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वेलिंगटन: न्यूजीलैंड (New Zealand) में जल्द ही बिना तारों के बिजली सप्लाई (Wireless Power Supply) की जाएगी. न्यूजीलैंड की फर्म एमरोड (Emrod), ऊर्जा वितरण कंपनी पावरको और निकोला टेस्ला (Nikola Tesla) मिलकर इसका ट्रायल करने जा रहे हैं. इस ट्रायल के तहत ऑकलैंड के उत्तरी द्वीप में स्थित एक सोलर फार्म से कई किमी दूर की बस्तियों में बीम एनर्जी (Beam Energy) के जरिए बिजली (Electricity) पहुंचाई जाएगी. इसके लिए जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं.
एक मीडिया के अनुसार, बीम एनर्जी टेक्नोलॉजी (Beam Energy Technology) के तहत माइक्रोवेव की बहुत पतली बीम के रूप में बिजली पहुंचाई जाएगी. वैसे, पावर बीमिंग की इस प्रक्रिया का पहले भी इस्तेमाल किया जा चुका है, लेकिन यह सेना और अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोगों तक ही सीमित थी. 1975 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने माइक्रोवेव के माध्यम से 1.6 किमी दूरी तक 34.6 किलोवॉट बिजली भेजने का रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि इसका इस्तेमाल व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं किया गया था.
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दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में एमरोड कंपनी के फाउंडर ग्रेग कुशनिर के हवाले से बताया गया है कि शुरुआत में 1.8 किमी तक कुछ किलोवॉट बिजली भेजी जाएगी. इसके बाद धीरे-धीरे दूरी और बिजली आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कई फायदे होंगे. सबसे पहला तो यही कि दूरदराज इलाकों में बिजली भेजने के लिए तारों पर होने वाले भारी-भरकम खर्चे से छुटकारा मिलेगा.
कुशनिर के मुताबिक, बिना तारों के बिजली पहुंचाने की दो और टेक्नोलॉजी पर उनकी कंपनी काम कर रही है. इनमें से एक रिले है, जो निष्क्रिय उपकरण है. यह लैंस की तरह काम करता है और माइक्रोबीम को रीफोकस करके कम से कम ट्रांसमिशन लॉस के जरिए बिजली पहुंचाता है. दूसरा है मेटामटेरियल्स. ये पहले से ही क्लोकिंग डिवाइस में लगाए जाते रहे हैं, ये युद्धपोत और लड़ाकू विमान को रडार से बचने में मदद करते हैं, साथ ही ये विद्युत चुंबकीय तरंगों को बिजली में बेहतर तरीके से बदलने में सक्षम हैं.
हवा में बिजली सप्लाई के जोखिम पर कुशनिर ने बताया कि इन बीम्स का घनत्व काफी कम होगा. इसलिए इंसान और जानवरों पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होगा. फिर भी एहतियात के लिए इन बीम्स को एक तरह से लेजर के पर्दे से कवर कर दिया जाएगा. लंदन के इंपीरियल कॉलेज की स्टडी के मुताबिक इंसान या अन्य डिवाइसों को इससे कोई खतरा नहीं होगा.
एमरोड के अलावा कई और कंपनियां भी हवा से बिजली भेजने की योजना पर काम कर रही हैं. इसमें सिंगापुर की ट्रांसफरफाई और अमेरिका की पावरलाइट टेक्नोलॉजी भी शामिल हैं. वहीं, जापान की मित्सुबिशी भी सोलर पैनल लगे उपग्रहों से बिजली सप्लाई की संभावना तलाश रही है. तारों से बिजली आपूर्ति में होने वाली परेशानी और बढ़ते लागत खर्च को देखते हुए कंपनियां नई-नई तकनीक पर काम कर रही हैं.