जिस दौलत के लिए नवाज शरीफ राजनीति में आए, उसी दौलत ने उनकी राजनीति खत्म कर दी
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जिस दौलत के लिए नवाज शरीफ राजनीति में आए, उसी दौलत ने उनकी राजनीति खत्म कर दी

आज जिस बिजनेस और प्रॉपटी के चक्कर में नवाज शरीफ की राजनैतिक पारी खत्म हो रही है, एक जमाने में उसी तरह की प्रॉपर्टी और बिजनेस को बचाने के लिए नवाज शरीफ बिजनेस छोड़कर राजनीति में आए थे.

जिस दौलत के लिए नवाज शरीफ राजनीति में आए, उसी दौलत ने उनकी राजनीति खत्म कर दी

नई दिल्ली: पाकिस्तान में एक पखवाड़े बाद आम चुनाव होने हैं और उससे ठीक पहले देश के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को 10 साल की सजा सुना दी गई है. उनकी बेटी मरियम शरीफ और बाकी परिवार भी सजा के लपेटे में आ गया है. इन हालात में बहुत मुश्किल है कि नवाज शरीफ और उनका परिवार अब वापस पाकिस्तान लौट सके. इस तरह, पनामा पेपर्स के जाल में फंसने के बाद मियां मुहम्मद नवाज शरीफ के राजनैतिक कैरियर पर पूर्ण विराम लगता दिखा रहा है. पनामा पेपर्स में उन पर जो सबसे बड़ा इल्जाम लगा वह है लंदन के एवनफील्ड हाउस में करीब 400 करोड़ रुपये के चार बड़े फ्लैट काले धन से खरीदना. एवनफील्ड हाउस को टैक्स हैवन हाउस भी कहा जाता है क्योंकि यहां के मकान उन कंपनियों ने बनाए हैं जिन्हें  दुनिया में कालेधन को सफेद करने के लिए जाना जाता है.

आज जिस बिजनेस और प्रॉपटी के चक्कर में नवाज शरीफ की राजनैतिक पारी खत्म हो रही है, एक जमाने में उसी तरह की प्रॉपर्टी और बिजनेस को बचाने के लिए नवाज शरीफ बिजनेस छोड़कर राजनीति में आए थे.

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किसी जमाने में उनके पिता मुहम्म्द शरीफ पाकिस्तान के बड़े उद्योगपति थे और उन्होंने इत्तेफाक और शरीफ ग्रुप नाम से दो बड़े बिजनेस ग्रुप बनाए थे. 70 के दशक में शरीफ परिवार का बड़ा कारोबार था और उनके पास स्टील मिल्स थीं. लेकिन तभी बेनजीर भुट्टो के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने देश में उद्योगों के राष्ट्रीयकरण की मुहिम शुरू की. शरीफ परिवार की स्टील मिल्स का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया. यह मुहिम कुछ-कुछ वैसी ही थी, जैसी भारत में जवाहरलाल नेहरू के समय टाटा की एयरलाइंस का अधिग्रहण कर एयर इंडिया बनाया जाना या बाद में इंदिरा गांधी के समय में बैंकों का राष्ट्रीयकरण होना. इस एक फैसले से शरीफ परिवार का कारोबार बुरी तरह चरमरा गया.

युवा नवाज शरीफ अपनी स्टील मिल्स को वापस पाने के उद्देश्य से राजनीति में आए. उन्होंने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से अपनी राजनीति शुरू की. जल्द ही वे पाकिस्तान के फौजी तानाशाह जनरल जिया उल हक को पसंद आ गए. शरीफ ने जिया उल हक को समाजवाद से पूंजीवाद की तरफ बढ़ने के लिए समझाया और इस दौर में उनकी जब्त हुई स्टील मिल्स उन्हें वापस मिल गईं.

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जब 1990 के दशक में शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश को उदारीकरण और खुले बाजार की व्यवस्था की तरफ आगे बढ़ाया. ठीक इसी समय भारत को भी प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव उदारीकरण और खुले बाजार की तरफ ले जा रहे थे. भारत में यह काम जहां देश को नए युग में ले जाने के लिए हो रहा था, वहीं पाकिस्तान में यह काम नवाज शरीफ की कॉर्पोरेट बादशाहत वापस लाने के लिए हो रहा था. आज शरीफ का परिवार और कारोबार दोनों ही पाकिस्तान के सबसे रईस लोगों में शामिल है.

लेकिन तीन साल बाद ही नवाज शरीफ पर भ्रष्टाचार के आरोप लग गए. तत्कालीन राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया. 1997 में शरीफ फिर प्रधानमंत्री बने, लेकिन दो साल बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर शरीफ को हटा दिया. शरीफ लंदन भाग गए. और उन्हीं बदनाम अपार्टमेंट्स में रहने लगे, जिनको कालेधन से उन्होंने खरीदा था.

 लेकिन नवाज ने हार नहीं मानी. परवेज मुशर्रफ के पद से हटने के बाद वे एक बार फिर पाकिस्तान की सियासत में लौटे. अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी और उनकी संपत्ति राजसात करने वाले जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो भी इस बीच एक आतंकवादी हमले में मार दी गईं.

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 शरीफ के सारे दुश्मन खत्म हो चुके थे. वे अब पाकिस्तान पर एकछत्र राज करने को तैयार थे. लेकिन तभी 2016 में पनामा पेपर्स का जिन्न बोतल से बाहर निकला. इन पेपर्स के सामने आने के बाद वही दौलत उनकी जान की दुश्मन बन गई, जिसे हासिल करने के लिए वे राजनीति में आए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा. उसके बाद उन्हें अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज का अध्यक्ष बने रहने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया गया. फिर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई. और आज उन्हें 10 साल की सजा सुना दी गई है. बेटी को भी सजा सुना दी गई है और दोनों लड़के हसन और हुसैन भगोड़े घोषित कर दिए गए हैं. और नवाज शरीफ लंदन के एविनफील्ड हाउस में बैठकर टीवी पर खुद को सुनायी गई सजा सुन रहे हैं, जिन्हें गलत तरीके से खरीदने के वे दोषी पाए गए हैं.

कारोबार के लिए सियासत में आए नवाज ने सियासत को ऐसा कारोबार बना दिया जो अंत में उन्हें ले डूबा. उनकी बेटी मरियम सजा मिलने के बाद भी ट्वीट करके इसे राजनैतिक बदला बता रही हैं, लेकिन शरीफ परिवार एक किस्म के प्राकृतिक न्याय पर तो पहुंच ही चुका है.

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