नासा ने अंतरिक्ष स्टेशन में ‘रेंच’ किया ईमेल
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नासा ने अंतरिक्ष स्टेशन में ‘रेंच’ किया ईमेल

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में मौजूद ‘3डी प्रिंटर’ के लिए एक नये रेंच (औजार) को ‘ईमेल डिजिटल फाइल’ के रूप में भेजा है। इस तरह से उसने पहली बार अंतरिक्ष में हार्डवेयर ईमेल किया है।

वाशिंगटन : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में मौजूद ‘3डी प्रिंटर’ के लिए एक नये रेंच (औजार) को ‘ईमेल डिजिटल फाइल’ के रूप में भेजा है। इस तरह से उसने पहली बार अंतरिक्ष में हार्डवेयर ईमेल किया है।

इस प्रिंटर को सितंबर में आईएसएस में पहुंचाया गया था। इसे नासा ने ‘मेड इन स्पेस’ टीम के सहयोग से तैयार किया था। आईएसएस के अंतरिक्ष यात्री बेरी विलमोर के अनुरोध पर ‘मेड इन स्पेस’ टीम ने इस औजार को तैयार किया है जिसके बाद इसने डिजिटल प्रिंटिंग फाइल को नासा के पास भेजा और उसने इसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को अपलोड कर दिया।

टेक टाइम्स की खबर के मुताबिक डिजिटल फाइल के अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने पर विलमोर प्रिंटर को चालू कर दंेगे, जिसने 20 अलग-अलग हिस्सों को आपस में मिला दिया जाएगा, जिसे विलमोर उसी रेंच का रूप दे देंगे जिसका उन्होंने अनुरोध किया था।

मेड इन स्पेस के संस्थापक माइक चेन ने बताया, हमने जिस सॉकेट रेंच को अभी अभी बनाया है वह ऐसी पहली वस्तु है जिसका डिजाइन हमने पृथ्वी पर तैयार किया और उसे डिजिटल रूप में अंतरिक्ष में भेजा। उन्होंने बताया, यह पहला मौका है जब हमने हार्डवेयर अंतरिक्ष में ईमेल किया है।

चेन ने बताया कि अंतरिक्ष में भौतिक वस्तुओं को भेजने की तुलना में डिजिटल डेटा भेजने की प्रक्रिया काफी तेजी से पूरी होती है, जिसके चलते अंतरिक्ष में वस्तुओं को 3डी प्रिंट करने का कहीं अधिक मतलब बनता है। वह भी ऐसे में जब हम ऐसा कर सकते हैं। डिजिटल डेटा प्रकाश की गति से जाता है जबकि वस्तुओं को किसी रॉकेट से भेजने के लिए महीनों..बरसों का इंतजार करना पड़ता है। गौरतलब है कि इससे पहले जब कभी अंतरक्षि यात्रियों को किसी वस्तु या औजार की जरूरत पड़ती थी तो उन्हें नियमित यान के जरिए इनकी आपूर्ति का इंतजार करना पड़ता था। नवंबर में प्रिंटर ने अंतरिक्ष में प्रथम 3डी प्रिंटेड वस्तु बनाई थी।

नासा ने कहा कि अंतरक्षि में बनाई गई प्रथम वस्तु गहन विश्लेषण के लिए 2015 में पृथ्वी पर लाई जाएगी, जिसके बाद यह जानने की कोशिश की जाएगी कि क्या 3डी प्रिंटिंग प्रक्रिया उसी सूक्ष्म गुरूत्व में काम करती है जैसा कि वह पृथ्वी पर करती है।

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