म्यांमार के एक सैन्य न्यायाधिकरण ने छह सैनिकों को युद्धग्रस्त काचिन राज्य में तीन नागरिकों की हत्या करने के जुर्म में 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.
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बैंकॉक: म्यांमार के एक सैन्य न्यायाधिकरण ने छह सैनिकों को युद्धग्रस्त काचिन राज्य में तीन नागरिकों की हत्या करने के जुर्म में 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. काचिन राज्य पुलिस कार्यालय ने बताया कि सैनिकों के सितंबर में तीन मूलनिवासी काचिन नागरिकों की हत्या करने का दोषी पाए जाने के बाद न्यायाधिकरण ने शुक्रवार को उन्हें सजा सुनाई.
सेना के आतंरिक जांच करने के बाद यह अभियोग चलाया गया. काचिन राज्य पुलिस के एक अधिकारी मीन जॉ ने बताया कि सुनवाई के दौरान सभी छह सैनिकों ने हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली. कचिन राज्य जातीय विद्रोही सेना का गढ़ है, जो पिछले सात साल से अधिक समय से म्यामां सेना से लड़ाई लड़ रही है.
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10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी
बांग्लादेश ने म्यांमार सीमा के पास के शिविरों में 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों की गिनती की है, जो पिछले अनुमान से ज्यादा है. रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की तैयारियों के बीच बांग्लादेश की पंजीकरण परियोजना के प्रमुख ने बुधवार को यह जानकारी दी. बांग्लादेश की थलसेना ने पिछले साल म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के देश में दाखिल होने के बाद इन शरणार्थियों का बायोमीट्रिक पंजीकरण शुरू किया था. म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.
वापस नहीं जाना चाहते शरणार्थी
शरणार्थियों का पंजीकरण इसलिए किया जा रहा है ताकि उन्हें वापस भेजने में सहूलियत हो. हालांकि, शरणार्थियों का कहना है कि वे वापस नहीं जाना चाहते. बांग्लादेश ने कहा कि वह शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया अगले हफ्ते शुरू करना चाहता है और दो साल के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बांग्लादेश ने म्यांमा से एक समझौता भी किया है.
पुलिस की गोलीबारी में गई 7 की जान
म्यांमार में सरकारी कार्यालय पर कब्जा करने की कोशिश करने वाले रखाइन बौद्धों पर मंगलवार देर रात पुलिस ने फायरिंग की. पुलिस द्वारा की गई इस फायरिंग में 7 लोगों की मौत और एक दर्जन लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है. दरअसल मंगलवार को हजारों की संख्या में बौद्ध समुदाय के लोग म्राउक यू में एक कार्यक्रम में शिरकत लेने के लिए पहुंचे थे, जिसके बाद वहां पर अचानक हिंसा भड़क गई.
हालांकि यह भी तक स्पष्ट नहीं हो पाया कि कैसे धार्मिक कार्यक्रम में इस तरह की हिंसा भड़क गई है. इस हिंसा में एक बार गौर करने वाली है वह यह है कि जिस दिन म्यांमार और बांग्लादेश के बीच 6, 55, 000 रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस बुलाने के समझौते पर हस्ताक्षर हुए उसी दिन यह सब कुछ हुआ. स्थानीय मीडिया से बातचीत के दौरान पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि भीड़ ने जिला प्रशासनिक कार्यालय में तोड फोड़ की और रखाइन राज्य का झंडा फहराने के बाद हिंसा शुरू कर दी.
इनपुट भाषा से भी