दक्षिण और उत्तर कोरिया की दोस्ती लाई रंग, 10 सीमा सुरक्षा चौकियां बंद करने पर सहमति
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दक्षिण और उत्तर कोरिया की दोस्ती लाई रंग, 10 सीमा सुरक्षा चौकियां बंद करने पर सहमति

उत्तर कोरिया के साथ राजनयिक संबंधों में सुधार के संकेतों के बीच दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने संसद को बताया कि दोनों देश अपनी सीमा के पास की कुछ सुरक्षा चौकियां परीक्षण के आधार पर बंद करने पर सहमत हुए हैं. 

दक्षिण कोरिया विश्वास बहाली उपायों के तहत करीब 10 सुरक्षा चौकियां बंद करने जा रहा है.(फाइल फोटो)

सोल: उत्तर कोरिया के साथ राजनयिक संबंधों में सुधार के संकेतों के बीच दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने संसद को बताया कि दोनों देश अपनी सीमा के पास की कुछ सुरक्षा चौकियां परीक्षण के आधार पर बंद करने पर सहमत हुए हैं. साल 1953 के कोरियाई युद्ध के अंत के बाद से कोरियाई प्रायद्वीप को विभाजित करने वाला गैर-सैन्यीकृत क्षेत्र, अपने इस नाम के बावजूद, धरती पर सबसे ज्यादा सुरक्षा वाला क्षेत्र है. इस क्षेत्र के दोनों तरफ बारूदी सुरंगें बिछी हुई हैं और कांटेदार बाड़ लगी हुयी हैं. सोंग यंग-मू ने कहा कि दक्षिण कोरिया विश्वास बहाली उपायों के तहत करीब 10 सुरक्षा चौकियां बंद करने जा रहा है. उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के बीच अप्रैल में हुई ऐतिहासिक शिखर वार्ता के बाद विश्वास बहाली उपायों के तहत यह कदम उठाया जा रहा है.

सोंग ने सांसदों को बताया, ‘‘इसका मतलब यह है कि हम पहले एक-दो सुरक्षा चौकियां हटाएंगे और फिर धीरे-धीरे इसमें बढ़ोतरी करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया भी ऐसे ही कदम उठाएगा. सोंग ने कहा, ‘‘उत्तर और दक्षिण उन सीमा चौकियों को हटाने पर सहमत हुए हैं जो एक-दूसरे के बेहद करीब हैं.’’ 

किम जोंग ने कहा- 'शत्रुतापूर्ण ताकतें' कोरियाई जनता को बर्बाद करना चाहती है
 उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने कहा है कि ‘शत्रुतापूर्ण ताकतें’ नाकाबंदी कर कोरियाई जनता को बर्बाद करना चाहती हैं. अमेरिका प्रतिबंधों के जरिए परमाणु कार्यक्रम को लेकर प्योंगयांग पर दबाव बरकरार रखे हुए है. किम और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल जून में सिंगापुर में ऐतिहासिक बैठक की थी.  लेकिन तब से संबंधों के आगे बढ़ने की दिशा में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है और उत्तर कोरिया ने अमेरिका पर पूर्ण परमाणु नि:शस्त्रीकरण के लिए ‘गैंगेस्टर की तरह मांग’ करने का आरोप लगाया है.

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एक दशक में होगा ऐसा पहली बार, किम जोंग से दोस्ती के लिए दक्षिण कोरिया करेगा ये काम
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया सितंबर में प्योंगयांग में शिखर वार्ता करने के लिए आज राजी हो गए. दक्षिण कोरिया की योनहाप समाचार एजेंसी ने आज यह जानकारी दी. दोनों देशों की असैन्यीकृत क्षेत्र में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया. योनहाप ने सटीक तारीख की जानकारी के बगैर संयुक्त बयान के हवाले से कहा कि दोनों पक्ष योजना के अनुसार सितंबर में प्योंगयांग में दक्षिण-उत्तर शिखर वार्ता कराने के लिए बैठक में सहमत हुए. अगर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून-जेइ-इन उत्तर कोरिया की राजधानी जाएंगे तो यह एक दशक से ज्यादा समय में ऐसी पहली यात्रा होगी. मून और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच अप्रैल में हुई पहली ऐतिहासिक शिखर वार्ता में वे इस बात पर सहमत हुए थे कि दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति प्योंगयांग जाएंगे.

उच्च स्तरीय बैठक उत्तर कोरिया के असैन्यीकृत क्षेत्र के एक गांव में हो रही है
आज की उच्च स्तरीय बैठक उत्तर कोरिया के असैन्यीकृत क्षेत्र के एक गांव में हो रही है. उत्तर कोरिया ने गत सप्ताह इस बैठक का प्रस्ताव रखा था. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाए हैं. उत्तर कोरियाई के प्रमुख प्रतिनिधि री सोन ग्वोन ने एक बयान में कहा, ‘‘चूंकि उत्तर और दक्षिण कोरिया के नेताओं की प्योंगयांग वार्ता पर चर्चा की जा रही है तो मुझे लगता है कि इस मुद्दे के बारे में बात करने से लोगों की इच्छाओं का जवाब मिलेगा.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक ऐसे युग की शुरुआत की है जहां हम एक-दूसरे की राह में रोड़े अटकाने के बजाय हाथ मिला रहे हैं.’’ इस मेल-मिलाप के बावजूद उत्तर कोरिया के खिलाफ उसके परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के लिए लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के चलते दोनों कोरियाई देश आर्थिक सहयोग नहीं कर पाएंगे. सोल से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे दक्षिण कोरिया के यूनिफिकेशन मंत्री मो म्योंग ग्योन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों का रूख एक जैसा रहे. चो ने कहा, ‘‘कई मुद्दे उठाए जाएंगे लेकिन मुझे लगता है कि इस सोच के साथ कोई भी समस्या सुलझाई जा सकती है.’’ चो ने संभावना जताई कि उत्तर कोरिया उनके सामने प्रतिबंध के मुद्दे को उठा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘हम उत्तर कोरिया के समक्ष अपना रुख स्पष्ट करेंगे.’’ दोनों पड़ोसी देशों के बीच इस साल तेजी से शुरु हुए मेल-मिलाप ने जून में सिंगापुर में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और किम के बीच ऐतिहासिक शिखर वार्ता का मार्ग प्रशस्त किया.

इस बीच, अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग पड़े उत्तर कोरिया पर सख्त प्रतिबंध लगाए रखने का अनुरोध किया है. विश्लेषकों का कहना है कि मून अमेरिका और उत्तर कोरियाई के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते है. 

इनपुट भाषा से भी  

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