सीन से वायरस के लिए एंटीबॉडी बनने के अलावा कई प्रकार की रोग प्रतिरोधी प्रणाली की प्रतिक्रियाएं उत्पन्न होती हैं, इसलिए वैक्सीन के कारगर होने की उम्मीद है.
उत्तर: विशेषज्ञों का कहना है कि नियमों का पालन करके ऐसा किया जा सकता है. मास्क पहनें, हाथों को साफ करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें जौर भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेबायियस ने कहा कि हमें वायरस के प्रसार को रोकने की जरूरत है. हम जितना अधिक इसे फैलने देंगे, उतने ही अधिक म्यूटेशन होंगे. इसलिए नियमों का पालन करें, ताकि इसके प्रसार को सीमित किया जा सके.
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