पाकिस्तान सरकार ने धार्मिक निकाय को भेजा बिल, दोषी को सबके सामने फांसी देने का मामला
Advertisement

पाकिस्तान सरकार ने धार्मिक निकाय को भेजा बिल, दोषी को सबके सामने फांसी देने का मामला

काउन्सिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) एक संवैधानिक निकाय है जिसका काम इस्लाम से संबंधित कानूनी मुद्दों पर सरकार की मदद करना है. निकाय की राय बाध्यकारी नहीं है.

पाकिस्तान सरकार ने धार्मिक निकाय को भेजा बिल, दोषी को सबके सामने फांसी देने का मामला

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने एक प्रस्तावित विधेयक को मार्गदर्शन के लिए धार्मिक निकाय को भेजा है जिसमें 14 साल से कम उम्र के व्यक्ति के अपहरण के दोषी व्यक्ति को सार्वजनिक फांसी दिए जाने का प्रस्ताव है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित फौजदारी कानून संशोधन विधेयक 2018 में अपहरण या 14 साल से कम उम्र के बच्चे के व्यपहरण से संबंधित पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 364-ए में संशोधन का प्रस्ताव है. काउन्सिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) एक संवैधानिक निकाय है जिसका काम इस्लाम से संबंधित कानूनी मुद्दों पर सरकार की मदद करना है. निकाय की राय बाध्यकारी नहीं है.

आठ फरवरी को होनी है बैठक
सीआईआई के अध्यक्ष किबला अय्याज ने कहा कि सीआईआई के सदस्यों की बैठक आठ फरवरी को होनी है. इसमें विधेयक एजेंडा में शीर्ष पर होगा. अध्यक्ष ने कहा, ‘सीआईआई के सभी सदस्यों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद सीआईआई सार्वजनिक फांसी पर अपनी राय देगी. ये सदस्य विभिन्न विचारधाराओं के होते हैं.’ सार्वजनिक फांसी को कानून के दायरे में लाने का कदम पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ के एक नाबालिग लड़की के हत्यारे की गिरफ्तारी के तुरंत बाद किये गए संवाददाता सम्मेलन में उसे सार्वजनिक फांसी दिये जाने की घोषणा किये जाने के बाद उठाया जा रहा है. उस व्यक्ति ने इस महीने की शुरूआत में सात वर्षीय लड़की से बर्बरता से बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी.

सोशल मीडिया पर उठी थी फांसी की मांग
इस घटना के बाद हर क्षेत्र के लोगों ने सोशल मीडिया पर इस तरह के अपराध करने वालों को सार्वजनिक फांसी देने की मांग की थी. इस मांग के बाद गृह मामलों पर सीनेट की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहमान मलिक ने 14 साल से कम उम्र के बच्चों के अपहरण, हत्या या बलात्कार के दोषियों को सार्वजनिक फांसी दिये जाने के लिये पाकिस्तान दंड संहिता में संशोधन का प्रस्ताव दिया था. सजा के अंत में मौत या आजीवन कारावास की जगह सार्वजनिक फांसी शब्द को जोड़ने का प्रस्ताव दिया गया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अली नवाज चोहान ने नये विधेयक का विरोध किया. उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय अभिसमय के खिलाफ बताया.

Trending news