भुखमरी की मार झेल रहे अफगानिस्तान (Afghanistan) में लोग अपने बच्चों को बेच रहे हैं. कोविड महामारी, सूखा और तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान की नाजुक अर्थव्यवस्था अब पूरी तरह से तबाह हो चुकी है.
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नई दिल्ली: तालिबान (Taliban) के अधिग्रहण के बाद से अफगानिस्तान (Afghanistan) भुखमरी झेल रहा है. हालात ये हैं कि लोग पैसों के लिए अपने बच्चों को बेच रहे हैं. पटरी उतर चुकी अर्थव्यवस्था के चलते तालिबान की सत्ता के बाद अफगानिस्तान पतन की कगार पर है. मजूदरों को उनके काम के बदले भुगतान नहीं किया जा रहा है.
अफगानिस्तान के पश्चिम में हेरात के एक गांव से झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां अपने अन्य बच्चों का पेट भरने के लिए मां-बाप ने मात्र 500 डॉलर में अपनी नवजात बच्ची बेच दी. खरीदार का कहना है कि वह अपने बेटे से शादी करने के लिए बच्ची की परवरिश करेगा, लेकिन सवाल उठता है कि मानव तस्करी जैसे गंभीर मामलों को इसकी आड़ में बढ़ावा नहीं मिलेगा क्या? Daily Mail की एक रिपोर्ट के मुताबिक बच्ची को खरीदने वाले ने 250 डॉलर का एडवांस पेमेंट किया और तय किया कि बाकी का भुगतान वह तब करेगा जब बच्ची अपने पैरों पर चलने लगेगी. बच्ची बेचने वाली मां ने बताया, 'मेरे दूसरे बच्चे भूख से मर रहे थे, इसलिए हमें अपनी बेटी को बेचना पड़ा.' मां का दर्द भी झलकता है, उसने कहा कि वह मेरी बच्ची है. काश मुझे अपनी बेटी को बेचना नहीं पड़ता.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के प्रमुख ने दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेताओं से कहा कि अफगानिस्तान की चिंता की जानी चाहिए क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है. आधी आबादी के पास खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्य पदार्थ नहीं होने का खतरा है और हिमपात भी शुरू हो गया है. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘अफगानिस्तान में जरूरतें बढ़ रही हैं.’ उन्होंने कहा कि पांच साल से कम उम्र के आधे अफगान बच्चे गंभीर कुपोषण के खतरे का सामना कर रहे हैं और हर प्रांत में खसरा का प्रकोप है.
ग्रिफिथ्स ने चेतावनी दी कि खाद्य संकट पैदा होने से कुपोषण होता है और फिर बीमारी और मौत होती है और इस संबंध में उचित कदम नहीं उठाया गया तो दुनिया अफगानिस्तान में मौत देखेगी. डब्ल्यूएफपी (विश्व खाद्य कार्यक्रम) ने इस सप्ताह इस साल अंत तक अपने अभियानों के लिए 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर के वित्तपोषण की अपील की है. ग्रिफिथ्स ने अमेरिका और उन यूरोपीय देशों से वित्तपोषण का आग्रह किया है, जिन्होंने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद इस देश को विकास सहायता बंद कर दी. उन्होंने कहा कि इस देश में मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए तत्काल कोष की जरूरत है.
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