'इस्राइल से भारत का रिश्ता हमें मंज़ूर, लेकिन फलस्तीन के हितों की क़ीमत पर नहीं'
Advertisement

'इस्राइल से भारत का रिश्ता हमें मंज़ूर, लेकिन फलस्तीन के हितों की क़ीमत पर नहीं'

फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक करीबी सहायक ने कहा कि भारत को इस्राइल के साथ संबंध बनाने का अधिकार है लेकिन यह फलीस्तीनी हितों को समर्थन देने की भारत की प्रतिबद्धता की 'कीमत' पर नहीं होना चाहिए.

फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास. (फाइल फोटो)

रामल्ला: फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक करीबी सहायक ने कहा कि भारत को इस्राइल के साथ संबंध बनाने का अधिकार है लेकिन यह फलीस्तीनी हितों को समर्थन देने की भारत की प्रतिबद्धता की 'कीमत' पर नहीं होना चाहिए. अब्बास की अगले सप्ताह होने वाली भारत यात्रा के मद्देनजर वरिष्ठ फलस्तीनी अधिकारी मजिदी खाल्दी ने फलस्तीन के साथ भारत के संबंधों को ‘ऐतिहासिक’ और ‘संतुलित’ बताया तथा उन्होंने कहा कि फलस्तीन, भारत के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहता है और अपने ‘संघर्ष’ में उनका समर्थन चाहता है.

अब्बास के वरिष्ठ कूटनीतिक सलाहकार खाल्दी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘भारत को इस्राइल और अन्य किसी भी देश के साथ संबंध रखने का अधिकार है लेकिन यह फलस्तीन के साथ उसके संबंधों और फलस्तीनी हितों का समर्थन करने के उसके सैद्धांतिक रुख की कीमत पर नहीं होना चाहिए. फलस्तीन का हित है कि हमारा राजधानी के रूप में पूर्वी यरूशलम के साथ 1967 सीमा के भीतर देश होना चाहिए.’ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस वर्ष फलस्तीन को छोड़कर केवल इस्राइल का दौरा करने के सवाल पर खाल्दी ने कहा, ‘यह उनका निर्णय है.’ फलस्तीनी राष्ट्रपति के सहायक ने कहा, ‘यह भारतीय प्रधानमंत्री पर निर्भर करता है कि वह कब और कहां की यात्रा करने का निर्णय लेते हैं. यह उनका फैसला है. प्रधानमंत्री (मोदी) ने राष्ट्रपति (अब्बास) को भारत की यात्रा करने का न्यौता दिया था जो वह कर रहे हैं.’ अधिकारी ने कहा कि अब्बास की यात्रा के दौरान 14 से 17 मई तक भारत और फलस्तीन के बीच कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होंगे जिनपर स्वास्थ्य, कृषि, खेल और युवा मामलों के क्षेत्र में सहयोग पर खास जोर रहेगा.

वरिष्ठ कूटनीतिक सलाहकार ने कहा, ‘हमारे राष्ट्रपति और भारत के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत को लेकर हम उत्साहित हैं. राष्ट्रपति ने न्यूयॉर्क और पेरिस में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. यह महत्वपूर्ण दौरा है जिससे कई क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी और कई अन्य क्षेत्रों में संबंधों में नयापन भी आएगा.’ 

खाल्दी ने कहा, ‘हम भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और हमारे हितों के लिए उसका राजनीतिक समर्थन मिलना जारी रखने में इच्छुक है तथा इस्राइल के साथ भारत के संबंधों के बावजूद यह हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमारे संबंध, भारत और फलस्तीन के बीच अच्छे संबंधों की कीमत पर नहीं होने चाहिए.’ खाल्दी ने कहा कि फलस्तीन और भारत के बीच ‘उत्कृष्ट’ संबंध साझा मूल्यों पर आधारित हैं और ‘कौन भारत का शासन करता है’ इसकी परवाह किए बिना संबंध बढ़ते रहेंगे.

उन्होंने कहा, ‘फलस्तीन और भारत के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं जो केवल द्विपक्षीय यात्राओं पर निर्भर नहीं करते. हमारे सभी पार्टियों के साथ उत्कृष्ट संबंध रहे है फिर यह मायने नहीं रखता कि कौन भारत का शासन करता है. इसका कारण दोनों देशों के लोगों और वहां स्थापित प्रतिष्ठनों के बीच गहरे संबंध हैं.’ अतीत में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में भारत के वोट पर चिंता के बावजूद फलस्तीन अधिकारी भारत के रूख में आए बदलाव को स्वीकार करते हुए दिखते हैं.

खाल्दी ने कहा, ‘हम भारत को अधिकांश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फलस्तीन का समर्थन करते हुए देखते हैं. तकनीकी वोट होने के कारण कुछ वोटों का कारण हमें बताया गया. हम भारत के राजनीतिक समर्थन को स्थिर रूप में देखते हैं. हम ऐसा महसूस करते हैं.’ अब्बास काहिरा, अम्मान और वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के बाद भारत आएंगे. उनके मास्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करने की संभावना है. रूस से वह नयी दिल्ली के लिए रवाना होंगे.

खाल्दी ने कहा, ‘राष्ट्रपति, (भारतीय) प्रधानमंत्री से अमेरिका के उनके ताजा दौरे के बारे में बात करेंगे और इस संघर्ष में राष्ट्रपति ट्रंप के शामिल होने की महत्ता पर बात करेंगे जो काफी अहम है.’ फलस्तीनी राष्ट्रपति भारतीय नेतृत्व को विभिन्न क्षेत्रीय घटनाक्रमों खासतौर से सीरिया, यमन, लीबिया और क्षेत्र के कुछ अन्य हिस्सों में संकट के बारे में भी बताएंगे. खाल्दी ने कहा कि अब्बास की आगामी यात्रा पिछले 12 वर्षों में भारत की पांचवीं और तीसरी राजकीय यात्रा होगी.

Trending news