फिलस्तीन की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान यह मोदी का पहला कार्यक्रम था. फिलस्तीन को भारत द्वारा एक देश के तौर पर मान्यता दिए जाने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली फिलस्तीन यात्रा है.
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रामल्ला (पश्चिम तट): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलस्तीन के दिवंगत नेता यासर अराफात के मकबरे पर 1 फरवरी को पुष्पचक्र चढ़ाया. फिलस्तीन की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान यह मोदी का पहला कार्यक्रम था. फिलस्तीन को भारत द्वारा एक देश के तौर पर मान्यता दिए जाने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली फिलस्तीन यात्रा है. मोदी जॉर्डन सेना के हेलीकॉप्टर पर सवार होकर अम्मान से सीधे रामल्ला पहुंचे जहां फिलस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला ने उनका स्वागत किया. प्रधानमंत्री मोदी के हेलिकॉप्टर की सुरक्षा में इजरायली वायु सेना के हेलिकॉप्टर तैनात थे.
हमदल्ला के साथ प्रधानमंत्री मोदी अराफात के मकबरे पर गए. 10 नवंबर 2007 को इस मकबरे का अनावरण हुआ था और यह फिलस्तीन के राष्ट्रपति भवन परिसर ‘मुकाटा’ के बगल में है. मोदी ने अराफात का जिक्र करते हुए ट्वीट किया, ‘‘अबु अम्मार महान वैश्विक नेताओं में से एक थे. फिलस्तीन के लिए उनका योगदान ऐतिहासिक है.वह भारत के अच्छे मित्र थे. मैं उन्हें रामल्ला में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.’’ अराफात को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने हमदल्ला के साथ अराफात संग्रहालय की सैर की. यह संग्रहालय अराफात के मकबरे के पास ही है.
History in the making. In a first-ever visit by an Indian Prime Minister to Palestine, PM @narendramodi on the way to Ramallah in a chopper provided by Jordan government and escorted by choppers from Israel Air Force. pic.twitter.com/Nx7AtyLS8W
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) February 10, 2018
11वें महीने की 11 तारीख को अराफात का निधन
मकबरे की हर दीवार की लंबाई 11 मीटर है और उनसे एक क्यूब बनता है. यह 11वें महीने की 11 तारीख को हुए अराफात के निधन का सूचक है. अराफात के मकबरे के बगल में एक मीनार है जो 30 मीटर ऊंची है. मीनार के शीर्ष पर एक लेजर प्रणाली है जो यरूशलम की दिशा में रोशनी की बौछार करता है. फिलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात के बाद संयुक्त प्रेस बयान के दौरान मोदी ने कहा कि फिलस्तीन संघर्ष में अराफात का योगदान अविचल है.
अराफात आठ साल तक फिलस्तीन के राष्ट्रपति रहे
उन्होंने कहा, ‘‘वह भारत के अभिन्न मित्र थे. उनको समर्पित संग्रहालय में जाना मेरे लिए अविस्मरणीय पल था. मैं अबु अम्मार को एक बार फिर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.’’ साल 1929 में काहिरा में जन्मे अराफात का निधन 11 नवंबर 2004 को हुआ था. वह आठ साल तक फिलस्तीन के राष्ट्रपति रहे थे. साल 1990 में फिलस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) के प्रमुख ने इजरायल से वार्ता की थी और 1993 में उन्होंने ओस्लो समझौता किया जिससे फिलस्तीन को पश्चिमी तट और गाजा पट्टी में स्वशासन प्राप्त हो सका. साल 1994 में अराफात ने इजरायली नेता यित्झक राबिन और शिमोन पेरेज के साथ शांति का नोबेल पुरस्कार जीता.
(इनपुट एजेंसी से भी)