उत्तर कोरिया ने किया रॉकेट इंजन टेस्ट, सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा
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उत्तर कोरिया ने किया रॉकेट इंजन टेस्ट, सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा

प्रतिष्ठित विश्लेषण समूह 38 नॉर्थ ने कहा कि यह बात स्पष्ट नहीं है कि उत्तर कोरिया के सोहे नामक उपग्रह प्रक्षेपण स्थल से जो परीक्षण किया गया है, उसमें आईसीबीएम इंजन लगा था या नहीं.

वर्ष 2011 में किम जोंग-उन के सत्ता संभालने के बाद से देश ने मिसाइल क्षमता में भारी वृद्धि की है. (रॉयटर्स फाइल फोटो)

सोल: एक निगरानी समूह ने बुधवार (28 जून) को उत्तर कोरिया द्वारा एक छोटे रॉकेट इंजन का प्रक्षेपण किए जाने की पुष्टि की है. इससे पहले एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा था यह परीक्षण अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने की दिशा में एक कदम हो सकता है. प्रतिष्ठित विश्लेषण समूह 38 नॉर्थ ने कहा कि यह बात स्पष्ट नहीं है कि उत्तर कोरिया के सोहे नामक उपग्रह प्रक्षेपण स्थल से जो परीक्षण किया गया है, उसमें आईसीबीएम इंजन लगा था या नहीं.

उपग्रह से ली गई तस्वीरों के विश्लेषण के आधार पर वॉशिंगटन के समूह ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि परमाणु हथियारों से संपन्न उत्तर कोरिया ने 22 जून को या उसके आसपास 'एक छोटा रॉकेट इंजन परीक्षण' किया है. समूह ने कहा, 10 जून को ली गई पिछली तस्वीरें परीक्षण की किसी तैयारी का संकेत नहीं देती हैं. इससे यह पता चलता है कि 'उत्तर कोरिया के पास ऐसी तकनीकी और साजो सामान संबंधी क्षमताएं हैं, जो बिना किसी पूर्व चेतावनी के इस तरह के परीक्षणों को अंजाम दे सकती हैं.' 

वॉशिंगटन के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पिछले सप्ताह रॉयटर्स को बताया कि उत्तर कोरिया ने एक ऐसे इंजन का परीक्षण किया था, जो 'आईसीबीएम रॉकेट का बेहद शुरुआती चरण हो सकता है.' लेकिन जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से जुड़े 38 नॉर्थ ने इस बारे में सावधानी बरतते हुए कहा कि सिर्फ उपग्रही तस्वीरों से इस बात की पुष्टि संभव नहीं है कि हालिया परीक्षण आईसीबीएम इंजन के लिए था या नहीं.

उत्तर कोरिया लगातार ऐसा आईसीबीएम विकसित कर चुकने की बात कहता आया है, जो उसके साम्राज्यवादी शत्रु अमेरिका के मुख्य भूभाग तक निशाना साध सकता है. बहुत से विश्लेषक इस बात पर संदेह करते हैं लेकिन यह जरूर मानते हैं कि वर्ष 2011 में किम जोंग-उन के सत्ता संभालने के बाद से देश ने मिसाइल क्षमता में भारी वृद्धि की है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्योंगयांग के हथियार कार्यक्रम को रोकना अपनी विदेश नीति की शीर्ष प्राथमिकता पर रखा है. मंगलवार (27 जून) को ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया से पैदा होने वाले खतरों से शीघ्रता से निपटे जाने की जरूरत है.

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