पाकिस्तान में सेना के तख्तापलट से अमेरिकी विशेषज्ञों ने किया इनकार
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पाकिस्तान में सेना के तख्तापलट से अमेरिकी विशेषज्ञों ने किया इनकार

पाक सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ के उत्तराधिकारी की खोज के प्रयासों के बीच अमेरिकी विद्वानों ने कहा है कि पाकिस्तान की प्रभावशाली सेना नागरिक सरकार गिराने को तैयार नहीं है लेकिन वह वर्चस्वकारी प्रभाव बनाए रखेगी। राजदूत रोबिन राफेल के अनुसार पाकिस्तान में सरकार में आकस्मिक बदलाव की गुजाइंश कम ही है क्योंकि सेना नागरिक व्यवस्था को गिराने के लिए तैयार नहीं है।

पाकिस्तान में सेना के तख्तापलट से अमेरिकी विशेषज्ञों ने किया इनकार

वाशिंगटन : पाक सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ के उत्तराधिकारी की खोज के प्रयासों के बीच अमेरिकी विद्वानों ने कहा है कि पाकिस्तान की प्रभावशाली सेना नागरिक सरकार गिराने को तैयार नहीं है लेकिन वह वर्चस्वकारी प्रभाव बनाए रखेगी। राजदूत रोबिन राफेल के अनुसार पाकिस्तान में सरकार में आकस्मिक बदलाव की गुजाइंश कम ही है क्योंकि सेना नागरिक व्यवस्था को गिराने के लिए तैयार नहीं है।

डॉन न्यूज पेपर की आज की खबर है कि दक्षिण एशिया मामलों की प्रभारी रहीं पूर्व अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री राफेल उन आधे दर्जन अमेरिकी विद्वानों में एक हैं जिन्होंने यहां हाल ही में एक संगोष्ठी में पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थिति का विश्लेषण किया।

वक्ताओं ने वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की कमियों और ताकतों तथा पाकिस्तान के प्रभावशाली सैन्य प्रतिष्ठान के साथ उसके संबंध पर प्रकाश डाला। सभी इस बात से सहमत थे कि सेना नागरिक प्रशासनिक व्यवस्था पर अपना वर्चस्व को बनाए रखेगी लेकिन उसे गिराएगी नहीं। पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाली सम्मानित राजनयिक राफेल ने कहा, ‘सेना मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती।’ 

राफेल को हाल ही पाकिस्तानी राजनयिकों के साथ अपने कथित दोस्ताना संबंध को लेकर एफबीआई जांच से जूझना पड़ा था। जून में उन्हें सभी आरोपों से बरी किया गया था। उनकी सोच है कि यदि पाकिस्तान में अभी चुनाव हुए तो इसका सबसे अधिक लाभ संभवत: इमरान खान को मिलेगा लेकिन चुनाव निर्धारित कार्यक्रम के हिसाब से 2018 में होंगे।

सेना के सत्ता पर काबिज होने की संभावना से इनकार करते हुए राफेल ने चेतावनी दी कि ‘यदि देश में कोई बड़ी अव्यवस्था हुई तो सेना आगे आ सकती है।’ उन्होंने कहा कि लेकिन तख्तापलट की गुजाइंश कम ही है क्योंकि ‘सेना की तरह’ जनता भी बदल चुकी है और वह किसी भी आकस्मिक कदम का विरोध कर सकती है।

सैन्य तानाशाहों ने पाकिस्तान पर उसके 70 साल के इतिहास में से आधे समय शासन किया है और सैन्यबलों को देश की विदेश एवं रक्षा नीतियों के नियंत्रक के रूप में देखा जाता है। हालांकि राफेल को लोकतंत्र के प्रति जनसमर्थन में थोड़ी गिरावट नजर आती हैं जो चिंताजनक है और इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जहां लोग अप्रत्याशित बदलाव का समर्थन करने को बाध्य हो सकते हैं जैसा कि 1999 में हुआ था।

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