किर्गिस्तान: 101 सांसदों ने सरकार के खिलाफ डाला वोट, PM की छिन गई कुर्सी
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किर्गिस्तान: 101 सांसदों ने सरकार के खिलाफ डाला वोट, PM की छिन गई कुर्सी

एक आधिकारिक संसदीय प्रोटोकॉल के मुताबिक कुल 101 सांसदों ने सरकार बर्खास्त करने के पक्ष में मत डाला जबकि इसके विपक्ष में केवल पांच मत पड़े.

राष्ट्रपति जीनबेकोव ने एक आदेश पर हस्ताक्षर कर सरकार की बर्खास्तगी की पुष्टि कर दी.(फोटो साभार- AKIpress News Agency)

बिश्केक: किर्गिस्तान ने अपने 29 वें प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर दिया जिससे राष्ट्रपति सोरोनबई जीनबेकोव का मध्य एशियाई देश पर नियंत्रण मजबूत होने की उम्मीद है. सांसदों ने प्रधानमंत्री सपर इसाकोव की सरकार को भारी बहुमत से बर्खास्त कर दिया. 40 वर्षीय नेता को देश के पूर्व नेता अल्माजबेक अतमबायेव का वफादार माना जाता है. इसके बाद जीनबेकोव ने एक आदेश पर हस्ताक्षर कर सरकार की बर्खास्तगी की पुष्टि कर दी.

  1. सांसदों ने सरकार को भारी बहुमत से बर्खास्त कर दिया.
  2. 59 वर्षीय राष्ट्रपति के प्रति संसद में व्यापक समर्थन 
  3. अब नए प्रधानमंत्री के निर्धारण में  राष्ट्रपति की अहम भूमिका 

एक आधिकारिक संसदीय प्रोटोकॉल के मुताबिक कुल 101 सांसदों ने सरकार बर्खास्त करने के पक्ष में मत डाला जबकि इसके विपक्ष में केवल पांच मत पड़े. मतदान से 59 वर्षीय राष्ट्रपति के प्रति संसद में व्यापक समर्थन का पता चलता है जिनके अब नया प्रधानमंत्री के निर्धारण में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है. 

पाकिस्तान में नवाज शरीफ की गद्दी गई
आपको बता दें कि पनामा पेपर लीक मामले में पाकिस्‍तान की सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी पाया था. पाकिस्‍तान की सर्वोच्‍च अदालत ने नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्‍य करार दिया था. नवाज शरीफ पर अब आपराधिक मामला चल रहा है. शरीफ के परिवार के विदेश में संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जेआईटी का गठन किया था. जेआईटी ने 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी थी. आगे पढ़िए आखिर क्‍या है पनामा पेपर लीक मामला और नवाज शरीफ के परिवार पर लगे आरोपों के बारे में.

यह है पूरा मामला
पनामा पेपर्स के नाम से लीक हुए दस्तावेजों को सामने लाने में मुख्य भूमिका अमेरिका स्थित एक एनजीओ खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय महासंघ (ICIJ) की है. आईसीआईजे ने दस्तावेजों की गहरी छानबीन की. आईसीआईजे को किसी अज्ञात सूत्र ने इन दस्‍तावेजों को उपलब्‍ध कराया था. जांच में नवाज शरीफ के अलावा कई फिल्मी और खेल जगत की हस्तियों समेत करीब 140 लोगों की संपत्ति का भी खुलासा हुआ था. भारत से भी कुछ लोगों के नामों का जिक्र पनामा पेपर्स में किया गया था.

40 साल का डेटा
जांच में जो डेटा सामने आया था वह 1977 से लेकर 2015 तक का था. जर्मनी के एक अखबार के मुताबिक, इस पेपर लीक से 2.6 टेराबाइट डेटा सामने आया है जो लगभग 600 डीवीडी में आ सकता है. शरीफ समेत अन्‍य लोगों ने टैक्स हैवन कंट्रीज में पैसा इन्वेस्ट किया. इन लोगों ने शैडो कंपनियां, ट्रस्ट और कॉरपोरेशन बनाए और इनके जरिए टैक्स बचाया.

नवाज और उनके परिवार पर आरोप
नवाज शरीफ के बेटों हुसैन और हसन के अलावा बेटी मरियम नवाज ने टैक्स हैवन माने जाने वाले ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में कम से कम चार कंपनियां शुरू कीं. इन कंपनियों से इन्होंने लंदन में छह बड़ी प्रॉपर्टीज खरीदी. शरीफ फैमिली ने इन प्रॉपर्टीज को गिरवी रखकर डॉएचे बैंक से करीब 70 करोड़ रुपए का लोन लिया. इसके अलावा, दूसरे दो अपार्टमेंट खरीदने में बैंक ऑफ स्कॉटलैंड ने उनकी मदद की. नवाज और उनके परिवार पर आरोप है कि इस पूरे कारोबार और खरीद-फरोख्त में अनडिक्लियर्ड इनकम लगाई गई.

शरीफ की विदेश में इन प्रॉपर्टीज की बात उस वक्त सामने आई जब लीक हुए पनामा पेपर्स में दिखाया गया कि उनका मैनेजमेंट शरीफ के परिवार के मालिकाना हक वाली विदेशी कंपनियां करती थीं. शरीफ के परिवार के लंदन के 4 अपार्टमेंट से जुड़ा मामला भी उन 8 मामलों में शामिल है जिनकी नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने दिसंबर 1999 में जांच शुरू की थी.

इनपुट भाषा से भी 

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