समुद्र की दहाड़ती लहरों के बीच 'पाताल का रास्‍ता', खुल गया विशालकाय गड्ढे का रहस्‍य
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समुद्र की दहाड़ती लहरों के बीच 'पाताल का रास्‍ता', खुल गया विशालकाय गड्ढे का रहस्‍य

Indian Ocean Hole: दुनिया में कई अजूबे हैं और इनमें से कई आज भी अनसुलझे हैं. भारत के पास हिंद महासागर में एक विशालकाय गड्ढा है, जिसे पाताल का रास्‍ता कहते हैं. समुद्र के पानी में गड्ढा क्‍यों है, इसका अब राज खुल गया है.

समुद्र की दहाड़ती लहरों के बीच 'पाताल का रास्‍ता', खुल गया विशालकाय गड्ढे का रहस्‍य

Mysterious hole in Ocean: भारत के दक्षिण-पश्चिम में हिंद महासागर के पानी में दहाड़ती लहरों के बीच एक विशालकाय गड्ढा है. समुद्र में यह गड्ढा क्‍यों है, इसकी वजह वर्षों से वैज्ञानिक तलाश रहे थे लेकिन अब आखिरकार उन्‍हें इसके पीछे का रहस्‍य पता चल गया है. समुद्र के पानी में 348 फीट गहरे इस गड्ढे को लेकर कई किवदंतियां रही हैं, यहां तक कि इसे पाताल का रास्‍ता भी कहा गया. अब वैज्ञानिक इस गड्ढे का रहस्‍य सुलझाने का दावा कर रहे हैं.

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भारत से महज 1200 किमी दूर  

हिंद महासागर के पानी में बनने वाला यह विशालकाय होल भारत के के दक्षिण-पश्चिम में केवल 1200 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पानी का स्तर बाकी दुनिया के मुकाबले 348 फीट नीचे है. इस गड्ढे को 1948 में खोजा गया था और वैज्ञानिकों ने इसे ग्रेविटी होल नाम दिया था.

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गुरुत्‍वाकर्षण बल बेहद कम

समंदर में पानी के बीच जो 31 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए इस इलाके को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इतना कमजोर है कि पानी का स्तर बाकी के हिस्से की तुलना में नीचे चला गया है. 2023 में जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इस क्षेत्र का निर्माण 14 करोड़ साल पहले हुआ था.

मरा हुए सागर ने कम किया गुरुत्‍वाकर्षण बल

स्टडी में पाया गया है कि इसके निर्माण के पीछे टेथीज सागर जिम्‍मदार है जो अब खत्म हो चुका है. करोड़ों साल पहले टेथीज सागर पृथ्वी की पपड़ी (क्रस्ट) के हिस्से पर था, लेकिन 18 करोड़ साल पहले गोंडवाना के टूटने के दौरान यह यूरेशियन प्लेट के नीचे दब गया. इस तरह क्रस्ट के टुकड़े मेंटल के नीचे डूब गए और फिर यह यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट की ओर खिसकने लगा. इस प्रक्रिया में टेथीज सागर का सी बेड (समुद्री तल) मेंटल के नीचे आने लगा.

इसी टेशीज सागर के ऊपर हिंद महासागर का निर्माण हुआ. चूंकि टेथीज सागर का तल हिंद महासागर के नीचे दबा हुआ है और इसका मैग्मा पिघल रहा है. इसलिए इस क्षेत्र का कुल द्रव्यमान कम हो गया और गुरुत्वाकर्षण खिंचाव कमजोर हो गया. इसकी वजह से यहां पर पानी का स्तर दुनिया के मुकाबले नीचे चला गया.

 

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