संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय की बैठक बंद कमरे में हुई, जिसमें राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के न्यायाधीशों को गिरफ्तार करने के फैसले से बढ़ते संकट पर चर्चा की.
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माले : संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने सुरक्षा परिषद को सावधान किया है कि मालदीव में हालात और बदतर हो सकते हैं. यहां राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने आपातकाल की घोषणा की है. संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय की बैठक बंद कमरे में हुई, जिसमें राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के न्यायाधीशों को गिरफ्तार करने के फैसले से बढ़ते संकट पर चर्चा की.
मालदीव की स्थिति तनावपूर्ण हैं...
अब्दुल्ला यामीन ने उन न्यायाधीशों को गिरफ्तार करने का आदेेश दिया था, जिन्होंने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का फैैसला सुनाया था. संयुक्त राष्ट्र के सूत्रों के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव मिरोस्लाव जेनका ने संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय को बताया कि हिंसा की कोई रिपोर्ट नहीं है. हालांकि मालदीव में स्थिति तनावपूर्ण हैं. एक फरवरी को शुरू हुए संकट के बाद पहली बार परिषद ने इस संकट पर चर्चा की है और बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया गया. यह संकट तब उपजा जब सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के नौ हाई-प्रोफाइल राजनीतिक बंदियों तथा पूर्व राष्ट्रपति और विपक्ष के नेता मोहम्म्द नशीद के खिलाफ चले मुकदमों को गलत बताते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था.
मालदीव में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के बीच विवाद बड़े राजनीतिक संकट के रूप में बदल गया था.
मालदीव में राष्ट्रपति ने लगाया था आपातकाल
मालदीव में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के बीच विवाद बड़े राजनीतिक संकट के रूप में बदल गया था. राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानने से इनकार कर दिया था, जिससे मालदीव में राजनीतिक संकट गहरा गया है. सांसद इवा अब्दुल्ला ने बताया था कि सभी मूलभूत अधिकारों को रद्द कर दिया गया था और सेना को अतिरिक्त ताकत दे दी गई थी.
भारत को छोड़कर दूसरे देशों से मांगी थी मदद
मालदीव में जारी राजनीतिक अस्थिरता और 15 दिनों की इमरजेंसी लगने के बाद राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 'मित्र' देशों को मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए अपने राजनयिक भेजे थे. चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों में ये राजनयिक भेजे गए थे. हालांकि भारत में कोई दूत नहीं भेजा गया था.