राम मंदिर को लेकर नेपाल के राजदूत ने दिया बयान, दोनों देशों के रिश्तों पर कही यह बात
Advertisement

राम मंदिर को लेकर नेपाल के राजदूत ने दिया बयान, दोनों देशों के रिश्तों पर कही यह बात

अब इसे भगवान राम का प्रताप कहें या कुछ और कि चीन (China) के इशारे पर चलने वाला नेपाल (Nepal) अब भारत (India) के साथ अच्छे संबंधों की वकालत कर रहा है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: चीन (China) के इशारे पर चलने वाला नेपाल (Nepal) अब भारत (India) के साथ अच्छे संबंधों की वकालत कर रहा है. अयोध्या में राममंदिर के भूमिपूजन के मौके पर भारत में नेपाल के राजदूत ने दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों की बात कही. 

  1. भारत में नेपाल के राजदूत एन अचार्य ने संबंधों में बेहतरी की जताई आस
  2. कहा, राम-जानकी करते रहेंगे बेहतर संबंधों के लिए प्रेरित
  3. चीन का हाल देखकर भारत के प्रति बदलने लगा है नेपाल का रुख 

नेपाल के राजदूत एन अचार्य (N Acharya) ने कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या में राम मंदिर  की आधारशिला रखी गई. राम-सीता से जुड़े दोनों देशों के रिश्ते मजबूत रहे हैं और आगे भी इसमें मजबूती आएगी. हमारे संबंध बेहतर होंगे’. उन्होंने आगे कहा कि राम-जानकी हमें बेहतर संबंधों के लिए प्रेरित करते रहेंगे और आधुनिक समय में हमारे बीच सहयोग की भावना बढ़ेगी. 

गौरतलब है कि PM मोदी ने भूमिपूजन के अवसर पर नेपाल सहित कई देशों का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि राम कथाओं का विवरण मलेशिया, कंबोडिया, थाईलैंड, ईरान जैसे देशों में भी मिलेगा. नेपाल और श्रीलंका से तो राम का आत्मीय संबंध जुड़ा है. 

नेपाल के राजदूत का दोनों देशों के रिश्तों को लेकर बयान देना दर्शाता है कि कहीं न कहीं नेपाल को यह समझ आ गया है कि भारत से बैर उसके लिए भारी पड़ सकता है. चीन का हाल उसके सामने है. भारत के साथ सीमा विवाद को हवा देने के बाद से चीन के खिलाफ पूरी दुनिया में माहौल निर्मित हो गया है. नई दिल्ली ने तो कार्रवाई की ही है, अमेरिका सहित कई अन्य देश भी उसी राह पर हैं.

हाल ही में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली (Pradeep Gyawali) ने भारत-चीन के बीच अच्छे रिश्तों की वकालत की थी. उन्होंने कहा था चीन और भारत अपने महत्वाकांक्षी उदय के साथ-साथ अपने आप से कैसे जुड़ते हैं, उनकी साझेदारी कैसे आगे बढ़ती है और कैसे वे अपने मतभेदों को सुलझाते हैं, निश्चित तौर पर इन्हीं सवालों के जवाब से एशिया का भविष्य तय होगा. ग्यावली ने आगे कहा था कि वुहान शिखर सम्मेलन के बाद भारत और चीन के बीच साझेदारी गहरी हो गई थी, दोनों एक-दूसरे के करीब आये थे, लेकिन वर्तमान में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद अब तनाव बढ़ गया है. हालांकि, दोनों देश तनाव कम करने के की कोशिश कर रहे हैं, फिर भी चुनौतियां हैं.

(इनपुट: ANI से भी)

Video-

 

Trending news