Myanmar की जनता को यकीन: China की मदद से Army ने किया तख्तापलट, विरोध में सड़कों पर उतरे हजारों लोग
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Myanmar की जनता को यकीन: China की मदद से Army ने किया तख्तापलट, विरोध में सड़कों पर उतरे हजारों लोग

म्यांमार में चीनी दूतावास के बाहर लोग जमकर विरोध-प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हैं. नाराज लोगों का कहना है कि चीन (China) की सरकार म्यांमार की सेना का समर्थन कर रही है. उनका यह भी कहना है कि चीन सेना को हथियार मुहैया करा रहा है, ताकि विरोध-प्रदर्शनों को दबाया जा सके.

म्यांमार में चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करते लोग. (फोटो CNA)

यंगून: म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट के पीछे क्या चीन (China) का हाथ है? यह सवाल खड़ा हो गया है म्यांमार में हो रहे चीन विरोधी प्रदर्शनों (Protest) से. सेना (Army) द्वारा चुनी हुई सरकार को सत्ता से हटाने और प्रमुख नेता अंग सान सूची (Aung San Suu Kyi)  सहित अन्य  नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ हजारों की संख्या में लोग म्यांमार की सड़कों पर उतर आए हैं. सैन्य शासन ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, इसके बावजूद उसके लिए प्रदर्शनकारियों को रोकना मुश्किल हो रहा है. ये प्रदर्शनकारी अब चीन पर भी साजिश का आरोप लगा रहे हैं.

  1. चीनी दूतावास के बाहर लोगों ने किया प्रदर्शन
  2. हथियारों के जरिए सेना को मदद पहुंचाने का आरोप
  3. निर्वाचित सरकार ने लिए थे चीन विरोधी फैसले 

Jinping के खिलाफ नारेबाजी

बड़ी संख्या में लोग चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की फोटो के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं, जिस पर लिखा है ‘वी आर वॉचिंग यू मिस्टर शी जिनपिंग’ यानी हम तुम्हें देख रहे हैं जिनपिंग. म्यांमार के यंगून में स्थित चीनी दूतावास के बाहर लोगों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन और नारेबाजी की. नाराज लोगों का कहना है कि चीन (China) की सरकार म्यांमार की सेना का समर्थन कर रही है.

बंद नहीं होंगे Protest

चीन विरोधी प्रदर्शन के दौरान लोग हाथों में तरह-तरह के बैनर लिए हुए थे. एक बैनर पर लिखा था, ‘चीन म्यांमार के खनिज और जवाहरात के लिए लालची मत बनो’. वहीं, दूसरे बैनर पर लिखा था कि चीन हथियारों के जरिये म्यांमार की सेना को सहायता पहुंचा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सेना लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को सत्ता नहीं सौंप देती, तब तक प्रदर्शन होते रहेंगे.

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इसलिए है China पर शक

चीन पर इसलिए भी शक हो रहा है, क्योंकि 3 फरवरी को जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में म्यांमार में हुए तख्तापलट के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश हुआ, तो चीन वीटो पावर इस्तेमाल कर उसे रोक दिया. अमेरिका-ब्रिटेन सहित सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों ने यह प्रस्ताव पेश किया था.  इसके अलावा, तख्तापलट से कुछ दिन पहले ही यंगून में मौजूद चीनी राजदूत वांग यी ने म्यांमार के सेना प्रमुख से मुलाकात की थी.  तख्तापलट के बाद चीनी राजदूत ने इसे आंतरिक मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया था.

ये है मुख्य कारण

चीन को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को इसलिए भी नहीं नकारा जा सकता, क्योंकि वह म्यांमार की निर्वाचित सरकार से काफी परेशान चल रहा था. दरअसल, म्यांमार चीन की महत्वकांक्षी परियोजना वन रोड वन बेल्ट का सदस्य है. सूची के नेतृत्व वाली सरकार चीन के इरादे भांप गई थी और उसने इस परियोजना को लटकाना शुरू कर दिया था. ऐसे में म्यांमार में तख्तापलट चीन के लिए हर लिहाज से फायदेमंद है. 

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