प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद उत्तर कोरिया ने किया रॉकेट प्रक्षेपण, संयुक्त राष्ट्र ने बुलाई आपात बैठक
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प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद उत्तर कोरिया ने किया रॉकेट प्रक्षेपण, संयुक्त राष्ट्र ने बुलाई आपात बैठक

उत्तर कोरिया ने आज लंबी दूरी का रॉकेट लॉन्च किया, जिससे नाराज अमरीका, जापान और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की अपील की है। परिषद के राजनयिकों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में स्थानीय समयानुसार सुबह 11.00 बजे (भारतीय समयानुसार रात 9.30 बजे) बैठक होने की संभावना है। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार उत्तर कोरिया ने आज स्थानीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे डोंगचंग री मिसाइल बेस से इस रॉकेट को लांच किया। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया ने हाल ही में हाईड्रोजेन बम का परीक्षण किया था।

प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद उत्तर कोरिया ने किया रॉकेट प्रक्षेपण, संयुक्त राष्ट्र ने बुलाई आपात बैठक

सिओल/न्यूयॉर्क : उत्तर कोरिया ने आज लंबी दूरी का रॉकेट लॉन्च किया, जिससे नाराज अमरीका, जापान और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की अपील की है। परिषद के राजनयिकों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में स्थानीय समयानुसार सुबह 11.00 बजे (भारतीय समयानुसार रात 9.30 बजे) बैठक होने की संभावना है। सिओल की सेना ने रॉकेट प्रक्षेपण की पुष्टि की है। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार उत्तर कोरिया ने आज स्थानीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे डोंगचंग री मिसाइल बेस से इस रॉकेट को लांच किया।  जापान ने उत्तर कोरिया के इस हठी कदम को अति असहिष्णु करार दिया है। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया ने हाल ही में हाईड्रोजेन बम का परीक्षण किया था।

प्योंगयांग ने कहा है कि उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम पूरी तरह वैज्ञानिक है लेकिन अधिकतर विश्व इसके रॉकेट प्रक्षेपणों को गुप्त तौर पर किए जा रहे बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण मानता है, जिनका उद्देश्य अमेरिका पर हमला कर सकने वाली हथियार आपूर्ति व्यवस्था को विकसित करना है। उपग्रह ले जा रहे रॉकेट के सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश करने की तत्काल पुष्टि नहीं की गई है। दक्षिण कोरिया की समाचार ऐंसी योनहाप की एक खबर के अनुसार, शायद दूसरे चरण में गड़बड़ी हो गई। अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि यह प्रक्षेपण वाहन ‘अंतरिक्ष में पहुंच चुका प्रतीत होता है।’ उत्तर कोरिया के सरकारी टीवी ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समयानुसार साढ़े नौ बजे एक विशेष घोषणा करेगा।

उत्तर कोरिया के इस प्रक्षेपण की तीव्र निंदा की गई है। अमेरिका ने इस प्रक्षेपण को ‘अस्थिरताकारक’ और भड़काऊ बताया है, वहीं जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसे ‘पूरी तरह असहनीय’ बताया है। न्यूयॉर्क में राजनयिकों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज एक आपात सत्र की बैठक करेगी। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गुन-हे ने कहा कि परिषद को उत्तर कोरिया के इस कदम के खिलाफ ‘कड़े दंडात्मक उपायों’ के साथ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कदम वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है।

प्रक्षेपण का निरीक्षण करने वाले दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ले जाने वाले रॉकेट ने प्योंगयांग के समयानुसार सुबह लगभग नौ बजे उड़ान भरी। कक्षा में पहुंचने से पहले की उड़ान का मार्ग येलो सागर और फिर दक्षिण से फिलीपीन सागर तक को बनाए जाने की योजना थी। दक्षिण कोरिया और जापान दोनों ने ही धमकी दी थी कि यदि यह रॉकेट उनके क्षेत्र में दाखिल हुआ तो वे इसे मार गिराएंगे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों के जरिए उत्तर कोरिया को इसके बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के विकास को रोकने के लिए कहा गया है।
 
इसके बावजूद प्योंगयांग इसे शांतिपूर्ण अंतरिक्ष अभियान बताते हुए कहता रहा है कि उसके रॉकेट दोहरे प्रयोग की तकनीक से लैस हैं, जिसमें असैन्य और सैन्य दोनों अनुप्रयोग हैं। अमेरिका ने दक्षिण कोरिया और जापान जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर प्योंगयांग को चेतावनी दी थी कि यदि वह प्रक्षेपण के मामले में आगे बढ़ता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। लेकिन विश्लेषकों ने कहा कि उत्तर कोरिया ने इसके लिए ऐसा समय चुना, जब इसके प्रभाव को कम किया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय उत्तर कोरिया के छह जनवरी के परमाणु परीक्षण पर एक संगठित प्रतिक्रिया देने के लिए संघषर्रत है, ऐसे में इस भड़काऊ रॉकेट प्रक्षेपण से सजा में कुछ ज्यादा वृद्धि असंभव लग रही है। आईएसएस जेन्स में एक वरिष्ठ विश्लेषक एलिसन एवान्स ने कहा, ‘उत्तर कोरिया ने संभवत: यह आकलन कर लिया है कि परमाणु परीक्षण के बाद इतनी जल्दी किए गए परीक्षण से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों में ही वृद्धि होगी।’ उत्तर कोरिया का प्रमुख कूटनीतिक सहयोगी चीन प्योंगयांग के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों के अमेरिकी कदम का विरोध करता रहा है।

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