मोदी और नेतन्याहू को उम्मीद, शांति-वार्ता और संयम ही पश्चिम एशिया में लाएगी स्थिरता
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मोदी और नेतन्याहू को उम्मीद, शांति-वार्ता और संयम ही पश्चिम एशिया में लाएगी स्थिरता

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और इज़रायल की भौगोलिक स्थित जटिल है और वे क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के रणनीतिक खतरों से वाकिफ हैं.

यरूशलम में इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भेंट करते भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो : बेंजामिन नेतन्याहू/ट्विटर)

यरूशलम: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके इज़रायली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार (5 जुलाई) को उम्मीद जताई कि शांति, वार्ता और संयम पश्चिम एशिया में स्थिरता लाएगा, जो बरसों से चले आ रहे संघर्ष से प्रभावित रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और इज़रायल की भौगोलिक स्थित जटिल है और वे क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के रणनीतिक खतरों से वाकिफ हैं. उन्होंने अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दूसरे दिन अपने इज़रायली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू के साथ व्यापक मुद्दों पर वार्ता के बाद यह कहा. किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इज़रायल की यह पहली यात्रा है.

उन्होंने कहा, 'भारत आतंकवादी हिंसा और फैलाए गयी नफरत से सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है. ऐसा इज़रायल के साथ भी हुआ है. मैं और प्रधानमंत्री नेतन्याहू अपने रणनीतिक हितों की हिफाजत के लिए साथ में और अधिक काम करने के लिए तथा पश्चिम एशिया में बढ़ते कट्टरपंथ और आतंकवाद से लड़ने में सहयोग करने के लिए भी सहमत हुए.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमने पश्चिम एशिया और विस्तृत क्षेत्र के हालात पर चर्चा की. भारत को आशा है कि शांति, वार्ता और संयम कायम रहेगा.' बाद में एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने यह माना कि आतंकवाद वैश्विक शांति और स्थिरता को एक गंभीर खतरा पैदा करता है. उन्होंने दोहराया कि इसके सभी रूपों का मुकाबला करने में इसकी मजबूत प्रतिबद्धता है. 

आतंकवाद और कट्टरपंथ की बढ़ती समस्या पर अपनी साझा चिंता जाहिर करते हुए भारत और इज़रायल अपने रणनीतिक हितों की हिफाजत करने के लिए सहयोग करने को सहमत हुए तथा आतंकवादी संगठनों और उनके प्रायोजकों के खिलाफ सख्त कदम का आहवान किया.

अपनी तीन दिनों की यात्रा के दौरान मोदी फलस्तीन नहीं जाएंगे, जबकि अतीत में भारतीय नेताओं ने इज़रायल की यात्रा के दौरान फलस्तीन की भी यात्रा की है. वहीं, भारत अब और अधिक निवेश आकर्षित करने तथा इज़रायल की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी एवं रक्षा तकनीक का लाभ उठाने की आशा कर रहा है.

गौरतलब है कि पश्चिम एशिया क्षेत्र इज़रायल और फलस्तीन के बीच संघर्ष तथा आतंकी संगठन आईएसआईएस से लड़ाई, सीरिया और यमन में गृह युद्ध से प्रभावित रहा है. युद्ध के चलते इराक और सीरिया में लाखों लोगों ने अपना घर बार छोड़ कर पलायन किया है.

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