Nepal: नवंबर में होंगे मध्‍यावधि चुनाव, President ने भंग की प्रतिनिधि सभा
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Nepal: नवंबर में होंगे मध्‍यावधि चुनाव, President ने भंग की प्रतिनिधि सभा

देश को स्थिर सरकार देने के लिए राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने मध्‍यावधि चुनावों की घोषणा कर दी है. उन्‍होंने प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा और के.पी.शर्मा ओली दोनों के दावों का खंडन किया है. 

राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी (फाइल फोटो)

काठमांडू: नेपाल (Nepal) में कई दिनों से गहराया राजनीतिक संकट सुलझता नजर नहीं आ रहा था. शुक्रवार को प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली और विपक्षी दलों दोनों ने ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था. लेकिन अब राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी  (President Bidya Devi Bhandari) ने प्रतिनिधि सभा भंग कर दी है. साथ ही देश में मध्‍यावधि चुनावों (Mid-Term Elections) की तारीख भी घोषित कर दी है. 

  1. राष्‍ट्रपति ने खारिज किए सरकार बनाने के दोनों दावे 
  2. नेपाल में मध्‍यावधि चुनावों की घोषणा 
  3. नवंबर में होंगे चुनाव 

नवंबर में होंगे चुनाव 

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने मध्यावधि चुनाव के लिए नवंबर महीने की तारीखें दी हैं. राष्‍ट्रपति कार्यालय के द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है, 'राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने प्रतिनिधि सभा भंग कर दी है. उन्‍होंने देश में मध्‍यावधि चुनाव कराने के लिए नई तारीखों की घोषणा कर दी है. ये चुनाव 12 और 19 नवंबर होंगे. साथ ही राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) और के.पी.शर्मा ओली (K.P.Sharma Oli) दोनों के दावों का खंडन किया है.'

यह भी पढ़ें: नेपाल: विपक्ष से पहले ही ओली ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, राष्ट्रपति के पाले में गेंद

विश्‍वास मत हार गए थे ओली 

ओली सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष हैं. उन्हें 14 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गयी थी. इससे चार दिन पहले ही वह संसद में विश्वास मत पाने में विफल गये थे. बता दें कि नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 121 सीटों के साथ सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ा दल था लेकिन बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत थी. वहीं देउबा  149 सांसदों के हस्‍ताक्षर वाला पत्र लेकर राष्‍ट्रपति कार्यालय पहुंचे थे लेकिन उनसे पहले ही ओली ने पत्र सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था. 

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