एलजीबीटी चैरिटी STONEWALL ने एम्‍प्‍लॉयर्स से कहा वर्कप्‍लेस और पॉलिसी से हटाएं 'मां' शब्द, अपनाएं Non-Gendered Language
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एलजीबीटी चैरिटी STONEWALL ने एम्‍प्‍लॉयर्स से कहा वर्कप्‍लेस और पॉलिसी से हटाएं 'मां' शब्द, अपनाएं Non-Gendered Language

लंदन में एलजीबीटी चैरिटी ने संगठनों से वर्कप्‍लेस पर मां शब्‍द का इस्‍तेमाल रोकने के लिए कहा है. उसकी जगह ऐसे शब्‍द का उपयोग करने के लिए कहा है, तो लिंग को ना दर्शाता हो.

(फाइल फोटो)

लंदन: दुनिया में मां (Mother) शब्‍द सबसे प्‍यारा शब्‍द माना जाता है लेकिन ब्रिटेन (UK) के दफ्तरों में इस्‍तेमाल होने वाली भाषा से इस शब्‍द को हटाने की बात की जा रही है. ब्रिटेन की एलजीबीटी चैरिटी ने STONEWALL एम्‍प्‍लॉयर्स को सलाह दी है कि वे 'मां' शब्‍द को बदलकर उसकी जगह पर 'अभिभावक जिन्‍होंने बच्‍चों को जन्‍म दिया' का इस्‍तेमाल करें. उन्‍होंने एम्‍प्‍लॉयर्स से ऐसी भाषा को भी हटाने के लिए कहा है जो लैं‍गिकता को दर्शाती है यानि कि उन्‍होंने Gendered Language को हटाने के लिए कहा है.  

  1. वर्कप्‍लेस से मां शब्‍द हटाने की मांग 
  2. एलजीबीटी चैरिटी स्‍टोनवाल की है मांग 
  3. वेल्‍श सरकार मेटरनिटी पॉलिसी से हटा चुकी है मां शब्‍द 

माता, पिता जैसे शब्‍द हटाए 

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक स्‍टोनवाल ने कंपनियों और संगठनों से यह भी कहा है कि वे ऐसे लोगों को महिलाओं के टॉयलेट्स इस्‍तेमाल करने की अनुमति दें, जो खुद को महिला मानते हैं. यहां तक कि न्याय मंत्रालय ने कहा है कि उसने गैर-लिंग भाषा (non-gendered language) को शामिल करने के लिए अपनी एचआर पॉलिसी में से 'पिता' और 'माता' जैसे शब्दों को हटा दिया है. द सन में प्रकाशित खबर के अनुसार न्‍याय मंत्रालय Stonewall के  Workplace Equality Index में पांचवें स्थान पर आता है. 

वहीं गृह मंत्रालय का ऑफिस, MI6, सेना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग, सरकारी कानूनी विभाग और हाउस ऑफ कॉमन्स भी टॉप 100 में हैं.

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लैंगिक तटस्‍थता वाले शब्‍दों का हो उपयोग 

स्‍टोनवाल के वर्कप्‍लेस इक्‍वालिटी इंडेक्‍स में 9वें नंबर पर आई वेल्‍श सरकार ने 2019 में ही अपनी मेटरनिटी पॉलिसी से मां शब्‍द हटा दिया था. हालांकि इसमें एक बार पिता शब्‍द का इस्‍तेमाल किया गया है. वहीं सरकार द्वारा किए जा रहे इन बदवालों को लेकर फेयर प्ले फॉर विमेन के निदेशक डॉ निकोला विलियम्स ने कहा कि स्टोनवेल 'अपने आप में लगभग एक सरकारी विभाग बन गया है, सरकार समानता पर उनके विचारों को आउटसोर्स कर रही है.' 

समानता कानून पर आधारित हैं सलाह 

वहीं स्टोनवेल का कहना है कि समानता कानून (Equality Act) को लेकर उसकी सलाह समानता और मानवाधिकार आयोग के इक्‍वालिटी एक्‍ट कोड ऑफ प्रैक्टिस पर आधारित हैं और सही हैं. 

बता दें कि यह मामला इक्‍वालिटी मिनिस्‍टर लिज ट्रस के सरकार से किए गए उस आग्रह के बाद सामने आया है जिसमें उन्‍होंने स्‍टोनवाल द्वारा संचालित 'diversity champions' योजना को बंद करने के लिए कहा है. उनका मानना है कि इससे उम्‍मीद के मुताबिक फायदा नहीं हो रहा है. जबकि टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्टोनवेल हर साल इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से लाखों पाउंड कमाती है. इस योजना के तहत प्रशिक्षण के लिए फीस करीब 2,500 पाउंड से शुरू होती है.

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