Taiwan News: ताइवान में 13 जनवरी को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. लेकिन यहां भी चीन अड़ंगा अड़ाने से बाज नहीं आ रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कोशिश है कि इस चुनाव में चीन को समर्थन देने वाले कैंडिडेट चुनाव जीत जाएं.
ताइवानी वोटर्स को लुभाने के लिए चीन ने समुद्री माता माजू का सहारा लिया है. माजू के अधिकांश भक्त ताइवान-चीन सीमा के इलाकों में रहते हैं. ताइवान के 5 बड़े माजू मंदिरों के कर्ता-धर्ता चीन के संपर्क में हैं. 


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 चीन देता है ताइवान में दखल 


चीन की सरकार मंदिरों के प्रबंधन के साथ ताइवान की राजनीति में भी दखल देती है. चीन की सरकार के खर्च पर कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता धार्मिक यात्रा के नाम पर ताइवान आते हैं. धर्म के नाम पर चीन के एजेंट्स को ताइवान में घुसपैठ का मौका मिल जाता है और ये लोग ताइवान की जनता को लालच देकर चीन समर्थक उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के लिए कहते हैं. ताइवान में दखल देने के लिए चीन ने अमेरिका से भी पंगा ले लिया है. 1 जनवरी को जिनपिंग ताइवान पर कब्जे की बात दोहराई और इससे पहले अमेरिका को भी यही संदेश दिया था.


नवंबर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन की मीटिंग हुई थी. तब जिनपिंग ने साफ कर दिया कि आज या कल वो ताइवान को खुद में मिलाकर रहेगा. हालांकि एक बात क्लियर है कि ताइवान पर कब्जा चीन के लिए भी आसान नहीं होगा.


चीन ने कही ये बात


चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेंग वेनबिन ने कहा, चीन की सरकार अमेरिका से ताइवान की स्वतंत्रता को समर्थन नहीं देने का आग्रह करती है. अमेरिका को चाहिए कि वो ताइवान को हथियार देने की खतरनाक प्रवृति को रोके और ताइवान की खाड़ी में तनाव पैदा करना बंद करे. ताइवान की स्वतंत्रता के लिए लड़नेवाली ताकतों को नजरअंदाज करें और उनका समर्थन बंद करें जो ताकत के जोर से आजादी चाहते हैं.


 ताइवान की मौजूदा राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ताइवान पर चीन के कब्जे के खिलाफ हैं और इनके समर्थन से जो उम्मीदवार मैदान में उतरा है वो भी जिनपिंग के लिए बुरी खबर है. इस कैंडिडेट का नाम है लाई चिंग ते..और ये अभी ताइवान के उप-राष्ट्रपति हैं.


चीन के दखल का पूरा मामला समझिए


दरअसल, ताइवान की डेमोक्रेटिक पार्टी ने उप-राष्ट्रपति लाई चिंग ते को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. अमेरिका समर्थक माने जाने वाले लाई चिंग ते चुनावी सर्वे में आगे चल रहे हैं. इस बीच चीन के सपोर्ट वाले विपक्षी खेमे की एकता में दरार पड़ चुकी है. नोमिनतांग पार्टी के होउ यू-इह और ताइवानी पीपल्स पार्टी के नेता 'को वेन-ली' ने अलग-अलग नामांकन भरा है. ताइवान को जानने वाले एक्सपर्ट्स का दावा है कि विपक्ष में दो प्रत्याशी होने का फायदा अमेरिका समर्थक उम्मीदवार होगा. इस खबर से चीन की सरकार नाराज चल रही है. जिनपिंग की मंदिर मार्ग वाली कोशिशों का नतीजा निकलने की उम्मीद बहुत कम है.


28 प्रतिशत लोग करते हैं माजू देवी की पूजा


अमेरिका के एक इंस्टीट्यूट की रिसर्च के मुताबिक ताइवान के सिर्फ 28 फीसदी लोग माजू देवी की पूजा करते हैं. करीब 20 फीसदी बौद्ध धर्म मानते हैं, 19 फीसदी लोग ताओ धर्म का पालन करते हैं, और 25 फीसदी लोग किसी धर्म को नहीं मानते हैं.


ताइवान की जनता में माजू धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या कम है. ताइवान में चीन समर्थक उम्मीदवारों के वोट बंटने जा रहे हैं. कुल मिलाकर ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा चीन के खिलाफ आने की संभावना बढ़ गई है. यानी 13 जनवरी को ताइवान चुनाव के बाद जिनपिंग के लिए सिर्फ बुरी खबरें आने वाली हैं.