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यांगून: म्यांमार (Myanmar) में सेना के खिलाफ प्रदर्शन (Protests) थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अब तक कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है, इसके बावजूद लोग लोकतंत्र की रक्षा के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं. सोमवार को भी सेना (Army) के आदेश पर हथियारबंद पुलिस ने प्रदर्शन को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया, लेकिन इस बार उसे एक ऐसे विरोध का सामना करना पड़ा, जिसने कुछ देर के लिए पुलिसकर्मियों को भी पशोपेश में डाल दिया. दरअसल, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच सिस्टर एन रोज नु तवांग (Ann Rose NuTawng) दीवार बनकर खड़ी हो गईं थीं. उन्होंने पुलिसकर्मियों से यहां तक कहा कि वे उनकी जान ले सकते हैं, लेकिन बच्चों पर गोली न चलाएं.
सिस्टर तवांग के इस साहस की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है. Myitkyina में जब पुलिस प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पहुंची, तो सिस्टर को समझ आ गया था कि अब क्या होने वाला है. उन्हें प्रदर्शन करने वाले बेकसूर लोगों की फिक्र थी. इसलिए सफेद रोब और काले हैबिट में हाथ फैलाये सिस्टर रोज सड़क के बीचों-बीच बैठ गईं और गोली न चलाने की गुहार करने लगीं. उन्हें इस तरह से देखकर पुलिसकर्मी भी पशोपेश में पड़ गए. उन्हें समझ नहीं आया कि सेना का आदेश मानें या सिस्टर की गुहार सुनें.
A Myanmar nun, Sister Ann Rose Nu Tawng, kneeled before police officers in the city of Myitkyina to ask security forces to refrain from violence against children and residents https://t.co/ojnACSHY1I pic.twitter.com/eKSd7XM7se
— Reuters (@Reuters) March 9, 2021
सिस्टर तवांग ने बताया कि उनका केवल एक ही मकसद था बच्चों को बचाना. उन्होंने कहा, ‘मैंने पुलिस से कहा कि बच्चों को मारने, प्रताड़ित करने के बजाये वो मेरी जान ले सकते हैं. मुझे गोली मार सकते हैं’. गौरतलब है कि सोमवार को भी तख्तापलट के खिलाफ बड़ी संख्या में लोग Myitkyina में जमा हुए थे. प्रदर्शनकारी आंग सान सूची सहित गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की मांग कर रहे थे. तभी वहां भारी संख्या में पुलिस पहुंच गई और प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग शुरू कर दिया. यह देखकर सिस्टर एन रोज नु तवांग से रहा नहीं गया और उन्होंने अनोखे अंदाज में पुलिस से रहम की गुहार लगाई.
सिस्टर को इस तरह जमीन पर बैठा देखकर पुलिसकर्मी भी कुछ देर के लिए सोच में पड़ गए. अधिकारियों ने हाथ जोड़कर सिस्टर से कहा कि उन्हें प्रदर्शन रोकने के लिए यह करना ही पड़ेगा. इसके कुछ ही देर बाद पुलिस की तरफ से फायरिंग शुरू हो गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. सिस्टर तवांग ने पुलिस की कार्रवाई पर दुख जताते हुए कहा, ‘मेरी मौत तो उसी दिन हो गई थी जब सेना ने तख्तापलट करके निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारना शुरू किया था’.
म्यांमार की सेना कई बार प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दे चुकी है, इसके बावजूद लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. अब तक कम से कम 60 लोगों की मौत हो चुकी और जिस तरह से सेना कार्रवाई कर रही है उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में यह आंकड़ा काफी ज्यादा हो सकता है. पुलिस ने रविवार को अस्पतालों और विश्वविद्यालय परिसरों पर कब्जा करके बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था. बता दें कि तख्तापलट और हिंसा के कारण दुनिया के कई देशों ने म्यांमार के सैन्य नेताओं पर पाबंदी लगा दी है. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार सेना से प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग न करने की अपील कर रहा है, लेकिन सेना कुछ सुनने को तैयार नहीं.