अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक अध्ययन संस्थान के एक विश्लेषक माइकल एलीमैन ने बताया कि ऐसा लगता है कि ह्वासोंग-15, एक हजार किलोग्राम भार अमेरिका में किसी स्थान पर गिराने में सक्षम है.
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सोल: उत्तर कोरिया द्वारा अपने सबसे ताकतवर मिसाइल का परीक्षण किए जाने के दो दिन बाद देश की शानदार तकनीकी उपलब्धि की तस्वीर साफ साफ सामने आ गई है और इसके साथ ही यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे अमेरिका को खतरा हो सकता है. हालांकि इस बारे में कई सवाल बाकी हैं, लेकिन सरकार ने इस बात से सहमति जताई है कि ताकतवर ह्वासोंग-15 आईसीबीएम कोरिया के लिए एक मील का पत्थर है, और यह उत्तर कोरिया को परमाणु आधारित लंबी दूरी की मिसाइलों के एक व्यवहार्य शस्त्रागार के लक्ष्य के बहुत करीब पहुंचा देगा.
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार (1 दिसंबर) को सांसदों को पेश एक रिपोर्ट में बताया कि उत्तर कोरिया ने बुधवार (29 नवंबर) को द्विस्तरीय तरल ईंधन वाले मिसाइल का परीक्षण किया था. यह मिसाइल 13 हजार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखता है और इस वजह से अमेरिका इसकी जद में आ सकता है.
मंत्रालय ने बताया कि यह मिसाइल उत्तर कोरिया के पहले के आईसीबीएम, द ह्वासोंग-14 से बड़ा है और यह बड़ा आयुध ले जाने में सक्षम है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ह्वासोंग-15 के परीक्षण के बाद उत्तर कोरिया के उस दावे की पुष्टि हो गई है कि नया मिसाइल ‘‘बहुत बड़े और भारी परमाणु हथियार’’ ले जा सकता है.
अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक अध्ययन संस्थान के एक विश्लेषक माइकल एलीमैन ने बताया कि ऐसा लगता है कि ह्वासोंग-15, एक हजार किलोग्राम भार अमेरिका में किसी स्थान पर गिराने में सक्षम है. रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार (1 दिसंबर) को सांसदों को बताया कि यह अंतरद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल लक्ष्य पर सटीक हमला कर सकता है,या नहीं इस की समीक्षा किये जाने की जरूरत है.
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने मिसाइल पर अपने देश के मूल्यांकन से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गुरुवार (3 नवंबर) रात फोन पर अवगत करवाया. राष्ट्रपति के कार्यालय ने शुक्रवार (1 दिसंबर) को बताया कि दोनो नेताओं ने उत्तर कोरिया की परमाणु महात्वाकांक्षा को हतोत्साहित करने के लिए उस पर प्रतिबंध लगाने और दबाव बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.