काठमांडो : नेपाल में प्रधानमंत्री केपी ओली नीत गठबंधन सरकार आज तब गंभीर संकट में फंस गई जब गठबंधन में शामिल प्रचंड की माओवादी पार्टी ने वर्तमान सरकार से समर्थन वापस ले लिया और दावा किया कि वह विपक्षी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से अगली सरकार बनाएगी।
सीपीएन (माओवादी सेंटर) प्रमुख पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी ने सीपीएन यूएमएल नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया क्योंकि ओली की पार्टी मई में दोनों दलों के बीच हस्ताक्षरित नौ बिन्दुओं के समझौते और नेतृत्व परिवर्तन के समझौते को लागू करने में झिझक रही है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में प्रचंड ने नया संविधान और पुराने समझौतों को लागू करने का जिक्र किया और कहा कि उनकी पार्टी हमेशा राष्ट्रीय आमसहमति बनाने के समर्थन में रही है। उन्होंने कहा कि सरकार से समर्थन वापस लेने के पार्टी के फैसले से राष्ट्रीय आमसहमति बनाने में मदद मिलेगी।
प्रचंड द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया कि हमारी पार्टी ने नया कानून लागू करने, संक्रमणकालीन न्याय के साथ शांति प्रक्रिया के लिए बचे कार्य पूरे करने, मधेसियों, जनजातियों और थारूओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुलझाने और लोगों को राहत पहुंचाने तथा पिछले साल के भयंकर भूकंप के बाद देश का पुनर्निर्माण करने के लिए राष्ट्रीय आमसहमति की जरूरत महसूस की है।
उन्होंने कहा कि मई में माओवादी पार्टी और सीपीएन यूएमएल के बीच हुए नौ बिन्दुओं के समझौते की भावना भी राष्ट्रीय आमसहमति वाली है। प्रचंड ने कहा, ‘लेकिन चूंकि वर्तमान सरकार का नेतृत्व नौ बिन्दुओं वाला समझौता और तीन बिन्दुओं वाला सज्जनों का समझौता (जिसमें सरकार नेतृत्व परिवर्तन शामिल है) लागू करने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए हमारी पार्टी के लिए इस सरकार में बने रहना राजनीतिक रूप से अनुचित होगा। इसलिए हम इस सरकार से अब समर्थन वापस लेते हैं।’
प्रचंड के करीबी सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली और माओवादी प्रमुख ने मई में सरकार को नेतृत्व प्रचंड को सौंपने का मौखिक रूप से समझौता किया था जब संसद ने नये बजट को मंजूरी दी थी। हालांकि ओली ने शीर्ष माओवादी नेता की बातों पर ध्यान नहीं दिया और कहा कि वह डेढ साल के समय में नये चुनाव होने तक सत्ता में बने रहेंगे। माओवादी पार्टी ने ओली नीत सरकार से अपने सभी मंत्रियों को भी वापस बुला लिया। प्रचंड ने कल नेपाली कांग्रेस प्रमुख शेर बहादुर देउबा से मुलाकात करके देश के वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की थी।