What is Monkeypox: अभी तक दुनिया कोरोना वायरस से परेशान थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों से मंकीपॉक्स ने भी लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. इसे लेकर हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ शोध किया है, जिसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. आइए जानते हैं क्या है वो जानकारी.
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Monkeypox Virus Research: इन दिनों कोरोना वायरस के बाद जिस वायरस की सबसे ज्यादा चर्चा है, वो है मंकीपॉक्स. इस समय 27 देशों में मंकीपॉक्स वायरस का प्रकोप है और 780 से अधिक प्रयोगशालाओं ने इसके मामलों की पुष्टि की जा चुकी है. इस बीच इसे लेकर एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने इसके डीएनए का विश्लेषण कर अंदेशा जताया है कि यह वायरस 2017 से ही अफ्रीका के बाहर फैलने लगा होगा. इस वायरस को पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में स्थानिकमारी (एनडेमिक) फैलाने वाला माना जाता है. पिछले कुछ महीनों में पहली बार इसका प्रकोप अफ्रीका के बाहर फैलता देखा जा रहा है.
ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में ऐन ओ'टूल और उनकी टीम ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि, "हम जिस पैटर्न को देख रहे हैं उससे लगता है कि यह वायरस कम से कम 2017 के बाद से मानव से मानव में पहुंच रहा है." डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडनॉम घेब्रेयसस ने एक बयान में कहा कि, "एक ही समय में कई देशों में मंकीपॉक्स की अचानक मौजूदगी से पता चलता है कि कुछ ही समय में यह बेहिसाब तरीके से फैल सकता है." विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि मंकीपॉक्स वायरस 'बेहिसाब' फैल सकता है.
इसके अलावा, ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की टीम ने मंकीपॉक्स वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग की, जिसमें पाया कि नए मामलों के लिए जिम्मेदार वायरस 2017 और 2019 के बीच इजराइल, नाइजीरिया, सिंगापुर और ब्रिटेन में फैला. पहले के इन मामलों की तुलना में नए वेरिएंट में 47 डीएनए-अक्षर परिवर्तन हैं. यह एक अप्रत्याशित रूप से बड़ी संख्या है, जिसे देखते हुए माना जाता है कि मंकीपॉक्स धीरे-धीरे विकसित होता है और इसमें प्रतिवर्ष लगभग एक म्यूटेशन होता है. इन 47 परिवर्तनों में से लगभग 42 में डीएनए अक्षर टीटी से टीए या जीए से एए में बदलना शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एपीओबीईसी3 नामक मानव एंजाइम का एक समूह है जो अपने डीएनए में म्यूटेशन को प्रेरित करके वायरस से बचाव में मदद करता है.
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा कि अमेरिका में अनुक्रमित 10 मंकीपॉक्स वायरस में से तीन में कुछ अंतर देखा गया है, जबकि कुछ वायरस अभी भी 2017 से संबंधित हैं. तीन मामले उन लोगों में पाए गए, जिन्होंने 2021 या 2022 में अफ्रीका और मध्य पूर्व के विभिन्न देशों की यात्रा की थी. यह वायरस कुछ जानवरों से लोगों के शरीर में पहुंचता है. यह कहा जा सकता है कि यह 2017 से ही अफ्रीका में काफी व्यापक रूप से फैल रहा है. हालांकि शोधकर्ताओं को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मौजूदा वायरस 2017 की तुलना में बहुत तेजी से म्यूटेशन कर रहे हैं जो संभवत: हानिकारक हैं.
स्विट्जरलैंड में बर्न विश्वविद्यालय के एम्मा होडक्रॉफ्ट के हवाले से कहा गया, "आज हम वायरस में जो म्यूटेशन देखते हैं, उससे लगता है कि वे निश्चित रूप से वे नहीं हैं, जो दूसरे वायरस को मारते हैं. ये कुछ अलग किस्म के हैं." होडक्रॉफ्ट ने कहा कि, "अब तक मंकीपॉक्स के मामले हल्के रहे हैं. अगर मंकीपॉक्स वायरस बच्चों या बुजुर्गो को संक्रमित करना शुरू कर देता है, तब इस पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो सकता है."