भारत-चीन विवाद को लेकर अब नेपाल का बयान सामने आया है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली (Pradeep Gyawali) ने भारत-चीन के बीच अच्छे रिश्तों की वकालत की है. ग्यावली ने शुक्रवार को कहा कि एशिया का भविष्य कैसा होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारत और चीन के बीच रिश्ते कैसे हैं.
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काठमांडू: भारत-चीन (India China) विवाद को लेकर अब नेपाल (Nepal) का बयान सामने आया है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली (Pradeep Gyawali) ने भारत-चीन के बीच अच्छे रिश्तों की वकालत की है.
ग्यावली ने शुक्रवार को कहा कि एशिया का भविष्य कैसा होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारत और चीन के बीच रिश्ते कैसे हैं. नेपाल के विदेशमंत्री से पहले चीनी राजदूत ने भी दोनों देशों के मजबूत संबंधों पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत-चीन की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर टिकीं हैं, यदि उन्हें जबरन अलग किया जाता है तो दोनों देशों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
The rise of China and aspiring rise of India as well, how they engage with themselves, how their partnership will move on and how they manage their differences will definitely set the future of Asia, at least in this region: Nepal Foreign Affairs Minister Pradeep Gyawali pic.twitter.com/SL7krK9wqB
— ANI (@ANI) July 31, 2020
प्रदीप ग्यावली ने कहा कि ‘चीन और भारत अपने महत्वाकांक्षी उदय के साथ-साथ अपने आप से कैसे जुड़ते हैं, उनकी साझेदारी कैसे आगे बढ़ती है और कैसे वे अपने मतभेदों को सुलझाते हैं, निश्चित तौर पर इन्हीं सवालों के जवाब से एशिया का भविष्य तय होगा’. उन्होंने आगे कहा कि वुहान शिखर सम्मेलन के बाद भारत और चीन के बीच साझेदारी गहरी हो गई थी, दोनों एक-दूसरे के करीब आये थे, लेकिन वर्तमान में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद अब तनाव बढ़ गया है. हालांकि, दोनों देश तनाव कम करने के की कोशिश कर रहे हैं, फिर भी चुनौतियां हैं.
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वहीं, नेपाल के प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड के बीच सुलह कराने में नाकाम रहीं चीनी राजदूत हाओ यांकी ने नेपाल को भारत के खिलाफ भड़काने के आरोपों से इंकार किया है. नेपाली अखबार ‘नया पत्रिका’ को दिए इंटरव्यू में यांकी ने इस विषय पर कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल विवाद में उनके देश को जबरन घसीटा जा रहा है. कालापानी का मुद्दा नेपाल और भारत के बीच का है और दोनों देशों को इस मुद्दे को मिलकर सुलझाना चाहिए.
चीनी राजदूत ने आगे कहा, ‘चीन नेपाल की संप्रभुता और भौगोलिक अखंडता का सम्मान करता है. कालापानी का मुद्दा नेपाल और भारत के बीच का मामला है. हमें उम्मीद है कि दोनों देश मैत्रीपूर्ण चर्चा के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर कर लेंगे. एकतरफा कार्रवाई से स्थिति जटिल हो सकती है’. हाओ यांकी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी इस इंटरव्यू के बारे में जानकारी दी है.
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