पहलगाम हमला: जमीन पर मछली की तरह तड़पेगा पाकिस्तान, 440 वोल्ट का झटका तो अब लगेगा
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पहलगाम हमला: जमीन पर मछली की तरह तड़पेगा पाकिस्तान, 440 वोल्ट का झटका तो अब लगेगा

Indus Water Treaty Pakistan Effect: सिंधु जल संधि को सस्पेंड करना तो एक शुरुआत है. पाकिस्तान को झटके लगने अब शुरू होंगे. हां, इस फैसले के पीछे भारत सरकार कुछ ऐसे बड़े काम करेगी, जो अब तक नहीं हो पा रहे थे. अब कोई अड़चन नहीं है क्योंकि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त फैसले लिए हैं. आतंकियों के साथ पाकिस्तान के बुरे दिन शुरू हो गए हैं.

पहलगाम हमला: जमीन पर मछली की तरह तड़पेगा पाकिस्तान, 440 वोल्ट का झटका तो अब लगेगा

India Pakistan Water War: पाकिस्तान के हुक्मरानों को समझ में आ गया है कि भारत ने बिना हथियार उठाए कौन सा 'ब्रह्मास्त्र' चला दिया है. हमले के 24 घंटे बाद ही भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया. पड़ोसी देश में खलबली मच गई, सरकार ने इमर्जेंसी बैठक की और अब पानी रोकने के भारत के फैसले को 'ऐलान-ए-जंग' कहा जा रहा है. हालांकि असली झटका तो 'आतंकिस्तान' को लगना अभी बाकी है.

हां, सिंधु जल संधि को निलंबित करने से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था चौपट हो सकती है. एक्सपर्ट बता रहे हैं कि महत्वपूर्ण जल डेटा साझा होना रुक जाएगा, प्रमुख फसल के मौसम में पाकिस्तान को पानी की सप्लाई कम होगी तो कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हो सकता है. इसके साथ-साथ पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए भारत अब कुछ बड़ी तैयारियां भी कर लेगा, जिससे वह अभी बच रहा था.
 
1. Indus Waters Treaty स्थगित होने के बाद भारत अब चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों से संबंधित जलविद्युत परियोजनाओं पर काम तेजी से आगे बढ़ाएगा. संधि के कारण ही कई साल से इस पर काम की रफ्तार धीमी थी. IWT के तहत भारत के लिए जरूरी था कि वह किसी भी नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से पहले पाकिस्तान को छह महीने का नोटिस दे. पाकिस्तान की लगातार आपत्तियों के कारण काम आगे ही नहीं बढ़ पा रहा था लेकिन अब ऐसी बाध्यता खत्म हो गई है. किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर किरु से क्वार जल विद्युत परियोजनाओं का काम युद्ध स्तर पर आगे बढ़ेगा.

अभी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सिंधु नदी जल संधि को निलंबित करने का दीर्घकालिक असर इस पर निर्भर करेगा कि पश्चिमी नदियों के पानी का पूर्ण उपयोग करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने में भारत को कितना समय लगता है. अगर तेजी से काम शुरू हुआ तो कुछ ही साल में पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो जाएगा.

2. भारत हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स तेज कर पाकिस्तान की तरफ जाने वाले पानी को ज्यादा मात्रा में रोकने की तरफ बढ़ेगा. इसके साथ ही पाकिस्तान के साथ अब कोई हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयर नहीं होगा. इसमें बाढ़ से संबंधित जानकारी भी नहीं होगी. भारत कानूनी पहलुओं पर भी गौर कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत नदी से जुड़ा डेटा शेयर न करने पर विचार कर रहा है. अभी IWT के तहत हर महीने या कम से कम 3 महीने पर जानकारी शेयर की जाती है.

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इससे पाकिस्तान को पानी रुकेगा लेकिन भारत को बिजली सप्लाई में जबर्दस्त इजाफा होगा. जम्मू-कश्मीर को मिलने वाली बिजली बढ़ जाएगी. कई पावर प्रोजेक्ट्स को लाभ होगा, जिसमें अभी पाकिस्तान की आपत्ति बनी हुई थी. एक अनुमान के मुताबिक इन परियोजनाओं के तेजी से आगे बढ़ने से 10 हजार मेगावाट का फायदा हो सकता है.

3. पाकिस्तान की लगभग 80 प्रतिशत खेती की सिंचाई सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है. अब पाकिस्तान में सिंधु नदी में पानी नहीं पहुंच पाएगा, जिससे जल संकट पैदा होगा और इसका सीधा असर वहां की खेती पर पड़ेगा. सिंधु नदी से जुड़े कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पाकिस्तान में हैं. पानी की कमी से इनका उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे ऊर्जा संकट गहराएगा. पाकिस्तान में पहले से ही ऊर्जा संकट बड़ी समस्या बनी हुई है. 

पीने को भी पानी नहीं मिलेगा

पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों के निवासी इस नदी प्रणाली पर पीने के पानी के लिए निर्भर हैं. रोक लगने से पीने के पानी की किल्लत भी हो जाएगी. कृषि का पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 22.7 प्रतिशत का योगदान है और यह 37.4 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार देती है. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि सिंधु प्रणाली पाकिस्तान की 90 प्रतिशत खाद्य फसलों की सिंचाई करती है. इस तरह से देखें तो जैसी हालत जमीन पर मछली की हो जाती है, कुछ वैसा ही पाकिस्तान में होने वाला है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा है कि 1960 में हुआ सिंधु जल समझौता एकतरफा था. इसमें पाकिस्तान को 70 प्रतिशत पानी, यानी सिंधु बेसिन की मुख्य नदियां, सिंधु, चिनाब और झेलम का हिस्सा दिया गया, जबकि पंजाब की तीन नदियां भारत के हिस्से में आईं. भारत ने दरियादिली दिखाई और ज्यादा पानी पाकिस्तान को दिया, लेकिन पाकिस्तान इसे हमारी कमजोरी समझता है. दरअसल, सिंधु जल संधि के तहत, रावी, सतलुज और ब्यास नदी का औसत जल लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट भारत को विशेष उपयोग के लिए आवंटित किया गया था. वहीं, पश्चिमी नदियों, सिंधु, झेलम और चिनाब का औसत जल लगभग 135 एमएएफ पाकिस्तान को आवंटित किया गया था.

पहलगाम आतंकी हमले से पूरा भारत गुस्से में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि निर्दोषों का खून बहाने वाले धरती पर कहीं भी छिप जाएं, बचेंगे नहीं. ऐसी सजा मिलेगी, सपने में भी नहीं सोचा होगा.

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