PAK आतंकियों के लिये पनाहगाह, मुंबई हमले के मास्‍टरमाइंड के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई: US
Advertisement

PAK आतंकियों के लिये पनाहगाह, मुंबई हमले के मास्‍टरमाइंड के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई: US

अमेरिका ने कहा कि पाकिस्‍तान ने प्रभावी कदम नहीं उठाए.

PAK आतंकियों के लिये पनाहगाह, मुंबई हमले के मास्‍टरमाइंड के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई: US

वाशिंगटन: अमेरिका ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान ने 2019 में आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और उस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमलों को रोकने के लिये भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों के खिलाफ “मामूली कदम” उठाए लेकिन वह अब भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिये “सुरक्षित पनाहगाह” बना हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर जनवरी 2018 में लगाई गई रोक 2019 में भी प्रभावी रही.

उसने कहा, “पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश ए मोहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किये गए आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिये 2019 में मामूली कदम उठाए.” आतंकवाद पर देश की संसदीय-अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट 2019 में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की.

मंत्रालय ने कहा, “हालांकि, पाकिस्तान क्षेत्र में केंद्रित अन्य आतंकवादी संगठनों के लिये सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है.”

रिपोर्ट में कहा गया कि वह अफगान तालिबान और संबद्ध हक्कानी नेटवर्क को अपनी जमीन से संचालन की इजाजत देता है जो अफगानिस्तान को निशाना बनाते हैं, इसी तरह वो भारत को निशाना बनाने वाले लश्कर-ए-तैयबा और उससे संबद्ध अग्रिम संगठनों और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने देता है.

विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया, “उसने अन्य ज्ञात आतंकवादियों जैसे जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और संरा द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर और 2008 के मुंबई हमलों के ‘प्रोजेक्ट मैनेजर’ साजिद मीर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिनके बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं.”

अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में हालांकि पाकिस्तान ने कुछ सकारात्मक योगदान किया है, जिसमें तालिबान को हिंसा कम करने के लिये प्रेरित करना शामिल है. पाकिस्तान ने एफएटीएफ के लिये जरूरी कार्ययोजना की दिशा में कुछ प्रगति की है जिससे वह काली सूची में डाले जाने से बच गया लेकिन 2019 में उसने कार्ययोजना के सभी बिंदुओं पर पूरी तरह अमल नहीं किया.

रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान में यद्यपि अलकायदा का प्रभाव काफी हद तक कम हुआ है लेकिन संगठन के वैश्विक नेताओं और उससे संबद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) लगातार उन सुदूरवर्ती इलाकों से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जो ऐतिहासिक रूप से उनके सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर काम करते रहे हैं.

(इनपुट: एजेंसी भाषा) 

Trending news