ईरान के मंत्री ने कहा- परमाणु समझौते का खत्म होना तेहरान के लिए 'बहुत खतरनाक'
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ईरान के मंत्री ने कहा- परमाणु समझौते का खत्म होना तेहरान के लिए 'बहुत खतरनाक'

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने रविवार( 24 जून) को चेतावनी दी कि अमेरिका के हटने के बाद परमाणु समझौते को बचाने में असफल रहना तेहरान के लिए ‘‘बहुत खतरनाक’’ होगा. 

अमेरिका ने गत मई में घोषणा की थी कि वह 2015 के परमाणु समझौते से हट रहा है.(फाइल फोटो)

तेहरान: ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने रविवार( 24 जून) को चेतावनी दी कि अमेरिका के हटने के बाद परमाणु समझौते को बचाने में असफल रहना तेहरान के लिए ‘‘बहुत खतरनाक’’ होगा. अमेरिका ने गत मई में घोषणा की थी कि वह 2015 के परमाणु समझौते से हट रहा है और फिर से प्रतिबंध लगा रहा है जिससे ईरान में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा. समझौते के अन्य पक्षों में ब्रिटेन, फ्रांस , जर्मनी , चीन और रूस ने समझौते में बने रहने की प्रतिबद्धता जतायी लेकिन अमेरिका के जुर्माने के भय से अपनी कंपनियों को ईरान से हटने से रोकने में अक्षम दिखते हैं.

संवाद समिति इरना के अनुसार जरीफ ने ईरान चैंबर आफ कॉमर्स के सदस्यों से कहा , ‘‘ जेसीपीओए (परमाणु समझौता) का खत्म होना हमारे लिए बहुत खतरनाक होगा. ’’ 

परमाणु समझौते से US हटा
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ईरान परमाणु समझौते से हटने को लेकर अमेरिका की रविवार(10 जून) को आलोचना की. वहीं, उन्होंने इसका संरक्षण करने की कोशिश को लेकर चीन, रूस और यूरोप की सराहना की. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए रूहानी ने कहा कि अमेरिका दूसरे देशों पर अपनी नीतियां थोपने की कोशिश कर रहा है जो सभी बड़ी शक्तियों के लिए एक चेतावनी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह एकतरफा कदम दुनिया के लिए अच्छा नहीं है.

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी समझौते से हटने को लेकर अमेरिका पर परोक्ष हमला करते हुए इस बात का जिक्र किया कि चीन समझौते को बचाने के लिए रूस और अन्य देशों के साथ काम करना चाहता है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अमेरिकी फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम खाड़ी क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है.  गौरतलब है कि चीन और रूस सहित कई यूरोपीय देश इस समझौते को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.  

G7 में छाया रहा ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुद्दा, अमेरिका ने किया है किनारा
जी 7 देशों के नेताओं ने अमेरिका के साथ एक संयुक्त बयान में रविवार (10 जून) को संकल्प व्यक्त किया कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण बना रहे. यह बयान ऐसे वक्त आया है जब यूरोपीय गठबंधन सहयोगी ट्रंप के इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से खुद को अलग करने के फैसले से नाराज हैं.

कनाडा में हुए दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन के मौके पर नेताओं ने कहा कि हम ईरान के परमाणु कार्यक्रम को स्थायी तौर पर शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ईरान अंतरराष्ट्रीय तौर किए गए वायदे के अनुरूप कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने या हासिल करने की कोशिश नहीं करेगा.

बयान में कहा गया है कि हम ईरान द्वारा प्रायोजित सभी आतंकी समूहों समेत आतंकवाद को धन मुहैया कराने की निंदा करते हैं. हम ईरान से मांग करते हैं कि वह आतंकवाद रोधी प्रयासों में योगदान दे तथा क्षेत्र में राजनीतिक समाधान , सुलह और शांति हासिल करके रचनात्मक भूमिका निभाए. जी 7 में जर्मनी , फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं. इन्होंने 2015 में अमेरिका के साथ मिलकर ईरान के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे , जिसके बाद ईरान पर से पाबंदियां हटाई गई थीं. 

इनपुट भाषा से भी 

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